TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कवि प्रदीप के इस देशभक्ति गीत को सुनकर रो दिए थे नेहरू

कवि प्रदीप एक भारतीय कवि और प्रसिद्ध गीतकार थे। जिन्हें देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगो’ के लिए जाना जाता है, जो उन सैनिकों के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में लिखे गए थे, जो चीन-भारतीय युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे।

Monika
Published on: 11 Dec 2020 11:44 AM IST
कवि प्रदीप के इस देशभक्ति गीत को सुनकर रो दिए थे नेहरू
X
कवि प्रदीप: इनके देशभक्ति गीत सुन कर आज भी लोगों की आँखें नम हो जाती हैं

कवि प्रदीप एक भारतीय कवि और प्रसिद्ध गीतकार थे। जिन्हें देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगो’ के लिए जाना जाता है, जो उन सैनिकों के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में लिखे गए थे, जो चीन-भारतीय युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे।

लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में सीधा प्रसारण किया गया। गीत सुनकर जवाहरलाल नेहरू के आंख भर आए थे। आज ही के दिन महान कवि प्रदीप ने दुनिया को अलविदा कहा था। उन्हें याद करते हुए आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें..

कविता लिखने का था शौख

कवि प्रदीप का जन्म 6 फ़रवरी 1915 में हुआ था। कवि प्रदीप का पूरा नाम रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी था। इनका जन्म उज्जैन के निकट छोटे से मध्य भारतीय कस्बे बड़नगर में एक मध्यमवर्गीय औदिच्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कवि प्रदीप ने ‘लखनऊ विश्वविद्यालय’ से स्नातक की पढ़ाई की थी ,उन्हें हिंदी कविता लिखने और प्रस्तुत करने का शौख था।

ये भी पढ़ें: रोंगटे खड़े करने आ रही Durgamati, लॉन्च से पहले ही हुआ कुछ ऐसा…देखें video

इस गीत को लिखने के लिए हुए अंडरग्राउंड

उनकी पहली पहचान फिल्म बंधन (1940) के लिए उनके देशभक्ति गीतों के ज़रिए आई। एक राष्ट्रभक्त लेखक के रूप में उनकी स्थिति को भारत के पहले स्वर्ण जयंती हिट ‘किसमेट’ में एक बेहद देशभक्ति गीत ‘दूर हटो दूनिया वालो’ लिखने के लिए अमर हो गए। इस फिल्म के रिलीज़ के बाद उन्हें तुरंत अंडर ग्राउंड होना पड़ा था ताकी उन्हें ब्रिटिश सरकार गिरफ्तार ना कर सके।

अपने करियर में कवि प्रदीप ने लगभग 1,700 गाने लिखे और कुछ फिल्मों के गीतों सहित राष्ट्रवादी कविताएँ, जिनमें फ़िल्म चलन (1 9 40) में चल चल रे नौजवान जैसी हिट फ़िल्में (1 9 40) और ‘आओ बोलो बच्चों तुम्हे दिखाएँ और दे दी हमें आज़ादी.. शामिल हैं। 1997 में, उन्हें सिनेमा में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ये भो पढ़ें: कोरोना से जंग में शाहरुख ने की खूब मदद, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, हो रही तारीफ

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story