कॅरियर आप्शन: शॉर्ट टर्म कोर्सेज कर बना सकते हैं अपनी लाइफ 

raghvendra
Published on: 13 July 2018 9:35 AM GMT
कॅरियर आप्शन: शॉर्ट टर्म कोर्सेज कर बना सकते हैं अपनी लाइफ 
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कई बार स्टूडेंट्स को नहीं लगता है कि उन्हें क्या करना चाहिए जिससे उनकी लाइफ में कुछ नया हो सके। अक्सर स्टूडेंट्स अपनी रुचि के अनुसार कोर्स तो करते हैं लेकिन कई बार 3-5 साल का कोर्स होने के कारण उनकी रुचि धीरे-धीरे उस फील्ड में कम होने लगती है। ऐसे स्टूडेंट्स जो हॉबी के अनुसार कम समय में कोर्स पूरा कर कॅरियर बनाने की सोच रहे हैं उनके लिए इन दिनों शॉर्ट टर्म कोर्सेज काफी मददगार साबित हो सकते हैं। ये कोर्सेज एक सप्ताह से लेकर एक साल तक के हो सकते हैं। इसमें गार्डनिंग/बोनसाई व फ्लावर मैनेजमेंट, रिमोट सेंसिंग ग्रीन केमिस्ट्री फॉरेंसिक साइंस, पब्लिक रिलेशन, टैक्स मैनेजमेंट, ट्रैवल एंड टूरिज्म, फूड साइंस/ न्यूट्रीशन/ योग व अन्य विषय शामिल हैं।

जरूरी योग्यता

इसके लिए देशभर में प्राइवेट और सरकारी ऐसे कई संस्थान और विश्वविद्यालय हैं जहां इस तरह के कोर्सेज को करने की सुविधा है। इग्नू और उत्तर प्रदेश में राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी इलाहबाद भी आजकल इस तरह के कोर्सेज को डिस्टेंस एजुकेशन के तहत संचालित करती हैं ताकि स्टूडेंट्स ऐसे फील्ड में जॉब करें जिसमें उनकी रुचि हो। इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए वैसे तो किसी भी तरह की योग्यता बाध्य नहीं है, लेकिन 12वीं पास होना जरूरी है। जॉब करने के साथ या अन्य विषय में पढ़ाई करने के दौरान इन कोर्सेज को किया जा सकता है। अगर कोई स्नातक कर चुका है वो भी इस तरह के कोर्स कर सकता है।

कोर्स के बाद अवसर

इस तरह के शॉर्ट टर्म कोर्सेज की खास बात यह है कि इन्हें जॉब करने के दौरान भी कर सकते हैं। कई मल्टीनेशनल कंपनियां फुल टाइम जॉब के अलावा पार्ट टाइमर या फ्रीलांसर के रूप में भी अभ्यर्थियों को नौकरी पर रखती हैं। इन कोर्सेज से कॅरियर बनाने का अहम फायदा है कि आपके ऑफिस जाने के लिए बाध्य होने की जरूरत नहीं होगी। अपनी दिनचर्या के अनुसार आप इनसे जुड़े कामों के लिए समय निकाल सकते हैं।

कोर्स फीस

इस तरह के कोर्स की फीस बहुत कम होती है। इग्नू तो बहुत कम फीस यानी एक-दो हजार की फीस में कई तरह के कोर्स कराता है। वहीं प्राइवेट कॉलेज से ऐसे कोर्स करते हैं तो भी फीस ज्यादा नहीं लगती है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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