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शिक्षा मंत्रालय ने UGC के ड्राफ्ट दिशा निर्देशों पर बढ़ते विवाद को देखते हुए उनका ये प्रस्ताव खारिज किया

Education: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रस्ताव को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया है, इन प्रस्तावो के खिलाफ लगातार विरोधी दलों द्वारा प्रस्ताव को वापस लेने की बात कही जा रही थी.

Shikha Tiwari
Written By Shikha Tiwari
Published on: 29 Jan 2024 11:06 AM GMT
शिक्षा मंत्रालय ने UGC के ड्राफ्ट दिशा निर्देशों पर बढ़ते विवाद को देखते हुए उनका ये प्रस्ताव खारिज किया
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Education News: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रस्ताव को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। आरक्षित श्रेणी SC,ST और OBC के पद सामान्य श्रेणी से नहीं भरे जाएंगे। यूजीसी (UGC) ने उच्च शिक्षा संस्थान में खाली आरक्षित श्रेणी के पदों को सामान्य श्रेणी से भरे जाने का सुझाव दिया था। जिस पर विवाद बढ़ता देखा शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षित वर्ग के एक भी पदों को डी-रिजर्व नहीं किया जाएगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि एक भी पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा व केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम 2019 के लागू होने के बाद आरक्षण के बारे में अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं है। तो वहीं यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण रद्द नहीं किया गया है व ऐसा कोई आरक्षण रद्द नहीं होने जा रहा है।

उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश का मसौदा 28 जनवरी तक हितधारकों से प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक डोमेन में है। जारी ड्राफ्ट की कई आलोचना हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि- भाजपा केवल युवाओं की नौकरियां छीनने में व्यस्त है।

कांग्रस ने तुरंत ड्राफ्ट वापस लेने को कहा-

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने की मांग की, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने कहा कि-कुछ साल पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी। अब उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी व ओबीसी को दिए गए। आरक्षण को खत्म करने की साजिश की जा रही है। विपक्षी दल ने केंद्र पर दलितों, पिछड़े वर्गों व आदिवासियों के मुद्दों पर प्रतीकवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

आरक्षित पद को नहीं किया जाएगा अनारक्षित-

जेएनयू छात्र संघ ने भी सोमवार को इस मुद्दे पर यूजीसी अध्यक्ष के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। अपने स्पष्टीकरण में यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने सभी सीईआई को 2019 अधिनियम के अनुसार रिक्तियों को सख्ती से भरने के निर्देश जारी किए है। उन्होंने कहा कि-एक भी आरक्षित पद अनारक्षित नहीं किए जाएंगे।

इससे पहले दिन में, शिक्षा मंत्रालय ने एक्स पर लिखा था कि- केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम 2019 के अनुसार शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती के सभी पदों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया जाता है, इस अधिनियम के लागू होने के बाद कोई भी आरक्षित पद अनारक्षित नहीं किए जाएंगे।

सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, कि आरक्षित श्रेणी के सभी बैकलॉग पद ठोस प्रयासों के माध्यम से भरे जाएं। यूजीसी के नए मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार एससी या एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षित पद को एससी, एसटी व ओबीसी उम्मीदवार के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार द्वारा नहीं भरे जा सकते है।

यूजीसी का ड्राफ्ट क्या है-

जारी ड्राफ्ट में कहा गया है कि- ग्रुप सी या डी के मामले में डी-आरक्षण का प्रस्ताव विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के पास जाना चाहिए व ग्रुप ए या बी के मामले में आवश्यक अनुमोदन के लिए पूर्ण विवरण देते हुए शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अनुमोदन प्राप्त होने के बाद पद भरा जा सकता है व आरक्षण को आगे बढ़ाया जा सकता है। तो वहीं मसौदे में यह भी कहा गया है कि पदोन्नति के मले मामले मे यदि आरक्षित रिक्तियों के विरूद्ध पदोन्नति के लिए पर्याप्त संख्या में एससी व एसटी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है, तो ऐसी रिक्तियों को अनारक्षित किया जा सकता है व अन्य समुदायों के उम्मीदवारों द्वारा भरा जा सकता है।

साभार- Apna Bharat

Shikha Tiwari

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Education Content Writer

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