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सुशांत की मौत से बेपर्दा होता गया बॉलीवुड, इन मामलों में पहले से ही पड़ चुका है पर्दा

सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी भले ही हत्या और आत्महत्या के बीच झूल रही हो, पर इस उभरते युवा कलाकार की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

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Published on: 5 March 2021 1:05 PM GMT
सुशांत की मौत से बेपर्दा होता गया बॉलीवुड, इन मामलों में पहले से ही पड़ चुका है पर्दा
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फोटो— सोशल मीडिया

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

लखनऊ। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी भले ही हत्या और आत्महत्या के बीच झूल रही हो, पर इस उभरते युवा कलाकार की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इसी का नतीजा रहा कि सुशांत के पक्ष में हर तबके से आवाज उठी। नतीजा यह रहा कि सुशांत के बहाने बॉलीवुड में व्यप्त गंदगी धीरे—धीरे करके सामने आने लगी। हालांकि यह पूरा मामला मौत की जगह ड्रग एंगल में तब्दील हो चुका है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे पर्दे का काला सच छुप जाएगा। पर्दे पर जिन्हें देखकर हम अपना हीरो मान बैठते हैं, रियल लाइफ में वह किसी विलेन से कम नहीं है। फिलहाल सुशांत सिंह ड्रग केस में एनसीबी ने 12 हजार पेज का चार्जशीट दाखिल किया है, जिसमें रिया चक्रवर्ती सहित 33 लोगों को आरोपी और 200 लोगों को गवाह बनाया गया है।

हीरो को रियल लाइफ में हीरो मानना बड़ी गलती

salmaan khan

गौरतलब है कि हम लोग पर्दे पर दिखने वाले हीरो को रियल लाइफ में हीरो मान बैठते हैं। तभी तो हम प्रतिबंधत काले हिरन का शिकार करने के मामले में दोषी और हिट एंड रन केस के आरोपी अभिनेता सलमान खान के पक्ष में खड़े होकर कानून और इंसाफ दोनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं। वर्ष 1998 में काले हिरन का शिकार करने के मामले में जोधपुर की कोर्ट ने सलमान खान को दोषी ठहराया था। लेकिन कोर्ट का फैसला आने के से पहले कोर्ट के बाहर सलमान खान के समर्थकों का हुजूम जिस तरह से अभिनेता के पक्ष में प्रदर्शन कर रहा था, उससे यह साफ हो जाता है कि इस देश की जनता भी व्यक्ति के हिसाब से इंसाफ चाहता है। जबकि सलमान खान वहीं अभिनेता है जिनका नाम वर्ष 2002 में हिट एंड रन केस में भी आया था। इस मामले में सलमान खान पर सड़क के किनारे फुटपाथ पर सो रहे मजदूरों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा था।

सजा में भी भेदभाव

Film Industry

इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि 4 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मजे की बात यह रही इस मामले के गवाह ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सिर से सींग गायब होती है। आलम यह है कि मरने वाले मर गए, घायलों की जिंदगी बर्बाद हो गई। लेकिन सलमान खान आज भी लाखों दिलों की धड़कन बने हुए हैं। इसी तरह वर्ष 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट मामले में 100 लोगों को दोषी ठहराया गया था, जिसमें अभिनेता संजय दत्त का भी नाम आया था। इतना ही नहीं संजय दत्त के पास से एके 56 भी बरामद होने की बात सामने आई थी। लेकिन हुआ क्या। और लोगों का तो पता नहीं मगर संजय दत्त की सजा कम कर दी गई। जबकि पुलिस की पूछताछ में संजय दत्त ने एके 56 रखने और दाऊद इब्राहिम से संबंध होने की बात स्वीकारी थी। उन्होंने कहा था कि उनके पास से बरामद विस्फोटक दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के दिए हुए थे।

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अंडरवर्ल्ड से जुड़े हैं कई नाम

फिल्म निर्माता से लेकर कलाकारों तक के संबंध अंडरवर्ल्ड से हैं यह बात हर किसी को पता है। लेकिन इस मामले में कितनों पर कार्रवाई हो पाई यह बड़ा सवाल वर्षों से अनुत्तरित है। जब तक इसका उत्तर नहीं मिल जात बॉलीवुड की कलंक गाथा इसी तरह चलता रहेगा। सुशांत मामले में ड्रग एंगल आते ही कई कलाकार इसके विरोध में उतर गए और यह तर्क देने लगे कि बॉलीवुड को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। कई अभिनेता—अभिनेत्री ऐसे हैं, जिन्होंने कई फिल्मों में साथ काम भी किया है, लेकिन इस समय उनमें काफी मतभेद हो गया है। कुछ ऐसे है जो यह स्वीकार कर रहे हैं बॉलीवुड काफी हद तक अपराध के दलदल में फंसा हुआ है। जबकि अधिकतर लोग इंडस्ट्री को एकदम पाक साफ बताने में लगे हुए है। लेकिन कड़वा सच यह है कि इंडस्ट्री में अपराध की जड़ें काफी गहरी हो चुकी हैं, जिसे इतनी आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता।

फिलहाल सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स की खरीद और आपूर्ति करने के मामले में एनसीबी का जो रुख है उससे यही लग रहा है इस बार कई बड़े चेहरे कानूनी शिकंजे में आएंगे। जांच एजेंसी ने अपनी 6 महीने की जांच में महाराष्ट्र में कई ठिकानों पर छापेमारी की और बॉलीवुड के अंदर चल रहे ड्रग्स रैकेट का खुलासा किया था। इतना ही नहीं एनसीबी ने ड्रग्स केस की जांच में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, रकुल प्रीत सिंह, श्रद्धा कपूर, सारा अली खान और अर्जुन रामपाल समेत कई सितारों से पूछताछ कर चुकी है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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