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IET: मुन्‍नाभाई ने खोली प्रोफेसर्स की पोल, अब कैसे बचाएंगे अपने चहेतों को वीसी

छात्र ने खुद अपना पेपर सेट किया और खुद परीक्षा देकर अपनी उततर पुस्तिका का मूल्‍यांकन भी कर डाला। इतना ही नहीं उसने खुद कंप्‍यूटर में अपने नंबर भी चढ़ा लिए। न्‍यूजट्रैक डॉट कॉम ने इस मामले का खुलास किया था

zafar
Published on: 18 May 2017 6:23 PM GMT
IET: मुन्‍नाभाई ने खोली प्रोफेसर्स की पोल, अब कैसे बचाएंगे अपने चहेतों को वीसी
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IET: मुन्‍नाभाई ने खोली प्रोफेसर्स की पोल, अब कैसे बचाएंगे अपने चहेतों को वीसी

लखनऊ: राजधानी स्थित डा एपीजे अब्‍दुल कलाम टेक्निकल इंस्टिट्यूट के स्वायत्त संस्‍थान इंस्‍टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टे‍क्‍नॉलॉजी में बीते दिनों एक अद्भुत मुन्‍नाभाई पकड़ा गया था। जिसने अपनी पीएचडी के दौरान खुद अपना पेपर सेट किया और खुद परीक्षा देकर अपनी उततर पुस्तिका का मूल्‍यांकन भी कर डाला। इतना ही नहीं उसने खुद कंप्‍यूटर में अपने नंबर भी चढ़ा लिए।

न्‍यूजट्रैक डॉट कॉम ने इस मामले का खुलास किया था और इसके बाद दोषी छात्र के निष्‍कासन के साथ साथ उस पर एफआईआर भी दर्ज हो गई थी। अब छात्र ने वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को ई मेल के जरिये पत्र लिखकर इस काम के लिए उसे उकसाने वाले प्रोफेसर्स के नाम खोल दिये हैं।

आगे स्लाइड में खुद फंस गये मुन्ना भाई को पकड़ कर...

जिसने पकड़ा, वही फंस गया

आईईटी के पूर्व डॉयरेक्‍टर एएस विद्यार्थी ने बताया कि 2016-17 की विषम सेमेस्‍टर परीक्षाओं के इंचार्ज इवैल्‍यूएशन प्रोफेसर गिरीश चंद्रा ने एक मामला पकड़ा। जिसमें एक रिसर्च स्‍कॉलर देवेश ओझा ने डयूरेबिलिटी ऑफ कांक्रीट स्‍ट्रक्‍चर्स का पेपर खुद सेट करके खुद ही परीक्षा दे ली। इतना ही नहीं उसने खुद ही कॉपी का मूल्‍यांकन करके नंबर भी चढ़ा लिए।

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ये मामला पता लगने पर तीन सदस्‍यीय कमेटी का गठन करके मामले की जांच की गई। इस कमेटी में डीन पीजी एंड रिसर्च प्रोफेसर शैलेंद्र सिंहा, डीन एकेडेमिक्‍स प्रोफेसर संजय श्रीवास्‍तव और चेयरपरसन प्रोफेसर भारती दि्वेदी शामिल थे। इनकी जांच में मामला सही पाया गया और जांच कमेटी की सिफारिश पर देवेश ओझा के पीएचडी पंजीकरण को निरस्‍त कर दिया गया।

इसके अलावा देवेश ओझा को आगे कभी आईईटी लखनऊ द्वारा किसी भी पीएचडी प्रोग्राम में पंजीकरण करने से लेकर पूरी तरीके से बैन कर दिया गया। हालांकि इसके साथ ही उन्‍होंने संदिग्‍ध भूमिका वाले प्रोफेसर्स को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसके बाद शासन ने डायरेक्‍टर पर ही जांच बैठा दी। पूर्व डायरेक्‍टर एएस विद्यार्थी ने कहा कि इस जांच को बैठाने का उद्देश्‍य दोषी शिक्षकों को बचाना है।

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छात्र ने लिए प्रोफेसर्स के नाम

आईईटी के मुन्‍ना भाई देवेश ओझा ने बताया कि उसने 14 मई को ई मेल के जरिए एक पत्र लिखकर एकेटीयू के वाइस चांसलर से न्‍याय मांगा है। उसने अपने पीएचडी मेंटर प्रोफेसर जेबी श्रीवास्‍तव से लेकर एचओडी प्रोफेसर एनबी सिंह, प्रोफेसर कैलाश नारायण पर उससे जबरदस्‍ती पेपर सेट करवाने और मूल्‍यांकन के लिए उकसाने का आरोप लगाया।

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इसके अलावा मामला खुलने पर सारा आरोप अपने सर पर लेने और आगे उसे जांच से बचा लेने का दावा किया। लेकिन अब उसका कोई साथ नहीं दे रहा है। देवेश ओझा ने बताया कि वह जांच कमेटी के सामने दोषी शिक्षकों का भी नाम लेगा।

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वीसी बोले- नहीं मिला मेल

एकेटीयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि उन्‍हें देवेश ओझा का कोई मेल नहीं मिला है। वीसी ने दावा किया कि उनके पसर्नल सेक्रेटरी ने देवेश ओझा से बात की है और देवेश ओझा ने किसी ई मेल को न भेजने की बात कही है। जबकि न्‍यूज ट्रैक डॉट कॉम से बातचीत में देवेश ओझा ने ई मेल के जरिए अपनी बात वाइस चांसलर को बताना स्‍वीकारा है।

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