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IITR में कल ओपेन डे सेलिब्रेशन, छात्र संग कॉमन मैन देख सकेंगे अनोखे रिसर्च
राजधानी स्थित इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) में मंगलवार को ओपेन डे सेलिब्रेशन का अायोजन किया जाएगा। इस दिन आईआईटीआर को आम नागरिकाें और स्कूल छात्रों के लिए खोल दिया जाएगा। कोई भी व्यक्ति यहां आकर आईआईटीआर के पिछले 50 सालों के शोध कार्यों और अनोखे रिसर्च को देख और समझ सकेगा।
लखनऊ: राजधानी स्थित इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) में मंगलवार को ओपेन डे सेलिब्रेशन का अायोजन किया जाएगा। इस दिन आईआईटीआर को आम नागरिकाें और स्कूल छात्रों के लिए खोल दिया जाएगा। कोई भी व्यक्ति आईआईटीआर के पिछले 50 सालों के शोध कार्यों और अनोखे रिसर्च को देख और समझ सकेगा।
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गोल्डन जुबली इयर का ओपेन डे होगा स्पेशल
-आईआईटीआर के डायरेक्टर डाॅॅ आलोक धवन ने बताया कि आईआईटीआर की स्थापना 1965 में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च की लैब के रूप में हुई थी।
-इस समय हम गोल्डन जुबली ईयर सेलिब्रेट कर रहे हैं।
-पिछले 50 सालों में संस्थान के वैज्ञानिकाें ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के कई शोध कार्यों को अंजाम दिया है।
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-हमारी कोशिश रहती है कि हम ऐसे शोध करें जिससे हर व्यक्ति खुद को साइंस से एसोसिएट कर पाए।
-इस बार गोल्डन जुबली पर होने वाले ओपेन डे को हम एकदम स्पेशल बना देंगे।
सीमैप के पूर्व डायरेक्टर करेंगे इनोगरेशन
-संस्थान के सांइटिस्ट डॉ कैलाश चंद्र खुल्बे ने बताया कि आईआईटीआर में मंगलवार को सुबह 10 बजे ओपेन डे सेलिब्रेशन स्टार्ट होगा।
-इस कार्यक्रम का इनोगरेशन स्काइज लाइफ टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर और मेंटर डॉ एसपीएस खनूजा करेंगे।
-ये सीमैप संस्थान लखनऊ के डायरेक्टर भी रह चुके हैं।
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-डॉ एसपीएस खनूजा इस मौके पर अपनी साइंटिफिक लाइफ के रेयर एक्सपीरियंस भी शेयर करेंगे।
-ये पूरा कार्यक्रम इंडिया इंटरनेशनल सांइस फेस्टिवल के सेलिब्रेशन में चार चांद लगाने के लिए किया जा रहा है।
संस्थान केे ये रिसर्च हैं बेहद खास
-साइंटिस्ट डॉ के सी खुल्बे ने बताया कि आईआईटीआर के रिसर्च वर्क ने आम आदमी के जीवन को काफी हद तक सरल बनाया है।
-संस्थान ने दो घड़ों की मदद से घरेलू पानी शुद्ध करने वाला यंत्र 'अमृत कुंभ' बनाया था।
-ग्रामीण इलाकों में दूषित पेयजल से होने वाली बीमारियों को इस यंत्र के सहारे काफी हद तक रोका जा सका है ।
-इसके अलावा एक ऐसी किट भी बनाई गई है, जिससे पीने के पानी में मौजूद बैक्टीरिया के बारे में पता चलता है।
-यहांं साइंटिस्टों ने एक ऐसी स्ट्रिप भी बनाई है, जो खाद्य तेल में कार्सिनोजेनिक (कैंसर देने वाले) रंग बटर यलो की जांच कर सकती है।
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-घरेलू महिलाएं इस स्ट्रिप की मदद से खुद जान सकती है कि खाद्य तेल या मक्खन में कोई कार्सिनोजेनिक तत्व तो नहीं मिलाया गया है।
-इतना ही नहीं इस संस्थान के वैज्ञानिक नागपुर के नीरी संस्थान के साथ मिलकर नमामि गंगे परियोजना में बैक्टीरिया की जानकारी जुटाने और स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े हुए हैं।
-इसके अलावा आईआईटीआर में एक अनोखे फूड सेंसर को डिजाइन किया गया है, जो किसी भी खाने वाली चीज में मौजदू हार्मफुल सब्सटेंस की सही मात्रा बता सकता है।