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69000 शिक्षक भर्ती: शिक्षामित्रों की इस याचिका से कोर्ट लगा स​कता है भर्ती पर रोक! वजह है ये

कोर्ट ने कहा है कि याचियों सहित बड़ी संख्या में शिक्षामित्र इससे प्रभावित होगें और उन्हें सहायक शिक्षक बनने का अवसर नहीं मिल पायेगा। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 के साफ साफ कहा था कि शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक बनने का दे अवसर दिया जायेगा। सहायक शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना अनिवार्य है।

Shivakant Shukla
Published on: 23 Dec 2018 9:34 PM IST
69000 शिक्षक भर्ती: शिक्षामित्रों की इस याचिका से कोर्ट लगा स​कता है भर्ती पर रोक! वजह है ये
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प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बिना पुर्नमूल्यांकन कर टीईटी 2017 का परीक्षा परिणाम घोषित किये प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रारम्भ करने के राज्य सरकार के निर्णय पर नाराजगी जताते हुए उसे आईना दिखाया है। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि राज्य सरकार को सावधानी से कार्य करना चाहिए था।

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बिना TET 2017 का नये सिरे से परिणाम घोषित किये 69 हजार शिक्षकों की भर्ती निकालना सही नहीं! कोर्ट

कोर्ट ने कहा है कि याचियों सहित बड़ी संख्या में शिक्षामित्र इससे प्रभावित होगें और उन्हें सहायक शिक्षक बनने का अवसर नहीं मिल पायेगा। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 के साफ साफ कहा था कि शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक बनने का दे अवसर दिया जायेगा। सहायक शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना अनिवार्य है।

एकल पीठ ने 6 मार्च 2018 के टीईटी 2017 में प्रश्नों में गड़बड़ियां पाते हुए 14 प्रश्नें का हटाकर नये सिरे टीईटी परीक्षा परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था। ऐसी दशा में बिना उक्त परीक्षा परिणाम घेषित करने से एक अवसर खो चुके याचीगण और उनकी तरह के तमाम शिक्षामित्र दूसर अवसर भी खो देंगें। कोर्ट ने मामले की सुनवायी शीतकालीन अवकाश के तुरंत बाद 2 जनवरी को नियत करते हुए सरकार को इस प्रकरण में अपना पूरा पक्ष रखने का आदेश दिया है।

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यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय व जस्टिस ए आर मसूदी की बेंच ने श्रीकांत सहित 6 शिक्षामित्रों की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवायी करते हुए पारित किया। याचीगणों की अेर से अमित कुमार सिंह भदौरिया का तर्क था कि एकल पीठ ने अपने 6 मार्च 2018 के फैसले में टीईटी परीक्षा में गड़बड़ी पाते हुए कहा था कि 14 प्रश्नों का घटाकर सभी अभ्यर्थियों का टीईटी 2017 का परिणाम नये सिरे से घोषित किया जाये। इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच ने 17 अप्रैल 2018 को आदेश पारित किया।

जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर हुई जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2018 के हाई केर्ट द्वारा विशेष अपील में पारित आदेश को रद कर कहा कि याचीगणों के विशेष अपील में पक्षकार बनाया जाये और साथ ही यह भी कहा कि 9 जनवरी 2018 के राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की भर्ती प्रकिया के अनुसरण में की गयी नियुक्तियां विशेष अपील के अंतिम आदेशों के आधीन रहेंगीं। कहा गया कि अभी तक याचीगणों को विशेप अपील में पक्षकार बनाने के सरकार की ओर से अर्जी तक दाखिल नहीं की गयी है।

शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनने के अवसर से वंचित हो जाना पड़ रहा है

याचीगणों की ओर से जोर देकर तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्टूबर 2018 के आदेश के बाद हाईकोर्ट के एकल पीठ का 6 मार्च 2018 का आदेश फिर से प्रभावी हो गया जिससे राज्य सरकार को हरहाल में टीईटी 2017 का परीक्षा परिणाम नये सिरे से घोषित करना चाहिए था ताकि याचीगणों सहित बड़ी संख्या में शिक्षामित्र राज्य सरकार की ओर से 1 दिसम्बर 2018 के प्रारम्भ की गयी 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया में भाग ले सकते किन्तु सरकार की निष्क्रियता से तमाम शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनने के अवसर से वंचित हो जाना पड़ रहा है। याचियें की मांग थी कि टीईटी 2017 का परिणाम पुनः घोषित करके ही 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया प्रारम्भ की जाये ताकि वे सब भी भर्ती प्रकिया में हिस्सा ले सकें क्यें कि यदि परिणाम घोषित होने से वे कट आफ सूची के अंदर आ जायेंगें।

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दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता पी के सिंह व यूपी बेसिक एजूकेशन बोर्ड के वकील अजय कुमार का तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से याचियों का हित सुरक्षित रखा गया है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2018 को प्रारम्भ की गयी भर्ती प्रकिया के बावत याचीगणें का हित भले ही सुरक्षित किया है किन्तु 1 दिसम्बर 2018 को प्रारम्भ की भर्ती प्रकिया के बावत ऐसा कुछ नहीं है।

69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा 6 जनवरी 2019 को होनी है जिसके चलते कोर्ट ने सुनवायी 2 जनवरी को ही लगा दी है।



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