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कादर खान: गरीबी से बॉलीवुड तक ऐसा रहा सफर, जानें कैसे मिला अभिनय का मौका
फिल्मी दुनिया में कादर खान एक ऐसे कलाकार थे जो स्क्रिप्ट राइटर से अभिनय की दुनिया में आए और अपनी खलनायकी हास्य और चरित्र अभिनय से पहचान बनाई। इसके अलावा उन्होंने फिल्म निर्देशन भी किया।
मुंबई: फिल्मी दुनिया में कादर खान एक ऐसे कलाकार थे जो स्क्रिप्ट राइटर से अभिनय की दुनिया में आए और अपनी खलनायकी हास्य और चरित्र अभिनय से पहचान बनाई। इसके अलावा उन्होंने फिल्म निर्देशन भी किया। पांच दशक तक तक चलता रहा उनका फिल्मी सफर एक गंभीर बीमारी के बाद थम गया और आज ही के दिन कादर खान इस दुनिया को छोड़कर चले गए।
गरीबी में बीता बचपन
उनका बचपन अत्यन्त गरीबी में बीता इसलिए वह दस साल की उम्र से नाटकों में काम करने लगे। इसमें जो पैसे मिलते थे वह उसे अपनी पढ़ाई में लगाया करते थे। इस तरह उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और प्रोफेसर बन गए। पढ़ाने के साथ-साथ उन्होंने नाटकों में काम करना जारी रखा। कालेज के वार्षिकोत्सव में कादर खान ने एक प्ले में हिस्सा लिया था। जिसकी सबने बहुत प्रशंसा की। अभिनेता दिलीप कुमार को जब इस प्ले के बारे में पता चला तो उन्होंने भी इसे देखने की इच्छा जताई।
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सारी रात छात्रों को पढ़ाते कादर खान
इसके लिए विशेष इंतजाम किये गये और कादर खान ने उनके लिए ही अभिनय किया। एक कालेज में प्रोफेसर रहे कादर खान शूटिंग के बाद रात को कॉलेज पहुंचते थे। तब तक छात्र उनका इंतजार करते रहते थे। इसके बाद कादर खान सारी रात उन्हें पढ़ाते थे। लगभग तीन सौ फिल्मों काम करने वाले कादरखान की पहली फिल्म 1973 में दाग थी जिसमे उन्होंने एक वकील की भूमिका निभाई थी। पर उस फिल्म में उनकी कोई पहचान नहीं बन सकी। उनको फिल्मों में लाने का काम अभिनय सम्राट दिलीप कुमार ने ही किया था।
कई फिल्मों में नजर आयी कादर और अमिताभ की जोड़ी
सत्तर और अस्सी के दशक में अभिनेता कादर खान और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने कई फिल्मों में काम किया। इसमें अदालत, सुहाग, मुकद्दर का सिकंदर, नसीब और कुली जैसी कामयाब फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा कादर ने अमर अकबर एंथनी, सत्ते पे सत्ता और शराबी जैसी फिल्मों के डायलॉग भी लिखे।
इन सुपर हिट फिल्मों के संवाद लिखे
इसके अलावा उन्होंने अभिनेता जितेन्द्र के साथ मवाली, जस्टिस चैधरी, जानी दोस्त और हिम्मतवाला की। नया कदम, अंदर-बाहर, कैदी, मकसद, तोहफा इन्कलाब मास्टर जी, सरफरोश, बलिदान, मेरा जवाब और पत्थर दिल, इंसाफ की आवाज, दोस्ती दुश्मनी, घर-संसार, धर्म अधिकारी, सुहागन, आग और शोला हिम्मत और मेहनत, हिफाजत, वतन के रखवाले, सिन्दूर, खुदगर्ज, औलाद, मजाल, प्यार करके देखो, जवाब हम देंगे कुली नं वन, मैं खिलाडी तू अनाड़ी, खून भरी मांग, कर्मा, सरफरोश और धर्मवीर जैसी सुपर हिट फिल्मों के संवाद लिखे हैं। अस्सी के दौर में दक्षिण भारत की फिल्मों में कादरखान की अभिनय ने इन फिल्मों को खूब हिट कराया।
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कादर खान 1982 और 1993 में बेस्ट डायलॉग के लिए फिल्म फेयर जीतें । इसके अलावा 1983 में हिम्मतवाला, 1986 में आज का दौर, 1990 में सिक्का, 1992 में हम, 1994 में आँखें, 1995 में मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, 1996 में कुली नम्बर वन, 1997 में साजन चले ससुराल के लिए और 1999 में दुल्हे राज में बेस्ट कॉमेडी के लिए बेस्ट फिल्म फेयर अवार्ड में नामांकित किया गया। 2013 में कादर खान को उनके फिल्मों में योगदान के लिए साहित्य शिरोमनी अवार्ड से नवाजा गया।
कादर खान को एक बडी और लाइलाज बीमारी हो गयी थी जिसके इलाज के लिए उन्हें कनाडा जाना पड़ा। कई महीनों तक इलाज कराने के बाद 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
श्रीधर अग्निहोत्री