TRENDING TAGS :
#NationalMathematicsDay: श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर की 131वीं जयंती आज, 11 पॉइंट्स में जानें रोचक बातें
नई दिल्ली: श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे, जिनकी जयंती 22 दिसंबर को होती है। 22 दिसंबर को उनकी जयंती के मौके पर पूरा देश राष्ट्रीय गणित दिवस के रुप में मनाता है। रामानुजन् को आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है।
यह भी पढ़ें: अल्का लांबा के समर्थन में आगे आई कांग्रेस, माकन ने किया ट्वीट
बता दें, उन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी उन्होंने विश्लेषण और संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। उन्होंने अपने प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए वरन भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया। चूंकि, आज श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर की 131वीं जयंती है, इसलिए आज हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक बातें बताएंगे।
यह भी पढ़ें: कश्मीर: सेना को मिली बड़ी कामयाबी, सुरक्षाबलों ने ढेर किए 6 आतंकी
यहां जानें श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर के बारे में रोचक बातें
- रामानुजन् बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान थे।
- उन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं।
- उन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहा है।
- हाल में रामानुजन् के सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है।
- उनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिये रामानुजन जर्नल की स्थापना की गई है।
- 22 दिसंबर 1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के ईरोड नामके गांव में जन्मे रामानुजन में अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है।
- कॉलेज छोड़ने के बाद का पांच वर्षों का समय इनके लिए बहुत हताशा भरा था। भारत इस समय परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा था। चारों तरफ भयंकर गरीबी थी। ऐसे समय में रामानुजन के पास न कोई नौकरी थी और न ही किसी संस्थान अथवा प्रोफेसर के साथ काम करने का मौका।
- गणित के प्रति अगाध श्रद्धा ने उन्हें कर्तव्य मार्ग पर चलने के लिए सदैव प्रेरित किया। नामगिरी देवी रामानुजन के परिवार की ईष्ट देवी थीं। उनके प्रति अटूट विश्वास ने उन्हें कहीं रुकने नहीं दिया और वे इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी गणित के अपने शोध को चलाते रहे।
- रामानुजन को ट्यूशन से कुल पांच रूपये मासिक मिलते थे और इसी में गुजारा होता था। रामानुजन का यह जीवन काल बहुत कष्ट और दुख से भरा था। इन्हें हमेशा अपने भरण-पोषण के लिए और अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए इधर उधर भटकना पड़ा और अनेक लोगों से असफल याचना भी करनी पड़ी।
- रामानुजन और इनके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं।
- एक बहुत ही सामान्य परिवार में जन्म ले कर पूरे विश्व को आश्चर्यचकित करने की अपनी इस यात्रा में इन्होने भारत को अपूर्व गौरव प्रदान किया।