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बवाल पर लगाम लगाने के लिए बीएचयू की पहल, हॉस्टलों में हर महीने होगी ‘पैरेंट्स मीटिंग’
वाराणसी: अभी तक सिर्फ कॉन्वेंट स्कूलों में ही पैरेंट्स मीटिंग का कल्चर था। लेकिन अब बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में भी इस कल्चर को एडॉप्ट करने का फैसला किया है। इसके पीछे वजह है परिसर में उपद्रव करने वाले छात्र। परिसर के हॉस्टल में रहने वाले उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने ये फैसला लिया है।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी परिसर में एक बार फिर से रौनक लौटने लगी है। पत्थरबाजी और आगजनी की घटना के बाद बंद पड़े हॉस्टल छात्रों से आबाद होने लगे हैं। घटना के 19 दिन बाद बंद पड़े हॉस्टलों में छात्रों को कमरों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन सख्ती के साथ छात्रों से पेश आ रही है। छात्रों को कमरों का आवंटन कुछ शर्तों के साथ किया जा रहा है।
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नए सिरे से हो रहा है छात्रों का सत्यापन
कमरों के आवंटन से पहले छात्रों का नए सिरे से सत्यापन किया गया है। इसमें उनके साथ-साथ उनके परिवार के प्रमुख सदस्यों के बारे में भी जानकारी ली गई। वहीं अब समय-समय पर परिवार के सदस्यों से संपर्क करने के अलावा हर महीने छात्रों-अभिभावकों संग बैठक भी कराई जाएगी। आवंटन के वक्त छात्रों से एक फार्म भरवाया जा रहा है। इसमें अभिभावक की पूरी स्थिति के साथ ही घर का पता, मोबाइल नंबर आदि का ब्योरो दिया जा रहा है। कमरों के आवंटन की प्रक्रिया शुरु होने के बाद छात्रों ने भी राहत की सांस ली। 24 सितंबर की घटना के बाद हॉस्टल से बाहर किए गए छात्र आसपास के लॉज और अपने रिश्तेदारों के घर डेरा डाले हुए थे। इस वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
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जूनियर डॉक्टरों से मारपीट के बाद बंद हुए थे हॉस्टल
बीएचयू स्थित सरसुंदर लाल अस्पताल में 24 सितंबर की रात को मरीजों और जूनियर डॉक्टरों में मारपीट की घटना हुई थी। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और इसमें बिड़ला हॉस्टल के छात्र भी कूद पड़े। 24 सितंबर को पूरी रात छात्रों ने परिसर में तोड़फोड़ करने के साथ ही आगजनी की वारदात को अंजाम दिया था। हालात को काबू में करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर के सात हास्टलों को बंद करने का आदेश दिया था।