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LU में NCFSE पर हुई 7 घण्टे चर्चा: तमाम विद्वानों ने रखे मत, VC बोले- 'पढ़ाने से पहले तय करें शिक्षक, क्यों, कैसे और कब पढ़ाया जाए'

Lucknow University: कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने सत्र का उद्घाटन किया और इस तथ्य पर जोर दिया कि प्रत्येक शिक्षक को पढ़ाने से पहले यह तय करना चाहिए कि क्यों, कैसे और कब पढ़ाया जाए।

Shashwat Mishra
Published on: 10 Aug 2022 8:30 PM IST
Lucknow University
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Lucknow University (Image: Social Media)

Lucknow University: एनसीईआरटी के सहयोग से बुधवार को लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के शिक्षा विभाग के सभागार में स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफएसई) के विकास के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर नागरिक समाज समूहों के साथ एक परामर्श कार्यशाला का आयोजन 7 घण्टे तक किया गया l डीओई की प्रो.अमिता बाजपेयी ने स्वागत भाषण दिया। जिसके बाद, कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने सत्र का उद्घाटन किया और इस तथ्य पर जोर दिया कि प्रत्येक शिक्षक को पढ़ाने से पहले यह तय करना चाहिए कि क्यों, कैसे और कब पढ़ाया जाए।

इन विद्वानों ने साझा किये अपने विचार

कार्यक्रम के समन्वयक व प्रिंसिपल आरआईई प्रोफेसर एस वी शर्मा ने एनसीएफ प्रक्रिया, संरचना और अब तक की प्रगति के अवलोकन पर बात की। केजीएमयू के वीसी लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि शिक्षण और सीखने की पूरी प्रक्रिया में लक्ष्य, उद्देश्य, मील के पत्थर और सपने होने चाहिए, जिनको हासिल किया जाना चाहिए। प्रो. जे. वी. वैशम्पायन ने उल्लेख किया कि शिक्षा की गुणवत्ता केवल पाठ्यक्रम पर ही नहीं बल्कि निर्देश और मूल्यांकन की प्रक्रिया पर भी निर्भर करती है, जो बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रो राकेश चंद्र ने अपने क्षेत्र के अनुभव साझा किए और जोर दिया कि बच्चों को उचित सम्मान देना और उन्हें सुनना बहुत महत्वपूर्ण है। केजीएमयू की प्रो. शैली अवस्थी ने स्वास्थ्य और कल्याण पर बात की। एनसीईआरटी प्रो. सरयुग यादव ने पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के बीच संबंध पर श्रोताओं को प्रबुद्ध किया।

दोपहर के सत्र में संबंधित नागरिक समाज संगठनों द्वारा प्रस्तुतिकरण और चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों के डॉक्टर, प्रधानाचार्य, शिक्षक, गैर सरकारी संगठन कार्यकर्ता, शोध छात्र और अन्य नागरिक समाज समूहों ने भाग लिया। समापन टिप्पणी, सारांश और धन्यवाद प्रस्ताव प्रो. तृप्ता त्रिवेदी, प्रमुख और डीन, शिक्षा संकाय, एलयू द्वारा दिया गया।



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Rakesh Mishra

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