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फर्स्ट एड की ट्रेनिंग लेकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हुए ये बच्चे, इनका रहा अहम योगदान
लखनऊ: इंडिया इंटरनेशनल सांइस फेस्टिवल में इस बार लगातार दो रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज हुए। शनिवार को 550 बच्चों ने 61 मिनट में केले के गूदे का डीएनए निकालकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। वहीं रविवार को 3540 बच्चों ने फर्स्ट एड की ट्रेनिंग लेकर वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया है। इस बच्चों ने दुनिया की सबसे बड़ी फर्स्ट एड ट्रेनिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर ने गिनीज ऑफ बुक में अपना नाम दर्ज कराया। इसमें लखनऊ शहर के 15 स्कूल के बच्चों ने भाग लिया।
इससे पहले डायरेक्ट्रेट ऑफ इमरजेंसी एंड पब्लिक सेफ्टी के नाम से यह रिकार्ड यूनाइटेड अरब एमिरेट्स अबुधाबी द्वारा 18 अप्रैल 2018 में बना था । जिमसें 2580 बच्चों ने भाग लिया था। शनिवार को 550 बच्चों ने 61 मिनट में केले के गूदे का डीएनए निकालकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
डीएनए आइसोलेशन की प्रक्रिया की पूरी
लखनऊ के छात्र-छात्राओं द्वारा ‘डीएनए आईसोलेशन’ की प्रक्रिया को पूरा करने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है। इसमें लखनऊ के 550 विद्यार्थी ने इस प्रक्रिया में भाग लिया था। स्कूल के 13 से 17 वर्ष के इन छात्र-छात्राओं ने 61 मिनट में यह सफलता हासिल की।इसका पुराना रिकॉर्ड सीटल चिल्ड्रेन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, सीटल, वॉशिंगटन (यूएसए) के नाम पर था।उन्होंने बताया कि आज की पूरी प्रक्रिया में लखनऊ के 3540 बच्चों फर्स्ट एड लेसन में भाग लिया और दिए गए समय में उसे पूरा किया।गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से आए ऋषि नाथ ने केंद्र सरकार के विज्ञान एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, विज्ञान भारती के चीफ कॉर्डिनेटर वैशाख, डीबीटी के ओमकार तिवारी, अपराजिता मेहरा, को इसका प्रमाण पत्र सौंपा। अपराजित मेहरा ने बताया कि ये दोनों रिकॉर्ड अचीव करके बच्चे बेहद खुश हैं।
कोई वैज्ञानिक किसी से कम नहीं
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि हर क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो रहा है। पानी, ऊर्जा, ऑक्सीजन के अलावा विकास में भी इसके महत्व को भुलाया नहीं जा सकता है। शहरी विकास से लेकर रेल विकास में विज्ञान का महत्व बढ़ा है। चार साल पहले विज्ञान को किताब से निकाल कर आम लोगों तक पहुचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा महोत्सव शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है, जिसका कोई एक सचिवालय नहीं है, हर वैज्ञानिक किसी से कम नहीं है। सूर्य की रोशनी से ऊर्जा बनाने के प्रयोग विज्ञान की ही देन है। अब समझना है कि हम अपने राज्य में इस ऊर्जा का प्रयोग कर रहा हैं। अब तक 12 हजार लोग यहां महोत्सव में आये है। हर पांच राज्य मिलकर ऐसे ही महोत्सव का आयोजन अपने राज्य के नाम से करें। आज से ही इसे करने के लिए काम करना शुरू करें।