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क्या अब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर होगा प्रयागराज विश्वविद्यालय?

Shivakant Shukla
Published on: 16 Oct 2018 2:19 PM IST
क्या अब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर होगा प्रयागराज विश्वविद्यालय?
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शिवाकान्त शुक्ल

इलाहाबाद: आज उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने को मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले को लेकर कैबिनेट ने केन्द्रीय संस्थान इलाहाबाद विश्वविद्यालय और हाईकोर्ट और स्टेशन का भी नाम बदलने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।

जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय कभी पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाता था। जो कि पहले टॉप टेन संस्थानों में भी अपना स्थान बना चुका है। जिसको इलाहाबाद विश्वविद्यालय नाम से ख्याति प्राप्त किया है। उसका नाम बदलना कितना सही है और कितना गलत! इसको लेकर newstrack.com ने विवि में पढ़ने वाले छात्रों से बातचीत ​किया। आइये जानते हैं कि विवि के छात्रों का क्या कहना है—

"पुरातन काल से ही इसका नाम प्रयागराज था इसलिए शहर का नाम बदलने से हमें कोई परेशानी नहीं है। लेकिन इलाहाबाद युनिवर्सिटी का नाम बदलना गलत है। इतना ही यदि लगाव है तो विवि के लिए सरकार कुछ करे। युनिवर्सिटी में पढ़ाई, प्रशासन और व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है। इसके लिए सरकार ​काम नहीं कर रही है विवि का नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।" पवन शुक्ल एम.ए. (अंग्रेजी) फाईनल ईयर के छात्र (इलाहाबाद यूनिवर्सिटी)

"हम यूपी सरकार के इस फैसले का स्वागतक कर रहे हैं पुरानी सभ्यता के आधार पर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो गया है तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय का भी नाम बदलना बहुत अच्छा रहेगा। जब सब कुछ बदल रहा है तो इसका भी नाम बदलना चाहिए। जब शहर का ही नाम बदल गया तो विवि का नाम इलाहाबाद के आधार पर रहना सही नहीं होगा।"

राहुल मिश्र एम.ए. अंग्रेजी फाईनल ईयर के छात्र (सीएमपी डिग्री कालेज इलाहाबाद)

"इलाहाबाद युनिवर्सिटी का नाम बदलना उचित है। यह नाम हमारी संस्कृति की पहचान है। इसे बचाये रखना बहुत ही अच्छा काम है मैं सरकार के इस निर्णय का स्वागत करता हूॅं।"

हौसिला प्रसाद यादव एमपीए (संगीत) फाईनल ईयर के छात्र

"नाम बदलने से विकास हो जता तो अच्छा हो जाता यदि विवि में कुछ बदलना है तो यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर बदलें व्यवस्था बदलें। नाम बदलना सर्वथा अनुचित है।"

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अवनीश यादव

"इलाहाबाद विवि का नाम बदला तो हम छात्रों के साथ सड़क पर उतरकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे। यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि उनका फैसला बदल नहीं दिया जाता है। यह सरकार सिर्फ नाम बदलने की राजनीति कर रही है।"

उदय प्रताप यादव छात्रसंघ अध्यक्ष (इलाहाबाद यूनिवर्सिटी)

बता दें कि विवि में आये दिन शिक्षा व्यवस्था व विश्वविद्यालय प्रशासन संबंधी बातों को लेकर विवाद होता रहता है।

यह भी पढ़ें— सरकार का बड़ा फैसला: इलाहाबाद को मिला नया नाम, बना प्रयागराज

जानें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था।

शुरूआत में म्योर कॉलेज था इविवि का नाम

1866 में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने 24 मई 1867 को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। 1869 में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने।

9 दिसम्बर 1873 को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए।

प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च 1889 में हुई

1888 अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में 889627 रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन 8 अप्रैल 1886 को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। 23 सितंबर 1887 को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च 1889 में हुई।

पुरातन प्रसिद्ध छात्र

राजनेता

मोतीलाल नेहरू

गोविन्द वल्लभ पन्त

शंकर दयाल शर्मा

गुलजारी लाल नन्दा

विश्वनाथ प्रताप सिंह

चन्द्रशेखर

सूर्य बहादुर थापा (नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री)

नारायण दत्त तिवारी

हेमवती नन्दन बहुगुणा

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा

मुरली मनोहर जोशी

अर्जुन सिंह

मदन लाल खुराना

विजय बहुगुणा

नुरुल हसन

मोहन सिंह

शान्ति भूषण

राम निवास मिर्धा

राजेन्द्र कुमारी वाजपेयी

लेखक एवं शिक्षाविद

हरीश चन्द्र (गणितज्ञ)

गोरख प्रसाद

दौलत सिंह कोठारी (वैज्ञानिक)

प्रेम चंद पाण्डेय (वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद)

महादेवी वर्मा

हरिवंश राय बच्चन

सत्यप्रकाश सरस्वती

धीरेन्द्र वर्मा

बाबूराम सक्सेना

धर्मवीर भारती

कमलेश्वर

मृणाल पाण्डे

गोविन्द मिश्र

भगवती चरण वर्मा

विभूति नारायण राय

आचार्य नरेन्द्र देव

चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'

सूर्य बहादुर थापा

अन्य

महर्षि महेश योगी

मोहम्मद हिदायतुल्ला



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