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अभिनेत्री कानन देवी जिन्हें मिला रवींद्रनाथ टैगोर का आर्शीवाद पर खिलाफ हुआ समाज
कानन देवी पहली ऐसी अभिनेत्री हैं जो बांग्ला सिनेमा से हिंदी फिल्मों में आई थी और यहाँ आकर उन्होंने स्टार का दर्जा तो हासिल कर लिया पर समाज ने खुश न रहने दिया।
मुम्बई: हिंदी सिनेमा में कानन देवी के नाम को तो हर कोई जानता होगा। क्योंकि कानन देवी बेहतरीन अदाकारों में जो शामिल थी। कानन देवी पहली ऐसी अभिनेत्री हैं जो बांग्ला सिनेमा से हिंदी फिल्मों में आई थी और यहाँ आकर उन्होंने स्टार का दर्जा हासिल किया था।
कानन देवी का जन्म 22 अप्रैल को 1916 में एक मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। कानन देवी ने न सिर्फ अपनी एक्टिंग से बल्कि मधुर गायिकी से भी सभी के दिलों में अपनी जगह बनाई थी।
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दुर्भाग्यवश जब कानन देवी 10 साल की थी तब ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद उन्हें परिवार संभालने के लिए काम करना शुरू किया था।
कानन देवी को उस दौरान ज्योति स्टूडियो' की फिल्म 'जयदेव' स्टूडियो में काम करने का मौका मिला था। उन्होंने तब से ही बतौर बाल कलाकार फिल्मों में एंट्री ली थी।
कानन देवी बचपन से ही फिल्म-जगत में सक्रिय रही थी जिसके बाद साल 1942 में फिल्म 'जवाब' कानन देवी के करियर की सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी। फिल्मी करियर में तो कानन देवी ने खूब सफलता हासिल की थी लेकिन उनकी निजी जिंदगी काफी मुश्किलों में गुजरी थी।
कानन देवी ने साल 1940 में मशहूर शिक्षाविद् हरम्बा चंद्र मैत्रा के बेटे अशोक मैत्रा से शादी की थी। शादी के बाद पूरा समाज कानन देवी के खिलाफ था क्योकि उस समय महिलाओं का काम करना अच्छा नहीं माना जाता था।
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रवींद्रनाथ टैगोर ने तो कानन देवी और अशोक को शादी का तोहफा और आशीर्वाद भी दिया था जिसमे बाद ब्रह्म समाज ने उनकी भी आलोचना की थी। जिसके चलते कानन देवी को तलाक लेना ही पड़ा।
कानन देवी के सफल फिल्मी करियर को देखते हुए उन्हें साल 1976 में 'दादा साहेब फाल्के पुरस्कार' से भी नवाजा गया था। साल 1992 में 17 जुलाई को कानन देवी इस दुनिया से विदा हो गई।