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UPSC: सिविल सर्विसेज के बदलाव पर फिर से विचार, प्रैक्टिकल परीक्षा पर करेगा फोकस!
सिविल सर्विस परीक्षा में सुधार पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की रिपोर्ट आने के बाद किस तरह इन परीक्षा में गंभीर छात्र ही सम्मिलित हों और इसमें बैठने की न्यूनतम उम्र क्या हो, इन सारे मसलों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
नई दिल्ली : सिविल सर्विस परीक्षा में सुधार पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की रिपोर्ट आने के बाद किस तरह इन परीक्षा में गंभीर छात्र ही सम्मिलित हों और इसमें बैठने की न्यूनतम उम्र क्या हो, इन सारे मसलों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
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सूत्रों के मुताबिक, इन मामलों पर प्रशासनिक सुधार पर बनी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की कमिटी अगली बैठक में विचार करेगी। सबसे मुश्किल इस परीक्षा में एक चिंताजनक ट्रेंड सामने आया है कि छात्रों में इसके प्रति धीरे-धीरे बेरुखी बढ़ती जा रही हैं। हर साल फॉर्म भरने वाले और परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्रों का अंतर बढ़ रहा हैं।
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अपीयर होने वाले छात्रों में कमी
यूपीएससी सूत्रों के अनुसार, फॉर्म भरने के बाद छात्रों के परीक्षा न देने से संसाधन बिना उपयोग बर्बाद होते हैं। इसका हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे ऐसे लोग फॉर्म भर सकें, जो गंभीर हों। इस साल 9,47,428 छात्रों ने सिविल सर्विसेज परीक्षा का फॉर्म भरा था। लेकिन प्रारंभिक परीक्षा में मात्र 4,46,623 छात्र ही अपीयर हुए। जबकि 52 प्रतिशत छात्र फॉर्म भरने के बाद भी परीक्षा में नहीं शामिल हुए। इस आकड़े में पिछले चार सालों में 10 प्रतिशत इजाफा हुआ है।
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पिछले चार वर्षों की सफलता पाने की औसत उम्र
24-26 साल : 25.6%
26-28 साल : 25.5%
28-30 साल : 17.4%
21-24 साल : 15.9%
30 साल और ऊपर : 15.6%
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नए सिरे से कर रही विचार
आयोग की हाल ही में रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर यूपीएससी परीक्षा रिफॉर्म को लेकर पहल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, उम्र घटाने को लेकर सबसे ज्यादा चुनौती और दबाव है। यूपीएससी की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर छात्र शुरुआती उम्र में ही परीक्षा में बैठते हैं और 70 फीसदी से ज्यादा छात्र 28 साल की उम्र में सफल होते हैं। इसी आधार पर और बसावन कमिटी की रिपोर्ट की अनुशंसा पर सरकार इस बारे में नए सिरे से विचार कर सकती है। अनुशंसा में उम्मीदवारों की उम्र और प्रयास में कमी के साथ ऑप्शनल सब्जेक्ट को हटाकर उनकी जगह प्रैक्टिकल एक्जाम पर अधिक फोकस करने को कहा गया है। कमिटी के मुताबिक, सिविल सर्विस एग्जाम में बैठने की उम्र को चरणों में घटाने की आवश्यकता है।