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Bollywood Special: तलाक के बाद सिंगल मदर बन आशा भोसले ने की थी बच्चों की परवरिश, रोजी-रोटी के लिए पाई पाई की थीं मोहताज
Bollywood Special: बॉलीवुड की दिग्गज सिंगर आशा भोसले ने एक सिंगल वर्किंग मदर के रूप में अपने तीनों बच्चों की परवरिश की है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरक जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से।
Bollywood Special: हजारों गीतों को अपनी आवाज से अमर बना देने वालीं आशा भोसले को भारतीय सिनेमा जगत की महान गायिकाओं में गिना जाता है। 'द क्वीन ऑफ़ मेलोडी' आशा भोसले ने अपनी आवाज से लाखों-करोड़ों दिलों पर राज किया है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए आशा को कई बाधाओं से गुजरना पड़ा था। आशा भोसले ने घर के सारे काम करने से लेकर स्टूडियो में 8 घंटे खड़े रहने तक, एक सिंगल वर्किंग मदर के रूप में अपने तीनों बच्चों की परवरिश की है। आइए आज हम आपको यहां उनके जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।
'द क्वीन ऑफ मेलोडी' हैं आशा भोसले
आशा भोसले का जन्म साल 1933 में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव 'सांगली' में हुआ था। महज दस साल की उम्र में उन्होंने गायिकी की दुनिया में कदम रख दिया था। उनका पहला गाना मराठी था। यह साल 1943 में आया था। गाने का नाम 'चला चला नव बाला' था। इसके बाद 16 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला सोलो गाना फिल्म 'रात की रानी' के लिए गाया था, जिससे उन्हें पहचान मिली थी। उनकी निजी जिंदगी का बात करें, तो आशा ने बहुत छोटी उम्र में गणपतराव भोसले से शादी की थी, लेकिन यह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सका। शादी के कुछ साल के बाद वह अपने बच्चों के साथ वापस अपने घर लौट आईं और यहां से शरू हुई उनकी जिंदगी में संघर्ष की कहानी।
सिंगल पेरेंट के रूप में की बच्चों की परवरिश
साल 1960 में गणपतराव से तलाक होने के बाद साल 1966 में उनका निधन हो गया और आशा ने सिंगल पेरेंट के रूप में अपने बच्चों की परवरिश की। 'दूरदर्शन कोलकाता' के साथ एक पुराने इंटरव्यू में आशा भोसले ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए एक किस्सा बताया था। उन्होंने कहा था, ''मुझे अपने एक महीने के बच्चे को घर पर छोड़कर जाना पड़ता था, ताकि मैं जाकर गा सकूं और पैसा कमा सकूं। उन संघर्ष के दिनों में कभी गाना मिलता, कभी नहीं मिलता। मैं रियाज के लिए सुबह 5 बजे उठ जाती थी। इन सबके अलावा मुझे घर के सारे काम भी करने पड़ते थे।''
आशा ने बताया था कि वह कुछ समय बाद 'बोरीवली' में शिफ्ट हो गई थीं, जो एक गांव था। गाना गाने के अलावा उन्हें घर के सारे काम करने पड़ते थे। जैसे- कुएं से पानी लाना, दिन में तीन बार खाना बनाना, अपने बच्चों के लिए लंच बॉक्स पैक करना, उन्हें स्कूल छोड़ना और अपने वृद्धों की देखभाल करना। ये सभी करने के बाद आशा को अपना गाना रिकॉर्ड करने के लिए स्टूडियो में 6-8 घंटे खड़े रहना पड़ता था। उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया था, "भगवान ने मुझे बहुत सारी ऊर्जा दी है और एक मजबूत इच्छा शक्ति भी। मैं कभी किसी चीज को ना नहीं कहती थी। मैं खड़ी रहती और जितना समय लगता में गाना रिकॉर्ड करती थी। कभी-कभी तो मुझे खड़े-खड़े पूरी रात हो जाती थी।"
आशा भोसले वास्तव में एक महान गायिका के साथ-साथ एक जिम्मेदार मां भी हैं, जो कई लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जिन्होंने अपने हर मुश्किल वक्त का डटकर सामना किया। आपकी इस पर क्या राय है? हमें कमेंट में बताएं और हमारे लिए कोई सुझाव हो तो अवश्य साझा करें।