×

...तो कौटिल्य थे जीएसटी के जनक और मनु ग्लोबलाइजेशन के पहले भारतीय विचारक!

raghvendra
Published on: 8 Dec 2017 8:24 AM GMT
...तो कौटिल्य थे जीएसटी के जनक और मनु ग्लोबलाइजेशन के पहले भारतीय विचारक!
X

आशुतोष सिंह

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है... इस बार एमए पॉलिटिकल साइंस के पेपर को लेकर बवाल मचा हुआ है।

एमए फस्ट सेमेस्टर की परीक्षा में कौटिल्य को जीएसटी का जनक के तौर पर बताते हुए सवाल किए गए तो वहीं मनु को ग्लोबलाइजेशन का पहला भारतीय विचारक के तौर स्थापित करते हुए प्रश्न किया गया है। छात्रों का आरोप है कि ये प्रश्न उनके पाठ्यक्रम में है हीं नहीं। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय एक खास तरह की विचारधारा उनके ऊपर थोपने की कोशिश कर रहा है।

पेपर देखकर भडक़े छात्र

छात्रों के मुताबिक राजनीतिक विज्ञान पेपर में कौटिल्य अर्थशास्त्र में जीएसटी के नेचर पर एक निबंध लिखने के दिया गया। इसके अलावा मनु को ग्लोबलाइजेशन का पहला भारतीय चिंतक बताते हुए सवाल किया गया है। ये दोनों ही सवाल 15-15 नंबर के थे। छात्र इन सवालों को देखकर भडक़ गए। उनका कहना था कि ‘प्राचीन और मध्यकालीन भारत के सामाजिक एवं आॢथक विचार’ संबंधित कोर्स में इस तरह के टॉपिक ही नहीं है। ये सवाल सिलेबस से बाहर के हैं।

थोपी जा रही है आरएसएस की विचारधारा

छात्रों का आरोप है कि कौटिल्य और मनु के बहाने विश्वविद्यालय प्रशासन एक खास तरह की विचारधारा को बीएचयू में लागू करना चाहती है। जिस तरह से पूरे देश में विश्वविद्यालयों का भगवाकरण करने की कोशिश की जा रही है, उसी की कड़ी है ये पेपर।

छात्रों के मुताबिक अभी तक जीएसटी को लेकर कानून पूरी तरह से बना नहीं है, इस पर अभी लगातार शोध हो रहे हैं तो ऐसे में इस तरह के सवालों का कोई औचित्य नहीं है। यही नहीं भारतीय इतिहास में जिस तरह मनु का किरदार रहा है। उसे एक बड़ा तबका स्वीकार्य नहीं करता। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन आरएसएस के एजेंडे को यहंा लागू करना चाहता है।

प्रोफेसर ने पेश की सफाई

पेपर बनाने वाले राजनीतिक विज्ञान के प्रो$फेसर कौशल कौशल किशोर मिश्रा का अलग तर्क है। उनका कहना है कि ये प्रश्न सिलेबल के बाहर से नहीं है। 1939 से राजनीति विज्ञान के कोर्स में कौटिल्य और मनु को पढ़ाया जा रहा है बस इस बार प्रश्न पूछने का अंदाज नया जरूर है।

उनके मुताबिक कौटिल्य ने सदियों पहले ही कर प्रणाली के सिस्टम अपने अर्थशास्त्र में लिखा था। ऐसे में आज जब देश में जीएसटी लागू हुआ तो कौटिल्य का अर्थशास्त्र यूं ही प्रासंगिक हो जाता है। उनके मुताबिक कुछ लोग है जो बीएचयू को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे।

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story