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यूपी की पहली ई-यूनिवर्सिटी होगी खास, छात्र ऑनलाइन देख सकेंगे लेक्चर-रिसर्च

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Published on: 4 Aug 2017 8:20 AM GMT
यूपी की पहली ई-यूनिवर्सिटी होगी खास, छात्र ऑनलाइन देख सकेंगे लेक्चर-रिसर्च
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SUDHANSHU SAXENA

लखनऊ: यूपी में पढ़ाई का इरादा रखने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अच्छी खबर है। यूपी में जल्द ही एक ऐसी यूनिवर्सिटी बनने जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन एजुकेशन होगा। छात्रों के लिए प्रदेश की किसी भी यूनिवर्सिटी की सटीक जानकारी सिर्फ एक क्लिक पर मौजूद रहेगी। योगी सरकार की पहल पर प्रदेश की पहली ई-यूनिवर्सिटी के गठन पर काम शुरू हो गया है। प्रदेश की हर यूनिवर्सिटी के विवरण के साथ साथ वहां के प्रोफेसर्स के लेक्चर और रिसर्च वर्क सबको सुलभ कराने की दृष्टि से ऑनलाइन कर दिया जाएगा।

छात्रों को मिलेगा ई-लर्निंग का फायदा:

ई-यूनविॢसटी के पोर्टल के जरिए छात्रों के बीच ई-लर्निंग को प्रोत्साहित किया जाएगा। जब किसी भी कोई प्रोफेसर किसी विषय पर व्याख्यान देगा, तो उससे संबंधित एक बेसिक जानकारी वाला वीडियो ट्यूटोरियल बनाकर इस पोर्टल पर अपलोड कर देगा, जिससे छात्र पहले से विषय की जानकारी से रूबरू हो जाएंगे और लेक्चर के दौरान के एक अच्छी चर्चा हो सकेगी। इस ऑनलाइन ट्यूटोरियल को अन्य यूनिवर्सिटी के छात्र भी देख सकेंगे और विषय की बेसिक जानकारी से अवगत होते रहेंगे। इसके अलावा शोध पत्रों को भी पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाएगा।

हर कॉलेज की ई-लाइब्ररी रहेगी एक-दूसरे से जुड़ी

ई-यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों की ई-लाइब्रेरी को जोड़ कर एकीकृत किया जाएगा। आगे चलकर निजी कालेजों की ई-लाइब्रेरी को भी इसका हिस्सा बनाया जाएगा। इससे छात्रों को सभी जगह की किताबों, साहित्य और शोध सामग्री मिलने में आसानी रहेगी।

आगे की स्लाइड में जानिए इस यूनिवर्सिटी की ख़ास बातें

शिकायत भी दर्ज होंगी

ई-यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर छात्र अपनी उत्तर पुस्तिकाएं ऑनलाइन देखने के अलावा किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कर सकेंगे। जैसे ही छात्र किसी शिकायत या समस्या को अपलोड करेगा वह तत्काल संबंधित यूनिवर्सिटी या कॉलेज को ट्रांसफर कर दी जाएगी। अगर तय समय सीमा के अंदर शिकायत का निस्तारण नहीं होगा तो जिम्मेदार पर कार्रवाई तय किए जाने का प्रावधान भी है। एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बताया कि कुछ दिन पूर्व एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने गवर्नर को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

इसमें प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के अतिरिक्त बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे, राजभवन के इंफार्मेशन टेक्नालॉजी के विशेष अधिकारी सुदीप बनर्जी, प्रमुख सचिव राज्यपाल जूथिका पाटणकर, राजभवन में तैनात विशेष शिक्षा अधिकारी राजवीर सिंह राठौर और एनआईसी के अधिकारी शामिल थे। गवर्नर को सौंपी गई रिपोर्ट में ई-यूनिवर्सिटी को एक अनूठे प्रयोग के तौर पर पेश किया गया। इसके बाद 6 जुलाई 2017 को कुलाधिपति द्वारा बुलाये गए कुलपतियों के सम्मेलन में एक नोडल कमेटी बनाकर ई-यूनिवर्सिटी को धरातल पर उतारने का काम इसी कमेटी को सौंप दिया गया।

इस कमेटी में विनय कुमार पाठक, लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह भी शामिल हैं। यह कमेटी एनआईसी के साथ मिलकर काम करेगी और ई-यूनिवर्सिटी को आकार देगी।

ई-यूनिवर्सिटी से डिजिटल इंडिया को मिलेगा बल

प्रदेश के प्राविधिक और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने बताया कि डिजिटल इंडिया केंद्र और प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। यह शिक्षा के डिजिटलाइजेशन के बिना संभव नहीं था। इसके चलते ही ई-यूनिवर्सिटी बनाने की दिशा में काम शुरू किया गया है। यह शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति जैसा होगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता और जवाबदेही बढ़ेगी।

आगे की स्लाइड में जानिए और क्यों ख़ास होगी यह यूनिवर्सिटी

क्लाउड कंप्यूटिंग का होगा इस्तेमाल

ई-यूनिवर्सिटी की कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बताया कि ई-यूनिवर्सिटी नाम से एक पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसको क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया जाएगा। इसके जरिए हम प्रदेश भर की अलग-अलग 29 यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे लाखों छात्रों का एक सेंट्रलाइज्ड डेटा बना रहे हैं, जिससे छात्रों को एक यूनिवर्सिटी से दूसरी जगह एडमिशन के समय माइग्रेशन या प्राविजिनल के लिए दौड़ भाग न करनी पड़े।

जब कोई छात्र प्रदेश की किसी यूनिवर्सिटी से कोई कोर्स पूरा करके अन्य किसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए जाएगा तो संबंधित यूनिवर्सिटी छात्र की सारी डिटेल ऑनलाइन मिल सकेगी। इससे फर्जी छात्रों पर लगाम लगेगी।

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