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प्रोफेशनल लाइफ में सुनने की क्षमता बढ़ाएं, जल्दी मिलेगी सफलता

raghvendra
Published on: 15 Jun 2018 8:03 AM GMT
प्रोफेशनल लाइफ में सुनने की क्षमता बढ़ाएं, जल्दी मिलेगी सफलता
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प्रोफेशनल लाइफ में प्रभावी रूप से सुनना एक जरूरी कला बन गया है। इसके बिना सफलता मुश्किल से मिलती है। वर्कप्लेस पर शानदार लिसनिंग स्किल्स विकसित करने के लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी लेकिन कम मेहनत में सफलता भी मिलेगी। इससे आपकी काम करने की क्षमता पर भी पॉजिटिव असर देखने को मिलेगा। आप सुनने की कला इस तरह से विकसित कर सकते हैं। जानते है किस तरह से आप इस कला को बढ़ा सकते हैं।

वर्कप्लेस पर जिज्ञासु होकर किसी कम में इंटरेस्ट लेंगेत तो अच्छे श्रोता बन सकते हैं। इससे बातचीत का स्तर अच्छा बनता है और अच्छे आइडियाज सामने आते हैं। आपको काम के दौरान ज्यादा सवाल पूछने में झिझकना नहीं चाहिए। जरूरत हो तो सामने वाले से क्लीयरिटी के लिए कहना चाहिए। अगर आपके पास जिम्मेदारी है तो आप बेहतर तरीके से बातों को सुनते और समझते हैं। इसका लाभ आपको कुछ दिनों बाद भी दिखने लगेगा।

समझ विकसित करें

वर्कप्लेस पर आपको अपने ईगो और इश्यूज को एक तरफ रखकर जानकारी प्राप्त करने के लिए क्रिटिकल थिकिंग पर फोकस करना चाहिए। अलग तरह की सोच विकसित करनी होगी। अगर आप संवाद के दौरान कोई बात काटना चाहते हैं तो बेहद विनम्र तरीके से ऐसा करना चाहिए, ताकि आपकी प्रोडक्टिविटी बनी रहे। बेवजह बहस से बचें। इससे भी आपको मदद मिलती है।

चुनौतियों से लड़ें

आजकल के युवाओं में समय का ध्यान कम ही रहता है। वो टाइम का रोना रोते हैं और दूसरी ओर सोशल मीडिया से चिपके रहने की आदत होती है। वे अपने मोबाइल फोन से चिपके रहते हैं और वक्ता की बात पर गौर नहीं कर पाते हैं। इससे सामने वाले को बुरा लग सकता है। अच्छा श्रोता बनने के लिए हर व्यवधान से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। बातचीत के दौरान किसी भी टेक्नोलॉजी से दूर रहना चाहिए और जो भी चुनातियों मिलती है उसका मुकाबला करना चाहिए।

कूल बने रहें

अच्छा श्रोता बनने के लिए आपका विनम्र बनना जरूरी है। कूल रहना चाहिए। खुद को बहुत ज्यादा होशियार समझने के बजाय सामने वाले व्यक्ति को भी महत्व देना चाहिए। अगर आप वर्कप्लेस पर चर्चा के दौरान भागीदारी दिखाते हैं और बातों को पूरा सुनने की कोशिश करते हैं तो आपको फायदा हो सकता है।

बातचीत के तरीकों पर ध्यान दें

अच्छा श्रोता जो कुछ कहा जाता है, उस पर पूरा गौर करता है। वो स्पीकर की बॉडी लैंग्वेज और आवाज की टोन से आप बातचीत के दौरान दिए गए महत्वपूर्ण संदेशों को समझ सकते हैं। इसके साथ ही अच्छे श्रोता को खुद को भी अच्छी बॉडी लैंग्वेज का प्रदर्शन करना चाहिए, ताकि स्पीकर लगातार बोलने के लिए प्रेरित रहे। बातचीत के दौरान बॉडी लैंग्वेज से ही तय होता है कि आप कही गई बातों को समझ गए हैं। अगर आप इन सब बातों का ध्यान रखते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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