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काशी के सरकारी स्कूल का बुरा हाल, बच्चे पढ़ाई के नाम पर करते है स्कूल की सफाई

स्कूल में जहां शिक्षा प्राप्त कर बच्चे खुद को समाज में प्रतिष्ठित करने योग्य बनाते है, लेकिन जरा सोचिए कि अगर ​​किसी स्कूल में शिक्षक पढ़ाने ही नहीं आते तो यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। 

priyankajoshi
Published on: 13 July 2017 2:09 PM GMT
काशी के सरकारी स्कूल का बुरा हाल, बच्चे पढ़ाई के नाम पर करते है स्कूल की सफाई
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वाराणसी : स्कूल में जहां शिक्षा प्राप्त कर बच्चे खुद को समाज में प्रतिष्ठित करने योग्य बनाते है, लेकिन जरा सोचिए कि अगर ​​किसी स्कूल में शिक्षक पढ़ाने ही नहीं आते तो यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लाक के नैनपुरा गांव में स्थित जगरदेव तकनीकी माध्यमिक विद्यालय और प्राइमरी पाठशाला ऐसा ही एक स्कूल है जहां ऐसी ही कुछ स्थिति व्याप्त है। इतना ही नहीं इस स्कूल में बच्चे स्वयं से विद्यालय का ताला खोलते है और खुद से ही वहां झाड़ू लगाते है।

बद से बदत्तर हुआ स्कूल का हाल

एक ओर जहां केन्द्र और राज्य सरकारे बच्चों को शिक्षित करने के लिए योजनाओं को क्रियान्वित रूप देने का काम कर रही हैं। वहीं पीएम मोदी के ही गढ़ में इस स्कूल का हाल बद से बदत्तर हुआ है और उनके 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं' के सपने को भी यहां का हाल बता रहा है।

आगे की स्लाइड्स जानें क्या कहना है छात्रों का...

क्या कहना है छात्रों का?

जब मीडिया का कैमरा स्कूल परिसर में घूमा तो वहां का दर्शय उदासीनता को साफतौर पर दर्शा रहा था। कक्षा 9 के छात्र संदीप ने बताया कि दो महिला टीचर और प्रिंसीपल को लेकर चार पुरुष टीचर सहित कुल 6 लोग है। लेकिन सुबह 8 बजे से 1 बजे तक चलने वाले पीरियड में 9 बजने तक कोई भी मौजूद नहीं रहा।

संदीप की मानें तो बच्चे खुद स्कूल की चाभी लेकर क्लासरूम खोलते हैं और अपने-अपने क्लास की सफाई करते हैं। किसी दूसरे छात्र का कहना है कि प्रिंसीपल सहित सभी शिक्षक स्कूल की समयावधि से काफी देरी से आते हैं और आने के बाद भी सिर्फ शिक्षक रूम में बैठ कर गप्पे मारते हैं।

प्रार्थना होना भी बंद

वहीं कक्षा 10 के छात्र आकाश ने बताया कि कोई भी टीचर समय पर नहीं आता है और यह स्थिति रोज की है। इसलिए हम कोचिंग पढ़ते है। स्कूल आने के बाद अपना क्लासरूम साफ करके बैठते है। यहां कोई प्रार्थना भी नही होती है। पहले प्रार्थना होती थी, लेकिन जब से 1 जुलाई से स्कूल खुला है तब से प्रार्थना होना भी बंद हो गया है।

आगे की स्लाइड्स में जानें क्या बताया प्रिंसीपल ने?

क्या कहा प्रिंसीपल ने?

स्कूल के प्रिंसीपल अनुराग कुमार से जब 9 बजे आने का कारण पूछा गया तो उन्होंने सफाई देते हुए व्यक्तिगत कार्यों से आज देरी होने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि रोजाना समय से आता हूं। वहीं जब छात्रों द्वारा हाथों में झाड़ू लेकर क्लास साफ करने की बात मीडिया ने पूछी तो उन्होंने कैमरे में कैद विद्यार्थियों की साफ-सफाई को भी नकार दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए हालांकि सफाईकर्मी रामधनी है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी का ठीकरा उन्होंने ग्राम प्रधान पर फोड़ा। हालांकि इस संदर्भ में प्रबंधक द्वारा एक्शन लिया जाएगा।

स्कूल में प्रार्थना न होने पर प्रिंसीपल अनुराग ने कहा कि स्कूल 1 जुलाई से खुला है। उन्होंने बताया, ऐसा नहीं है कि इधर इस बीच एक दिन भी प्रार्थना न हुई हो। इनका कहना है कि काफी दिन छुट्टियां पड़ गई थी लेकिन फिर भी एक दो दिन प्रार्थना हुई थी।। अब सोचने वाली बात यह है कि जब शिक्षक ही लेटलतीफ है तो आखिर प्रार्थना कौन करवाता होगा।

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शिक्षा का बुरा हाल

विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों से जब लेट आने का कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि वैसे तो रोज 7:30 बजे आ जाते हैं लेकिन आज साइकिल खराब होने के कारण देरी हो गई। खास बात यह कि गुरुजी देश दुनियां में मच रहे हलचल और खबरों से अनभिज्ञ भी दिखाई पड़े। जिस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारी के लिए पूरे देश में बहस का माहौल छिड़ा रहा।वहां इन गुरू जी को यह भी पता नहीं कि उम्मीदवार का पूरा नाम क्या है। इतना ही नहीं इनको यह भी नहीं मालूम कि प्रदेश में 75 जिले है। हालांकि इन सबके बावजूद यह अपनी सफाई देने में लगे रहें।

क्या कहना है शिक्षिका का?

वहीं विद्यालय की समयावधि से लगभग दो घंटे देर से पहुंची शिक्षिका शिखा मिश्रा ने अपनी लेटलतीफी पर सीधा कहा कि मैं अंशकालीन टीचर हूं और परमानेन्ट नहीं हूं इसलिए लेट से आए हैं। हमारा मानदेय बढ़ना था लेकिन नहीं बढ़ा, जिसके बारे में प्रधानाचार्य सोचे। अगर हम लेट है भी तो क्या...खास बात यह कि जिस दमदारी से शिक्षिका जी ने खुद का मानदेय बढ़ाए जाने और परमानेन्ट न किए जाने की बात की उतनी ही वह मीडिया द्वारा पूछे गए समसामायिक मुद्दों के सवालों पर फुस्स हो गई। न ही उन्हें अपने देश के प्रधानमंत्री का पूरा नाम पता था और न ही उपराष्ट्रपति का। उनका कहना रहा कि उपराष्ट्रपति अहमद अंसारी है। जब यह पूछा गया कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार वर्तामान में कौन-कौन है तो उनका जवाब रहा मुझे नहीं पता क्योंकि मैं संस्कृत की टीचर हूं राजनीति की नहीं।

जहां एक तरफ पीएम मोदी का देश के भविष्य को शिक्षित करने का सपना जब उनके ही गढ़ में ऐसे शिक्षकों के वजह से दम तोड़ता नजर आ रहा है तो देश के अन्य हिस्सों का क्या हाल होगा।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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