TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने का काम कर रही है ये ट्रैफिक कांस्टेबल, जानें इसके बारे में

Shivakant Shukla
Published on: 3 Dec 2018 3:21 PM IST
शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने का काम कर रही है ये ट्रैफिक कांस्टेबल, जानें इसके बारे में
X

लखनऊ: प्रकृति के शहर उत्तराखंड के बनबसा थाने में तैनात ट्रैफिक कांस्टेबल सविता कोहली थकाऊ ने लोगों के लिए एक मिशाल पेश की है। सविता ड्यूटी पूरी करने के बाद हर रोज कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने में दो घंटे का समय देती हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने के इस काम से सविता को आत्मसंतुष्टि मिलती है।

खास बात ये है कि कांस्टेबल सविता ऐसे 52 बच्चों की मां व शिक्षिका की भूमिका में हैं, जिनके हाथों में कूड़े के थैले थे। इसमें से अधिकांश बच्चों के माता-पिता गरीब होने के साथ-साथ अशिक्षित भी हैं।

कहां से शुरू ​हुई पहल

सविता ने बताया कि बस स्टेंड के पास उनकी ड्यूटी लगी थी, इस दौरान छह-सात साल की उम्र के दो बच्चों को उन्होंने कूड़ा बीनते देखा। उनसे पूछा, कि स्कूल क्यों नहीं जाते। बच्चों के चेहरे पर खामोशी देख वो समझ गईं और कहा कि कल से मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी। अगले दिन सविता खुद टाट-चटाई, कॉपी, किताब, पेंसिल एवं अन्य स्टेशनरी खरीदकर मीना बाजार झोपड़-पट्टी इलाके में पहुंच गई। यहां बाहर से आकर मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले गरीब लोगों के परिवार रहते हैं।

ये भी पढ़ें— देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज:गांधी ने राजेंद्र बाबू का दृष्टिकोण ही बदल दिया

क्लास में इस समय 52 बच्चे हैं शामिल

गरीबी के साथ-साथ अशिक्षा की वजह से मां-बाप अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे थे। जबकि कुछ परिवार ऐसे थे, जो बच्चों के श्रम से ही घर के खर्च चलाते थे। सविता ने इन परिवारों से बात कर उन्हें समझाया और बच्चों को उनकी क्लास में भेजने को कहा। कुछ दिन मशक्कत के बाद सविता उन्हें समझाने में कामयाब हुई। इस तरह बनबसा नगर पंचायत परिसर का मैदान एक पाठशाला में परिवर्तित होता दिखाई दिया। उसी दिन से ड्यूटी खत्म होने के बाद सविता शिक्षिका का भी दायित्व निभाती आ रही हैं। उनकी क्लास में इस समय 52 बच्चे शामिल हैं।

ये भी पढ़ें— आखिर क्यों निजी विवि को सता रहा अंब्रेला एक्ट का डर? तैयारी हो गई है शुरू!

ऐसे कर रहीं काम

ट्रैफिक कांस्टेबल सविता ने बताया कि बच्चे पढऩा और लिखना सीख जैसे-जैसे प्रारंभिक शिक्षा के लिए तैयार होते जाते हैं, उन्हें नजदीकी आंगनबाड़ी और स्कूल में दाखिला दिला देती हूं। उन्होंने बताया ​कि यह आसान नहीं था क्योंकि शुरुआत में लगा कि पुलिस की ड्यूटी पूरी करने के बाद एक शिक्षिका की ड्यूटी भी निभाना बेहद कठिन होगा। तालमेल कैसे बैठेगा। लेकिन धीरे-धीरे तालमेल बैठ गया। बनबसा थानाध्यक्ष राजेश पांडे को भी जब इस बात का पता चला तो उन्होंने सविता की ड्यूटी बदल उनके इस नेक काम में सहयोग ही किया।

ये भी पढ़ें— विश्व बैंक का फैसला,जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अब खर्च होगा 200 अरब डॉलर

पति भी पुलिस विभाग में हैं कार्यरत

मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के जगतर गांव निवासी सविता की ससुराल कनालीछीना में है। 2017 में पुलिस सेवा में भर्ती हुई सविता के पति गोविंद राम कोहली भी पुलिस में हैं। इस समय वह चंपावत पुलिस कार्यालय में तैनात हैं। सविता का बड़ा बेटा यश आठ व छोटा बेटा वंश पांच साल का है।

ये है सविता की दिनचर्या

पाठशाला के बच्चों की पढ़ाई व अपनी ड्यूटी का निर्वहन सविता बखूबी करतीं हैं। तड़के चार से आठ बजे ट्रैफिक ड्यूटी करने के बाद सविता घर लौट अपने बच्चों को तैयार करती हैं। उसके बाद साढ़े दस बजे गरीब बच्चों को पढ़ाने पहुंचती हैं। करीब दो-ढाई घंटे पढ़ाने के बाद घर लौटती हैं। घर में बच्चों की देखरेख व कुछ देर उनके साथ रहने के बाद चार बजे से दोबारा ट्रैफिक ड्यूटी शुरू हो जाती है।



\
Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story