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NCERT की पहल, सिलेबस में 4 साहिबजादों की शहादत
इस बीच नैशनल काउंसिल ऑफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) अगले सेशन से अपने सिलेबस में सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की शहादत का इतिहास शामिल करने के लिए तैयार हो गया है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (डीएसजीपीसी) के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस बात की जानकारी दी। देश-विदेश में चार साहिबजादों का शहीदी पूरब मनाया जा रहा है। वहीं इनकी शहादत के बारे में लोगों को जागरुक करने की मुहिम भी चलाई जा रही है।
नई दिल्ली: इस बीच नैशनल काउंसिल ऑफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) अगले सेशन से अपने सिलेबस में सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की शहादत का इतिहास शामिल करने के लिए तैयार हो गया है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (डीएसजीपीसी) के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस बात की जानकारी दी। देश-विदेश में चार साहिबजादों का शहीदी पूरब मनाया जा रहा है। वहीं इनकी शहादत के बारे में लोगों को जागरुक करने की मुहिम भी चलाई जा रही है।
एनसीईआरटी के सचिव ने सराहा
एनसीईआरटी के सचिव मेजर हर्ष कुमार ने मनजिंदर सिंह सिरसा को एक पत्र लिखा है। हर्ष ने चार साहिबजादों की शहादत का इतिहास सिलेबस में शामिल किए जाने की सिरसा के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि देश में एजुकेशन को लेकर न्यू पॉलिसी तैयार की जा रही है। इसके अंतर्गत स्कूलों के लिए नैशनल सिलेबस तय किए जाएंगे। हर्ष ने लेटर में लिखा है कि जो जानकारी आपकी की ओर से मिली है उन्हें एक्सपर्ट कमिटी/टेक्स्ट बुक डिवेलपमेंट कमिटी के सामने रखा जाएगा।
NCERT की पहल
एनसीईआरटी की इस पहल पर सिरसा ने कहा कि इन साहिबजादों की शहादत की मिसाल दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं मिलती, जिन्होंने देश और मानवता के लिए कुर्बानी दी। ऐसे में डीएसजीपीसी की ओर से यह मामला सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उठाया गया था। इसमें उनसे भी अपील की गई थी कि वह इस काम को पूरा करने के लिए निर्देश जारी करें। सिरसा ने बताया कि डीएसजीपीसी के अलावा अकाल तख्त की तरफ से भी साहिबजादों की शहादत को इतिहास में दर्ज कराने के लिए मुहिम चलाई जा रही है।
क्या है मकसद?
सिरसा ने बताया कि उनका मकसद नई पीढ़ी को देश और मानवता के लिए अपनी जान देने वाले चार साहिबजादों की शहादत से रूबरू करवाना है। उनका कहना है कि इस बात की जानकारी देश के बच्चों को होनी चाहिए कि कौन सी घटना कब और कैसे घटी जिस के साथ देश का मौजूदा स्वरूप तय हुआ। सिरसा ने राज्यों के स्कूल बोर्डों से भी अपील की है कि वह इस महान शहादत का इतिहास अपने सिलेबस में सम्मिलित करें, जिससे इन राज्यों में पढ़ने वाले बच्चें भी साहिबजादों की बहादुरी को जान सकें।