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क्या है Anti-NEET Bill: तमिलनाडु सरकार क्यों कर रही है विरोध, अगर लागू हुआ तो क्या होगा ?
Anti-NEET Bill Kya Hai: स्टालिन सरकार का कहना है, कि नीट एग्जाम किसी भी स्टूडेंट के आकलन का सही तरीका नहीं है। यह केवल अमीर परिवारों के बच्चों के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
what is anti neet bill: देश में आजकल नीट विरोधी बिल या Anti-NEET Bill पर बहस जारी है। स्वाभाविक है इसके पक्ष और विपक्ष में लोगों का अपना मत है। अभी भी कई अभिभावक इसे नहीं पाए हैं। इस बिल का विरोध सबसे अधिक तमिलनाडु की सरकार कर रही है। इतना ही नहीं, इस विवाद की गंभीरता को आप इस बात से समझ सकते हैं कि इसी साल फरवरी महीने में तमिलनाडु सरकार ने दूसरी बार राज्य विधानसभा में नीट विरोधी बिल पास किया था।
तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने बिल के विधानसभा में पास होने के बाद राज्यपाल आरएन रवि (Governor RN Ravi) के पास भेजा था। राज्यपाल ने इसे राष्ट्रपति (President) के पास मंजूरी के लिए भेज दिया। सीएम एम के स्टालिन (CM M.K.Stalin) ने स्वयं इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया था कि राज्यपाल को चाहिए कि वो जल्द ही इस बिल को पारित दें। गौरतलब है कि, इस बिल पर बीते कई सालों से विवाद चल रहा है।
जानिए क्या चाहती है तमिलनाडु सरकार?
जैसा कि हम सब जानते हैं कि, इस समय देश भर के मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) में दाखिले (Admission) के लिए स्टूडेंट्स को नीट एग्जाम (NEET Exam) देनी होती है। मगर, तमिलनाडु की स्टालिन सरकार का कहना है कि नीट परीक्षा गरीब विरोधी है। इससे सिर्फ कोचिंग संस्थानों को फायदा मिलता है। तमिलनाडु सरकार नीट (NEET) के बजाय राज्य में 12वीं की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन देना चाहती है।
NEET का विरोध क्यों?
स्टालिन सरकार (Stalin government) का कहना है, कि नीट एग्जाम किसी भी स्टूडेंट के आकलन का सही तरीका नहीं है। यह केवल अमीर परिवारों के बच्चों के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है। तमिलनाडु सरकार का आरोप है कि इस व्यवस्था से कोचिंग संस्थानों (coaching institutes) को पैसे बनाने में मदद मिलती है। साथ ही, ये भी कहना है कि प्रत्येक राज्य में अलग-अलग सिलेबस (syllabus) के आधार पर छात्रों को पढ़ाया जाता है। मगर, पूरे देश में एक ही तरह से नीट परीक्षा ली जाती है। इससे छात्रों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
कमिटी ने क्या कहा रिपोर्ट में?
बता दें कि, तमिलनाडु सरकार ने इसे लेकर के. राजन कमिटी (K.Rajan Committee) का गठन किया था। कमिटी ने सरकार के रुख का समर्थन किया था। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में नीट लागू होने से पहले 61.45 फीसदी ग्रामीण छात्रों (Rural Students) को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता था। लेकिन, नीट लागू होने के बाद यह गिरकर 49.91 प्रतिशत रह गया। वहीं, नीट से पहले 38.55 प्रतिशत शहरी छात्रों को मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता था, लेकिन नीट आने के बाद उनका दाखिला प्रतिशत बढ़कर 50.09 हो गया।
अगर Anti-NEET Bill पास हुआ तो क्या होगा?
अब जेहन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि अगर एंटी नीट बिल (Anti-NEET Bill) को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई तो पूरे देश में मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए नीट की एकल परीक्षा नहीं होगी। तब इंजीनियरिंग की तरह ही राज्य स्तरीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा ही आयोजित की जाएगी। इसके अलावा, 12वीं के मार्क्स का महत्व बढ़ जाएगा। तमिलनाडु सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगर, यह बिल पास हो गया तो 12वीं के अंक पर दाखिला दिया जाएगा।
केंद्र का इस पर क्या है रुख?
गौरतलब है कि, नीट लागू होने के बाद तमिलनाडु में तैयारी कर रहे कई छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार भी NEET में अपनी हिस्सेदारी कम करने पर विचार कर रही है। जिसके तहत केंद्र सरकार ने NEET में शामिल होने के लिए ऊपरी आयु सीमा को हटा दिया। छात्रों ने शिकायत की थी कि साल में केवल एक परीक्षा और देश में कम कॉलेज होने से नीट की परीक्षा को पास करना मुश्किल होता जा रहा है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने साल में दो बार नीट की परीक्षा आयोजित कराने के लिए बैठक की थी। हालांकि, अभी भी दो बार नीट परीक्षा नहीं हो रही है। मगर, इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। अंतिम फैसला अभी आना बाकी है।