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अमर ये जानवर: मिला न मरने का वरदान, किस्से-कहानियों को किया सच

दुनिया में एक ऐसा जानवर है, जो अमर है। यानी वो जानवर कभी मर नहीं सकता है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 14 May 2021 3:23 PM IST
The sea is a place where amazing variation of animals is found. Jellyfish is one of them.
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जेली फिश

नई दिल्ली: अमर होने की कई कहानियां बचपन में दादी-नानी सुनाया करती थी। पुराणों में भगवान शिव की अमृत कथा को एक कहानी काफी प्रचलित है। जिसमें एक कबूतर ने बाबा बर्फानी अमरनाथ की गुफा में अमृत कथा को सुन लिया था, जिससे उस कबूतर को अमर होने का वरदान मिला गया। ऐसे में एक कहानी ये भी है कि एक ऋषि था।

उस ऋषि को वरदान प्राप्त था। तो उसको कई बार मार दिया गया, लेकिन वह अपने राख में बची हड्डियों से जिंदा हो गया। क्योंकि उसे वरदान प्राप्त था अमर होने का। तो कहानियां तो बहुत सुनी होंगी, लेकिन हम एक सच बताने जा रहे हैं। कि ये अमर वाली बात विज्ञान और आधुनिकता के चलते काल्पनिक से लगने लगे।

पर आज भी दुनिया में एक ऐसा जानवर है, जो अमर है। यानी वो जानवर कभी मर नहीं सकता है। जीं हां चलिए आपको इस बारे में जानकारी देते हुए इस किस्से से भी रूबरू कराते हैं।

ये है अमर वरदान समुद्री जानवर

ध्यान से सुनिये- समुद्र ऐसा स्थान हैं, जहां पर जानवरों की कई गजब-गजब की विभिन्नता वाली प्रजातियां पाई जाती है। इन समुद्री जानवरों में से एक जेलीफिश है। वास्तविक संरचना की बात करें तो मेडूसा जैसे छवि बनाने वाले ये जीव गुब्बारे जैसा दिखता है। इस जानवर में दोनों नर और मादा पाए जाते हैं। पर इन जानवरों के पैदा और मरने की कहानी बहुत ही ज्यादा दिलचस्प है। इस कहानी की वजह से इसे अमर जानवर कहा जाता है।

जेली फिश (फोटो-सोशल मीडिया)

असल में समुद्र में रहने वाली इस जेलीफिश के पैदा होने की प्रक्रिया और मौत एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। ये जेलीफिश अपना जीवन लार्वा के रूप में शुरू करते हैं। फिर ये लार्वा समुद्र में बहते रहते हैं। और जैसे ही कोई सुरक्षित चट्टान मिलती है, तो चिपक कर पॉपिल में बदल जाते हैं।

इसके बाद धीरे-धीरे ये पॉपिल की कॉलोनी जैसी बना लते हैं। और आखिरी में इस पॉपिल कॉलोनी में से एक दिन एक नई जेलीफिश का जन्म हो जाता है और वो बाहर आती है।

सूत्रों से सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, जब भी कोई जेलीफिश अपना जीवन पूरा कर लेती है, तो धीरे-धीरे से समुद्र की तली पर चली जाती है। इसके बाद जब ये सड़ने लगती है, तो कोशिकाएं कमाल की काम करती हैं। वे फिर से इकट्ठा होने लगती हैं।



Vidushi Mishra

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