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कॅरियर को आगे ले जाने के लिए बढ़ाएं विदेशी भाषाओं का ज्ञान

raghvendra
Published on: 20 July 2018 4:20 PM IST
कॅरियर को आगे ले जाने के लिए बढ़ाएं विदेशी भाषाओं का ज्ञान
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विश्व का बाजार जैसे-जैसे लोगों की पहुंच में होता जा रहा है वैसे-वैसे विदेशी भाषाओं के जानकारों की मांग बढ़ती जा रही है। इन दिनों हर कोई मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करना चाहता है क्योंकि रोजगार का कोई भी क्षेत्र हो, केवल हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ही पर्याप्त नहीं रहा है। अब विदेशी भाषा की भूमिका भी अहम है। आइए जानते हैं कि विदेशी भाषाओं को जानने के बाद और क्या मौके मिलते हैं।

बढ़ते हैं रोजगार के अवसर

विदेशी भाषा सीखने वालों के लिए अनगिनत जॉब हैं। भाषा सीखने वाले कई सरकारी व प्राइवेट जगहों पर रोजगार पा सकते हैं। मल्टीनेशनल कंपनियों के विभिन्न डिपार्टमेंट में विदेशी भाषा के जानकारों की मांग है। वहीं अलग-अलग देशों से पर्यटक यहां व्यापार के विस्तार के लिए आते हैं जिसके लिए एस्कॉर्ट और गाइड की जरूरत होती है। पर्यटन के अलावा कई मल्टीनेशनल कंपनियों में ऐसे भाषा अनुवादक, तकनीकी स्क्रिप्ट राइटर की आवश्यकता होती है जो किसी भी दो भाषा में निपुण हों। होटल, रिसोर्ट, एयरलाइन्स, टूर एंड ट्रेवल्स कंपनियों में विदेशी भाषा का ज्ञान रखने वालों को प्राथमिकता दी जाती है एवं उनका पैकेज भी अन्य कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा होता है। कई कंपनियां ऐसी भी हैं जो अपने कर्मचारियों को तकनीकी प्रशिक्षण के लिए भेजती हैं। इसके लिए भी उन्हें विदेशी भाषा की जानकारी होना जरूरी है।

पढ़ाई एवं शोधकार्य में मदद

पहले की तुलना में भारतीय स्टूडेंट्स का रुझान दिन-प्रतिदिन विदेशों में हायर एजुकेशन के लिए बढ़ता जा रहा है। इसमें भी विदेशी भाषा के जानकारों को मदद मिलती है। जैसे आजकल जर्मनी हायर एजुकेशन के लिए टॉप डेस्टिनेशन वाली जगह बन गई है। खासतौर से ऑटोमोबाइल, मैकेनिक एवं ऑटोमेशन ब्रांच के स्टूडेंट्स इस जगह जाना ज्यादा पसंद करते हैं। अच्छी बात यह है कि यहां मास्टर डिग्री की पढ़ाई का शुल्क बहुत ही कम है। इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट के छात्रों का रुझान ज्यादा है जिसके लिए वे विदेशी भाषा को केंद्रित करते हैं। जर्मनी के अलावा फ्रांस, स्विट्जरलैंड, रूस आदि में पढ़ाई के लिए जाना स्टूडेंट्स पसंद करते हैं।

विदेश जाना आसान

कई बार आपके दोस्त, रिश्तेदार आदि विदेशों में रहते हैं। उनसे रिश्ते मजबूत बनाने के लिए विभिन्न भाषाओं का ज्ञान मददगार हो सकता है। साथ ही ऐसे व्यक्ति जो विदेश में रहने की सोच रहे हैं उनके लिए वहां की भाषा को जानना जरूरी है। कई देशों में उस देश के भाषा के जानकारों को जल्दी वीजा मिल जाता है।

बने लैंगवेज ट्रेनर

इन दिनों जिस तरह से विभिन्न भाषाओं की डिमांड बढ़ रही है वैसे ही भाषा प्रशिक्षकों की डिमांड में भी इजाफा हुआ है। आगामी वर्षों में लगभग सभी स्कूलों व यूनिवर्सिटी में इन प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। ऐसे में अगर आपको किसी एक भी विदेशी भाषा की जानकारी है तो वहां आप पढ़ा भी सकते हैं।

ऐसे करें भाजपा का चयन

कई बार आपको कुछ करने की की इच्छा तो होती है, लेकिन समझ में नहीं आता है कि भाषा का चयन कैसे हो? कौन सी भाषा सीखेें? आदि प्रश्नों का हल ढूंढना थोड़ा मुश्किल है। वैसे आपको जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल नौकरी के लिहाज से सबसे ज्यादा डिमांड जर्मन भाषा की है। इसके बाद जापानी, चाइनीज, फ्रेंच, स्पेनिश और इटेलियन को पसंद किया जाता है।

जापानी व चाइनीज भाषा कठिन है जिसके लिए लंबा समय व धैर्य चाहिए होता है। भारतीय मल्टीनेशनल कंपनियों में ज्यादा कंपनियों का जर्मनी की होना भी इस भाषा की पहुंच बढ़ाता है। वहीं होटल एवं हॉस्पिटैलिटी में फ्रेंच, स्पेनिश और जर्मन की काफी डिमांड है। लेकिन फ्रेंच और स्पेनिश में प्रतिस्पर्धा ज्यादा है। वर्तमान में कॅरियर और हायर एजुकेशन के नजरिए से जर्मन भाषा को चुनना सही निर्णय हो सकता है।

किस स्तर को हो पढ़ाई

विदेशी भाषा का स्तर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट एवं विश्वविद्यालयों में अलग-अलग होता है जो कि पूरे विश्व में मान्य है। कई विश्वविद्यालयों में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पोस्ट डिप्लोमा, डिग्री कोर्सेज हैं। इन्हें आप ऑप्ट कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें डिग्री और मास्टर्स कोर्स भी होते हैं। कुछ बड़े संस्थान इसमें पीएचडी भी करवाते हैं। पीएचडी करने के बाद आप भी किसी यूनिवर्सिटी में पढऩे के लिए योग्य हो जाते हैं।

इन क्षेत्रों में मिलता है अवसर

विदेशी भाषा सीखने के बाद आपको मल्टीनेशनल कंपनियां, होटल एवं रिसोट्र्स, टूर एंड ट्रेवल्स कंपनियां, आउटसोर्सिंग कंपनियां, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय, पत्रकारिता, अनुवादक, दुभाषिया आदि रूपों में एस्कोर्टिंग एवं गाइडिंग,एयरलाइन्स कंपनियां, विदेशी दूतावास, इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां, ऑनलाइन बिजनेस आदि में अच्छे पैकेज पर जॉब्स मिल जाता है। इसमें शुरुआती सैलरी भी 30-40 हजार रुपये मिल जाती है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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