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Lucknow BBAU: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विधि से होगा बायो मेडिकल वेस्ट का सेपरेशन
Lucknow BBAU: इस विधि के प्रयोग से अब सरकार के करोड़ो रूपये की बचत तो होगी ही, साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट मे लगे कर्मियों को भी इंफेक्शन के खतरे से बचाया जा सकेगा।
Lucknow BBAU: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ.पवन कुमार चौरसिया ने बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एक विधि मशीन लर्निंग एंड इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स का प्रयोग करके कचरे को मानवरहित तरीके से अलग-अलग बॉक्स मे डालने की विधि तैयार की है। इस विधि के प्रयोग से अब सरकार के करोड़ो रूपये की बचत तो होगी ही, साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट मे लगे कर्मियों को भी इंफेक्शन के खतरे से बचाया जा सकेगा।
डॉ.पवन कुमार ने विकसित की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के विभिन्न शासकीय अस्पतालों के कर्मचारियों को बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के अंतर्गत समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे सरकार का करोड़ो रुपया खर्च होता है। इस प्रशिक्षण के अंतर्गत कर्मचारियों को अस्पताल से उत्पन्न होने वाले विभिन्न प्रकार के बायो मेडिकल कचरों के बारे में जानकारी दी जाती है, एवं किस कचरे को किस बाल्टी मे डालना है इसके बारे में बताया जाता है। जैसे, ब्लू कार्ड बॉक्स में टूटा हुआ वाईल,शीशी इत्यादि डालना होता है।
डॉ. पवन कुमार
कचरे को डालते समय दस्ताने का प्रयोग करना चाहिए ताकि इन्फ़ैकशन से बचा जा सके| यह सब प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिय कर्मचारियों का प्रयोग किया जाता है जिसमें प्रायः त्रुटि होने से इन्फ़ैकशन फैलने की संभावना बनी रहती है। इस कार्य को करने के लिए सरकार का काफी पैसा एवं समय कर्मचारियों पर एवं उनके प्रशिक्षण पर खर्च होता है ।
मेडिकल वेस्ट भरने से पहले इन्फॉर्म कर देगी मशीन
इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डॉ.पवन कुमार चौरसिया ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ.रईस एहमद खान के मार्गदर्शन में साइंस एवं टेक्नोलॉजी उत्तर प्रदेश में अपनी यह विधि प्रस्तुत की, जिसे संस्था ने मंजूर कर लिया। डॉ.पवन द्वारा विकसित इस विधि में मेडिकल वेस्ट एवं इस तरह के संपूर्ण कचरे को अलग-अलग करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की विधि मशीन लर्निंग एवं इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स का प्रयोग कर कचरे को अलग-अलग बॉक्स मे डाला जा सकता है।
यह प्रक्रिया पूर्णतःमानव रहित होगी। इस विधि से सरकार का कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर होने वाला खर्च कम किया जा सकता है। साथ ही अस्पताल में कर्मचारियों एवं मरीज को इन्फ़ैकशन से बचाया जा सकता है। साथ ही साथ यह तकनीक बायो मेडिकल कचरे का डिब्बा भर जाने पर अस्पताल प्रशासन अथवा वेस्ट मैनेजमेंट संस्था को, पर्यावरण में प्रदूषण फैलने से पहले स्वयं सूचित कर देगा, जिससे कचरे का समय से निस्तारण किया जा सके एवं हमारे आस –पास के वातावरण को संक्रमण मुक्त रखा रखा जा सके।
वीसी ने दी बधाई
उक्त योजना को पूर्ण करने के लिए कंप्यूटर विज्ञानं एवं सूचना प्रोद्योगीकी विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ विपिन कुमार, एवं सूचना प्रोद्योगीकी विभाग के डॉ धीरेन्द्र पाण्डेय, डॉ अलका एवं डॉ वंदना का सहयोग लिया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय सिंह ने कार्य की सराहना किया एवं विश्विद्यालय में इस तरह के प्रोजेक्ट पर अधिक से अधिक कार्य हो सके इसके लिया अध्यापकों का उत्साहवर्धन किया ।