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यहां भाषागत अध्ययन पर राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन

सामाजिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक ताने-बाने को आपस में जोड़ने वाली भाषाएं किस तरह विश्व भर की सभ्यताओं के विकास में अपना योगदान देती हैं और आज के परिदृश्य में विभिन्न सामाजिक मुद्दों के समाधान ये किस प्रकार सहयोगी हो सकती हैं।

Anoop Ojha
Published on: 22 Feb 2019 4:14 PM GMT
यहां भाषागत अध्ययन पर राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन
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लखनऊ: सामाजिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक ताने-बाने को आपस में जोड़ने वाली भाषाएं किस तरह विश्व भर की सभ्यताओं के विकास में अपना योगदान देती हैं और आज के परिदृश्य में विभिन्न सामाजिक मुद्दों के समाधान ये किस प्रकार सहयोगी हो सकती हैं। इसी केन्द्र बिन्दु पर चर्चा के लिए एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज ने अपने छठें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

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मूविंग मार्जिनः भाषा अनुवाद, संचार और सामाजिक विज्ञान में अध्ययन विषय पर आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, विशिष्ट अतिथि डॉ. विनीता शंकर, निदेशिका सासाकावा, इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन, मुख्य वक्ता डॉ. एस. रामारतनम कुलपति जगदगुरु कृपालू विश्वविद्यालय ओडिसा, डॉ. सुनील धनेश्वर कार्यवाह प्रति कुलपित एमिटी विवि लखनऊ परिसर, नरेश चन्द्रा, निदेशक परियोजना एमिटी विवि लखनऊ परिसर एवं डॉ. कुमकुम रे निदेशिक एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

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मुख्य अतिथि डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय ने अपने सम्बोधन में भाषा और साहित्य के अंतर सम्बंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि भाषा और साहित्य के बीच एक-दूसरे को जोड़ने वाले विभिन्न आयामों पर वृहद शोध करने की आवश्यकता है। इस शोध कार्य में इन अंतर सम्बंधों के विषय में विश्लेषण करने के लिए भाषा और साहित्य दोनों ही क्षेत्रों में गहन अध्ययन किया जाना चाहिए। आपसी संवाद इनका प्रमुख ध्येय माना जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में भाषाओं के व्याकरण में तेजी से बदलाव आ रहा है। जिसका कारण सम्प्रेषण के माध्यमों का तकनीकी विकास और तेज गति से भागती जीवनचर्या बन रहा है।

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इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. कुमकुम रे ने सम्मेलन की विषयवस्तु को पटल पर रखते हुए आज सोशल मीडिया के संदर्भ में भाषायी कुशलता के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. विनीता शंकर ने सम्मेलन में कुष्ठ रोग और कुष्ठ रोगियों के प्रति ध्यानाकृष्ट कराते हुए कहा कि समाज में कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास और उनकी जीविका की व्यवस्था करना आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के जरिए यह सिद्ध हो चुका है कि कुष्ठ रोग का प्रसार छूने या सम्पर्क में आने से नहीं होता है।सम्मेलन में लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो. मीनाक्षी पाहवा, लेखक एवं दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी, इंटीग्रल विवि लखनऊ के डीन प्रो. सैयद जहीर हसन आबदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के विद्यार्थियों ने महाकाव्य महाभारत पर आधारित नाटक चक्रव्यूह का मंचन भी किया।

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अतुलसत्य कौशिक द्वारा लिखित इस नाटक में अतुल यादव, पुनीत पाठक, व्योमकेश, मरियम और अंकुर शर्मा आदि विद्यार्थियों ने अपने अभिनय से महाभारत के पात्र भीष्म, दुर्योधन, कृष्ण, अभिमन्यु और युधिष्ठिर आदि का जीवंत अभिनय कर लोगों को नाटक की कथावस्तु से जोड़ा। सम्मेलन में शोधपत्र प्रस्तुति के कई सत्रों के दौरान विभिन्न विषयों पर 24 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। सम्मेंलन में लखनऊ विश्वविद्यालय, इंटीग्रल विश्वविद्यालय, बीबीडी लखनऊ, राजकीय पोस्ट ग्रेजुएट नेहरू कॉलेज, झज्जर, डीएवी पीजी कॉलेज लखनऊ आदि संस्थानों से आये प्रतिनिधियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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