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ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की बुक्स अगले साल से हिंदी, बांग्ला में होंगी उपलब्ध
हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के बढ़ते महत्व के मद्देनजर ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) अगले साल जनवरी में भारतीय भाषा प्रकाशन कार्यक्रम की शुरुआत करेगा। जिसके तहत शुरुआत में हिंदी और बांग्ला भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन किया जाएगा और भविष्य में अन्य भारतीय भाषाओं को भी इसमें जोड़ा जाएगा।
नई दिल्ली: हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के बढ़ते महत्व के मद्देनजर ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) अगले साल जनवरी में भारतीय भाषा प्रकाशन कार्यक्रम की शुरुआत करेगा। जिसके तहत शुरुआत में हिंदी और बांग्ला भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन किया जाएगा और भविष्य में अन्य भारतीय भाषाओं को भी इसमें जोड़ा जाएगा।
एक विज्ञप्ति के मुताबिक, इस कार्यक्रम के तहत हिंदी और बांग्ला में नई किताबों के प्रकाशन के साथ ही ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस अपनी पूर्व-प्रकाशित पुस्तकों का अनुवाद भी प्रिंट और डिजिटल संस्करण में पाठकों को उपलब्ध कराएगा।
ज्ञान का प्रसार करना हमारा उद्देश्य
यूनिवर्सिटी प्रेस के निदेशक डॉ. सुगाता घोष के मुताबिक, भारतीय आबादी का बड़ा हिस्सा अपनी स्थानीय भाषाओं में पढ़ने लिखने का अभ्यस्त है। ये पाठक भाषाई सीमाओं के कारण अन्य भाषाओं में प्रकाशित रचनाओं को पढ़ नहीं पाते। उन्होंने कहा कि अकडेमिक प्रेस होने के नाते शैक्षणिक गुणवत्ता और ज्ञान का प्रसार करना हमारा उद्देश्य है। प्रेस के इसी उद्देश्य के तहत हमने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की ओर से प्रकाशित उत्कृष्ट किताबों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का निर्णय किया है।
एक बयान के मुताबिक, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस अपने भारतीय भाषा कार्यक्रम के तहत आने वाली किताबों को आगामी विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली और कोलकाता पुस्तक मेला में पाठकों को उपलब्ध कराएगा। आगामी कुछ महीनों में लखनऊ, इलाहाबाद, रांची, देहरादून, जयपुर, भोपाल, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे शहरों में पाठकों के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां पाठक कुछ लेखकों से रुबरु होने का मौका मिलेगा।
पहले साल में इस कार्य्रकम के तहत पाठकों को रोमिला थापर, आर. एस. शर्मा, सुमित गांगुली, मुशीरुल हसन, आंद्रे बेते, ऑस्टिन ग्रैनविल, आशुतोष वार्ष्णेय, माधव गाडगिल, रामचंद्र गुहा और आशीष नंदी जैसे बड़े और प्रतिष्ठित विद्वानों की किताबों के अनूदित संस्करण उपलब्ध कराए जाएंगे।