यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद :परीक्षा छात्रों की,सरकार की या BJP की

प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद् की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। इस बार यह परीक्षा कई मायने में अलग है। हर बार की तरह नहीं है। प्रदेश की सरकार और सत्ताधारी पार्टी की भी परीक्षा हो रही है। ऐतिहासिक रूप से दस लाख परीक्षार्थी केवल चार दिनों में ही भाग खड़े हुए हैं। कारण यह कि सरकार ने नक़ल पर नकेल कसने की कोशिश की है। भाजपा जब पहली बार सत्ता में आयी थी तब न

Anoop Ojha
Published on: 10 Feb 2018 11:07 AM GMT
यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद :परीक्षा छात्रों की,सरकार की या BJP की
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यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद :परीक्षा छात्रों की,सरकार की या BJP की

संजय तिवारी

लखनऊ:प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद् की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। इस बार यह परीक्षा कई मायने में अलग है। हर बार की तरह नहीं है। प्रदेश की सरकार और सत्ताधारी पार्टी की भी परीक्षा हो रही है। ऐतिहासिक रूप से दस लाख परीक्षार्थी केवल चार दिनों में ही भाग खड़े हुए हैं। कारण यह कि सरकार ने नक़ल पर नकेल कसने की कोशिश की है।भाजपा जब पहली बार सत्ता में आयी थी तब नकल अध्यादेश लेकर आयी।उस साल जो परीक्षाफल आया उसमे महज 18 फीसद परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे।उस समय कल्याण सिंह की सरकार थी और वर्त्तमान केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह प्रदेश के शिक्षा मंत्री थे। उस परिणाम ने प्रदेश से भाजपा को ऐसा उखाड़ा कि दुबारा पूर्ण बहुमत की प्रतीक्षा में उसे 26 बरस लग गए।

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इस साल से पहले के वर्षों में भी छात्र परिक्षा छोड़ते रहे हैं लेकिन यह संख्या कुछ हजार की होती रही है। जैसे वर्ष 2013 में 564638, 2014 में 611514, 2015 में 595446, 2016 में 645024 और 2017 में 535494 छात्रों ने परीक्षा छोड़ी थी। इस बार परीक्षा छोड़ने वालो का नया रिकॉर्ड बना है। दस लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा छोड़ दी है। जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार यह आंकड़ा परीक्षा शुरू होने के महज चौथे दिन का है। पिछले वर्षों में पूरी परीक्षा के दौरान अधिकतम साढ़े छह लाख छात्रों ने ही इम्तिहान से किनारा किया। बड़ी संख्या में परीक्षा छोडऩे का कारण नकल पर प्रभावी अंकुश लगना है। इसमें सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति, परीक्षा केंद्रों में संसाधन जुटाना और शिक्षा व प्रशासन के अफसरों का सामंजस्य नकलचियों पर भारी पड़ा है।

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दरससल पिछले साल भी कुछ ख़ास नहीं हो सका था। इसे संयोग ही कहेंगे कि बीते वर्ष योगी सरकार 19 मार्च को सत्तारूढ़ हुई तो उसके चंद दिन पहले (16 मार्च से) ही यूपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हुई। मंत्रिमंडल गठन व विभाग आवंटन होते परीक्षाएं अंतिम दौर में पहुंच गईं। ऐसे में सरकार उसी समय से अगले वर्ष की परीक्षा तैयारियों में जुट गई। 2018 में परीक्षा शुरू होने की तारीख व विस्तृत परीक्षा कार्यक्रम तय समय से काफी पहले घोषित किया गया, ताकि परीक्षार्थियों को तैयारी करने का पूरा मौका मिले, फिर परीक्षा केंद्रों के संसाधन व उनके निर्धारण पर फोकस किया गया।

यहाँ यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पहली बार केंद्र निर्धारण का कार्य जिला व मंडल स्तर से छीनकर बोर्ड मुख्यालय को सौंपा गया, जहां कंप्यूटर के जरिए केंद्र बनाए गए। इसका यह असर रहा कि केंद्रों की संख्या पिछले वर्षों से करीब ढाई हजार घट गई।

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सरकार ने परीक्षा की निगरानी को हर केंद्र पर सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य किया।जिन केंद्रों पर छात्राएं अपने स्कूल में परीक्षार्थी बनी वहां अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक सहित नकल रोकने के अन्य प्रभावी इंतजाम किए गए। अपर मुख्य सचिव पिछले कुछ महीनों से लगातार हर कार्य की खुद मानीटरिंग कर रहे थे, पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए वीडियो कांफ्रेसिंग करके नकल रोकने के सख्त निर्देश दिए।इसमें जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक व मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को नकल के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

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इस साल शुरू में ही 10 लाख 44 हजार 619 यूपी बोर्ड के इतिहास में परीक्षा छोडऩे वालों की सर्वाधिक संख्या है। इसमें हाईस्कूल के छह लाख 24 हजार 473 व इंटर के चार लाख 20 हजार 146 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। खास बात यह है कि परीक्षा छोडऩे वालों की संख्या उन्हीं जिलों व केंद्रों पर अधिक है, जो पिछले वर्षों में नकल कराने के लिए कुख्यात रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह संख्या आने वाले दिनों में और भी बढ़ेगी।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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