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Bhojpuri Special: आखिर कैसे हुई थी भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत, क्या आप जानते हैं भोजपुरी की पहली फिल्म का नाम?

Bhojpuri Special: क्या आप जानते हैं कि आखिरकार भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत कैसे हुई थी और भोजपुरी की पहली फिल्म कौन सी थी। अगर नहीं जानते हैं तो चलिए आपको हम अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में बताते है।

Shivani Tiwari
Published on: 4 May 2023 8:14 AM GMT
Bhojpuri Special: आखिर कैसे हुई थी भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत, क्या आप जानते हैं भोजपुरी की पहली फिल्म का नाम?
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Bhojpuri Industry first film(Photo- Social Media)
Bhojpuri Special: भोजपुरी सिनेमा आज खूब तरक्की कर रहा है। फिल्मों से लेकर गानों तक सभी खूब धूम मचाए हुए हैं। आज कल तो हालात कुछ ऐसे हैं कि बॉलीवुड गानों से ज्यादा लोग भोजपुरी गानों पर नाचना पसंद करते हैं, सिर्फ यही नहीं एक समय था जब भोजपुरी सिनेमा की ऑडियंस बहुत कम हुआ करती थी, लेकिन आज तो दुनियाभर में भोजपुरी सिनेमा का जादू चल रहा है। क्या आप जानते हैं कि आखिरकार भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत कैसे हुई थी और भोजपुरी की पहली फिल्म कौन सी थी। अगर नहीं जानते हैं तो चलिए आपको हम अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में बताते है।

इस तरह हुई थी भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत

भोजपुरी इंडस्ट्री जो आज दुनियाभर में इतनी पॉपुलर हो चुकी है, उसकी शुरुआत काफी मुश्किल से हुई थी। भोजपुरी सिनेमा को खड़ा करने में अभिनेता नजीर हुसैन का सबसे बड़ा हाथ था। उनकी वजह से भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत हुई थी। अब इसके बारे में आपको डिटेल में बताएं तो नजीर हुसैन एक अच्छे अभिनेता तो थे ही, लेकिन साथ ही वे एक शानदार लेखक भी थे, उन्होंने मशहूर डायरेक्टर बिमल रॉय की फिल्म "दो बिघा जमीन" की कहानी भी लिखी थी। इसी दौरान नजीर हुसैन ने डायरेक्टर बिमल रॉय से उनकी भाषा सीखी और "गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" टाइटल से एक कहानी लिख डाली।

नजीर हुसैन फिल्म बनाने के लिए पहुंचें थे बिमल रॉय के पास

"गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" पर कहानी लिखने के बाद नजीर हुसैन डायरेक्टर बिमल रॉय के पास पहुंचें, क्योंकि वह उन्हीं के साथ अपनी इस फिल्म को बनाना चाहते थे। बिमल रॉय को नजीर हुसैन की यह कहानी बेहद पसंद आई, लेकिन मुद्दा ये खड़ा हुआ कि बिमल रॉय इस फिल्म को हिंदी में बनाना चाहते थे, लेकिन नजीर हुसैन ने तय कर रखा था कि ये फिल्म वो भोजपुरी में ही बनाएंगे। फिर होना क्या था, बिमल रॉय ने फिल्म बनाने को मना कर दिया था।

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की बात सुन बढ़ाया अपना कदम

देश की आजादी के बाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक समारोह के दौरान उस समय के फिल्म मेकर्स से कहा था कि उन्हें अब भोजपुरी सिनेमा की दिशा में काम करना चाहिए। फिर क्या था! नजीर हुसैन ने डॉ राजेंद्र प्रसाद की यह बात सुन उन्हें विश्वास दिलाया कि वह बहुत जल्द भोजपुरी सिनेमा की दिशा में काम करेंगे, बस कुछ इस तरह उन्होंने भोजपुरी सिनेमा की ओर अपना कदम आगे बढ़ाया। इसके बाद उन्होंने "गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" की पट कथा लिखना शुरू कर दी।

फिल्म के लिए नहीं मिल रहा था प्रोड्यूसर

"गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" की पटकथा भी पूरी हो चुकी थी, लेकिन इस फिल्म पर पैसे लगाने वाला कोई मिल नहीं रहा था। बिमल रॉय ने तो पहले ही फिल्म के लिए मना कर दिया था। वहीं मुंबई से भी कोई भी फिल्म मेकर नजीर हुसैन की इस फिल्म में पैसा लगाने को तैयार नहीं था, क्योंकि ये भोजपुरी फिल्म थी। नजीर ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार लंबे समय बाद, फिर जाकर कहीं कोयला बिजनेसमैन और सिनेमा हॉल के मालिक विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी इस फिल्म को प्रोड्यूस करने के लिए तैयार हुए। नजीर हुसैन की इस फिल्म को डायरेक्ट करने की कमान बनारस के कुंदन शाह ने संभाली और वहीं फिल्म के लिए बनारस के ही रहने वाले कुमकुम और असीम को मुख्य किरदार के लिए चुना गया।

"गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" फिल्म का इतना था बजट

नजीर हुसैन की फिल्म "गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" के लिए प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर्स की व्यवस्था हो गई और फिर फिल्म की शूटिंग शुरू की गई। फिल्म का बजट टोटल 1 लाख 50 हजार तय किया गया था, लेकिन शूटिंग के समय इसका बजट बढ़कर 5 लाख के आसपास हो गया था, हालांकि प्रोड्यूसर विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी को इससे एतराज नहीं था, उन्होंने फिल्म पर पूरा पैसा लगाया।

भोजपुरी की पहली फिल्म ने की इतनी कमाई

5 लाख के बजट में बनी पहली भोजपुरी फिल्म "गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो" आखिरकार साल 1963 में 22 फरवरी को रिलीज हुई और उस दौरान फिल्म ने कुल 80 लाख की कमाई की थी। भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म को बेहद पसंद किया गया और फिर यहीं से भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत हुई। वहीं नजीर हुसैन भोजपुरी सिनेमा के पितामह कहलाने लगे।

Shivani Tiwari

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