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शिक्षक दिवस पर विशेष: जब अभिभावक के रूप में आया एक टीचर

ऐसा अध्यापक जो अपने विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए अभिभावक भी बन जाता है। विद्यार्थियों की पढ़ाई की चिंता के लिए वह अपने हाथों से शौचालय भी साफ करता है।

tiwarishalini
Published on: 4 Sep 2017 9:52 PM GMT
शिक्षक दिवस पर विशेष: जब अभिभावक के रूप में आया एक टीचर
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शिक्षक दिवस पर विशेष: जब अभिभावक के रूप में आया एक टीचर

बाराबंकी : ऐसा अध्यापक जो अपने विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए अभिभावक भी बन जाता है। विद्यार्थियों की पढ़ाई की चिंता के लिए वह अपने हाथों से शौचालय भी साफ करता है। विद्यालय की साफ सफाई भी करता है और अपने खर्चे से विद्यालय मे आवश्यक निर्माण भी कराता है। विद्यार्थियों की चिंता के लिए इस शिक्षक ने दिन-रात एक कर दिए। विद्यार्थी भी इस अभिभावक शिक्षक से अभिभूति दिखाई देते हैं। पठन-पाठन में यह विद्यार्थी कॉन्वेंट और मिशनरी के स्कूलों को पीछे छोड़ रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं बाराबंकी के दरियाबाद इलाके के पूर्व माध्यमिक विद्यालय मियागंज की। आज आम तौर पर माना जाता है कि सरकारी प्राथमिक विद्यालय में सही शिक्षा न देकर सिर्फ काम चलाऊ शिक्षा ही दी जाती है और यहां के शिक्षक काफी आराम तलब होते हैं। मगर इन धारणाओं को गलत साबित किया है इस विद्यालय के शिक्षक आशुतोष आनंद अवस्थी ने। जिनके अंदर शिक्षा देने का ऐसा जूनून है कि वह पढ़ाई के लिए एक अभिभावक की तरह अपने विद्यार्थियों का पूरा ध्यान रखते है।

शिक्षक दिवस पर विशेष: जब अभिभावक के रूप में आया एक टीचर

करीब सात साल पहले जब आशुतोष यहां शिक्षक के रूप में तैनात हुए तो इस विद्यालय की हालत काफी जर्जर थी। आशुतोष ने आते ही यहां शिक्षा की अलख जगाने की ठान ली और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी। आज उनकी मेहनत के दम पर ही यहां के विद्यार्थी निजी स्कूलों में महंगी पढ़ाई कर रहे बच्चों को भी पीछे छोड़ने का हुनर रखते है।

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विद्यार्थियों में कोई बीमारी न आए इसके लिए वह साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखते हैं। आशुतोष कभी सफाई कर्मचारी बन कर बच्चों के शौचालय की साफ-सफाई करते हैं तो कभी विद्यालय में झाड़ू लगा कर पूरे विद्यालय की साफ-सफाई करते हैं। आशुतोष अपने खर्चे से इस स्कूल की रसोईघर का भी निर्माण करवा रहे हैं। जिससे बच्चों को शुद्ध भोजन मिलने में आसानी हो और बच्चे स्वस्थ रहकर अपना अध्ययन कर सकें।

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शायद आशुतोष की इसी लगन को देख कर ही पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित भी किया था। इस पुरस्कार के बाद आशुतोष के हौसले को जैसे उड़ान के पंख लग गए। आशुतोष ने बताया कि वह विद्यालय की कमियों को दूर करने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित और मौखिक रूप से सूचना दे चुके हैं, मगर अभी तक उनकी शिकायत पर ध्यान नही दिया गया है।

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ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि जहां सरकार बच्चों की शिक्षा पर अपना खजाना खोल देती है तो वहीं आशुतोष जैसे शिक्षकों की शिकायत पर ध्यान क्यों नही देती। क्यों नही ऐसे शिक्षकों को एक रोल मॉडल की तरह पेश कर शिक्षा का प्रचार-प्रसार करती है। जिससे अन्य शिक्षक भी उनसे प्रेरणा लेकर ज्ञान की गंगा बहा सकें।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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