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टीचर्स डे स्पेशल: इसे कहते हैं 'शिक्षकों का गांव', वजह कर देगी दंग
अहमदाबाद: एक समाज तभी उन्नत हो सकता है जब वहां शिक्षा का स्तर उच्च हो। शिक्षा के उच्च स्तर के लिए उच्च स्तर के शिक्षक चाहिए। शिक्षक तभी उच्च स्तर के होंगे जब वो पढ़ाई के काम को दिल से करते हो ना कि सिर्फ नौकरी समझकर। लेकिन ऐसे समय में जब बेरोजगारी की मार झेल रहे लोग शिक्षा के पेशे को भी अपना रहे हैं, यह बहुत सुकून देने वाली खबर है कि गुजरात का एक गांव ऐसा है जहां गांव की कुल आबादी छह हजार में से एक हजार लोग अध्यापन के पेशे में हैं।
भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्मदिन के रूप में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। राधाकृष्णन कहा करते थे कि किसी विद्यालय की महानता या गरिमा का निर्धारण उसकी इमारतों या उपकरणों से नहीं होता बल्कि कार्यरत अध्यापकों की विद्वता और चरित्र निर्धारण से होता है। इसलिए समाज को अच्छे शिक्षकों की जरूरत है। और इसकी मिसाल कायम करता है गुजरात का एक गांव।
उत्तर-पूर्व गुजरात के साबरकांठा जिले में एक गांव है हडियोल। इस गांव ने एक अनूठी मिसाल कायम की है। इस गांव में हर घर से एक व्यक्ति शिक्षण के पेशे में है। गांव की कुल आबादी 6000 में से 1000 लोग शिक्षक हैं। इनमें से करीब 800 लोग अभी भी शिक्षक हैं। जबकि बाकी के करीब 200 लोग सेवानिवृत हो चुके हैं। पूरे गुजरात में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां हडियोल का रहने वाला कोई शिक्षक नहीं पढ़ा रहा हो।
साबरकांठा प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख संजय पटेल बताते हैं, "गांव की इस उपलब्धि के शुरुआत की नींव साल 1955 में पड़ी। उस समय गांव के सिर्फ तीन लोग शिक्षक थे। तब गांव के रहने वाले एक दंपती गोविंदभाई रावल-सुमती बहन ने विश्व मंगल संस्था के सहयोग से शिक्षा की अलख जगाने का बीड़ा उठाया।
साल 1959 में रावल दंपती ने एक मंदिर में गांव का पहला स्कूल खोला। इसके बाद उन्होंने शिक्षा की मुहिम चलाने के लिए 'विश्व मंगलम् अनेरा' संस्था बनाई। इस संस्था के जरिये वे अब तक पांच हजार लड़कियां को शिक्षित कर चुके हैं।
हडियोल गांव से शुरू हुई शिक्षा की मुहिम ने खासा रंग दिखाया। इस गांव से शिक्षा लेते हुए आस-पास के आकोदरा, पुराल गांव और गठोडा गांव में भी शिक्षकों की संख्या में भी अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है। गांव के सेवानिवृत टीचर शंकरभाई पटेल बताते हैं, "हमारे गांव में किसी लड़के की सगाई से पहले यह देखा जाता है कि वो शिक्षक है या नहीं। गांव वाले बेटियों की शादी टीचर से करने को तवज्जो देते हैं।"
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