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India Best Teachers: सोशल मीडिया के हीरो ये मास्टरसाहब, ऐसा है पढ़ाने का इनका अंदाज

India Best Teachers:: बच्चों को सफलता के इस मुकाम में पहुचाने वाले कुछ ऐसे महान टीचर्स हैं जिनकी जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है।

Vidushi Mishra
Written By Vidushi Mishra
Published on: 17 Nov 2022 10:34 PM IST (Updated on: 18 Nov 2022 9:07 AM IST)
bihar rk srivastava
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बेस्ट टीचर्स (फोटो- सोशल मीडिया)

India Best Teachers: एक उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षित होना बहुत ही जरूरी है। टेक्नोलॉजी जिस तरह से आगे बढ़ रही है उसी तरह से शिक्षा का स्तर भी दिन-प्रति-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के पढ़ाने के तरीके में भी कुछ परिवर्तन लाए जाएं, जिससे बच्चों का जितना मन गेम्स, मोबाइल में लगता है उतना ही मन पढ़ाई में भी लगे। उन्हें पढ़ाई की वैल्यू पता हो। तभी बच्चों की पढ़ाई के लिए रूचि बढ़ेगी और फिर उन्हें सफलता प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता है। बच्चों को सफलता के इस मुकाम पर पहुंचानें वाले कुछ ऐसे महान टीचर्स हैं जिनकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी ही कम है। ये टीचर्स बच्चों को सिर्फ पाठ्यक्रम का सिलेबस पूरा कराने के लिए नहीं पढ़ाते हैं बल्कि चैप्टर पूरा कराने के साथ उनकी जिंदगी को लेकर उनके मोटिव को भी आगे बढ़ाते हैं। आइए ऐसे ही महान टीचर्स के बारे में आपको बताते हैं-

विकास दिव्यकीर्ति सर


विकास दिव्यकीर्ति सर, जिन्हें यूपीएससी की तैयारी करने वाला बच्चा-बच्चा जानता होगा। इंटरनेट पर डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के तमाम वीडियोज हैं। आप उन वीडियोज में डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के पढ़ाने के ढंग को जब देखेंगे, तो आप भी उन सभी बच्चों की तरह उनके मुरीद बन जाएंगे। चाहे कोई भी विषय हो, उनके पढ़ाने का अनोखा अंदाज ही उन्हें सबसे अलग पहचान दिलाता है। इसी वजह से तैयारी करने वाले बच्चों के पसंदीदा सर डॉ. विकास दिव्यकीर्ति हैं।

बिहार के मशहूर टीचर आरके श्रीवास्तव

अब बात करें अगर बिहार के मशहूर टीचर आरके श्रीवास्तव की, तो सैकड़ों बच्चों को इंजीनियर बनाने के पीछे इनका सबसे बड़ा योगदान है। बिहार के मैथमेटिक्स गुरू के नाम से फेमस आरके श्रीवास्तव जो 1 रुपए गुरु दक्षिणा लेते हैं और बच्चों को काबिल बनाकर ही छोड़ते हैं। आरके श्रीवास्तव के पढ़ाने का तरीका बच्चों को बहुत पसंद आता है। साल की शुरूआत से लेकर परीक्षा के एक दिन पहले तक अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए रात-दिन एक करने वाले मैथमेटिक्स गुरू को आज पूरा देश सलाम करता है। आपको बता दें कि इन्होंने 1 रूपये गुरू दक्षिणा लेकर आज सैकड़ों गरीब बच्चों की जिंदगी संवार दी है।


आरके श्रीवास्तव ने अपने संघर्ष भरे जीवन में कभी हार नहीं मानी। लाखों मुसीबतें आई, कई परेशानियों ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की, मगर आरके श्रीवास्तव कभी रूके नहीं। आज यही शिक्षा आरके श्रीवास्तव अपने बच्चों को देते हैं कि जीवन में कभी हार मत मानना, मुश्किलें तो आती रहेंगी, लेकिन उन्हीं मुश्किलों को पार करके बहुत आगे निकलना।

आज जो 1 रूपया गुरू दक्षिणा लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं उन्होंने कभी गरीबी के ऐसे दिन भी देखें हैं कि उन्हें ऑटो रिक्शा चला कर अपने घर का खर्चा निकालना पड़ा था। लेकिन अपनी जिंदगी को भगवान का एक उपहार समझते हुए आरके श्रीवास्तव ने आज अपने घर-परिवार को संवारने के साथ कई गरीब बच्चों को काबिल बनाकर उनका घर संवारा है।

अवध ओझा सर


वैसे आपने इलाहाबाद के ओझा सर के बारे में भी बहुत सुना होगा। आखिर टीचर अवध ओझा बच्चों को अपना दीवाना जो बना देते हैं। मतलब पढ़ाई में। जीं हां बच्चों को ओझा सर की क्लास करने में बहुत ही आनंद आता है। कई बच्चों का तो ये भी कहना है कि ओझा सर क्लास में ऐसे पढ़ाते हैं जैसे आम भाषा में हमसे बातचीत कर रहे हों। इनका पूरा नाम अवध प्रताप ओझा है। ओझा सर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं।

UPSC की तैयारी करने वाले करीबन करोड़ो अभ्यर्थी अवध ओझा सर की क्लास में पढ़ते हैं जबकि हजारों बच्चों का ओझा सर से लाइव पढ़ने का सपना होता है। अपने 22 साल के संघर्ष के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखने के बाद आज ओझा सर के बच्चे उनके फैन बन चुके हैं।

ओझा सर के बारे में सबसे खास बात ये है कि अवध ओझा हर साल 20 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। लेकिन इसके लिए एक शर्त रखते हैं कि सिलेक्शन होने के बाद छात्र पैसा देंगे। इसके लिए बच्चों को एक क्वालिफाई टेस्ट पास करना होता है।

अपने कोचिंग इंस्टीट्यूट के बारे में बात करते हुए अवध ओझा कहते हैं, कोचिंग में कई बच्चे ऐसे भी एडमिशन लेने आते हैं जिनके पास खाने भर के पैसे नहीं होते हैं। किसी के पिता एटीएम में गार्ड की नौकरी करते हैं तो किसी की मां घर-घर का चौका-बर्तन करती है। आज के दौर में भी कई होनहार बच्चे पैसे का मुंह देखकर सफलता की राह में पीछे रह जाते हैं। आज भी इस चीज की कमी खलती है कि मैं IAS नहीं बन पाया, क्योंकि मुझे उस समय कोई सही रास्ता दिखाने वाला नहीं था।

सही बात हैं कि मौका रहते इंसान ने सही कदम चल दिया, तो वो मुक्कदर का सिकंदर बन जाता है। तो ये सभी वही टीचर्स हैं जो बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाई कराते हैं और उन्हें एक काबिल और सफल इंसान बना कर ही छोड़ते हैं।



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