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खुदकुशी हरगिज़ ना करना चाहिए, ज़िन्दगी से लड़कर मरना चाहिए,'जशन-ए-लखनऊ का सफल आयोजन
शायरी लोगों को जोड़ने का काम करती है, और शायरी अगर उर्दू में कही जाए तो फिर शायरी का मोल बढ़ जाता है। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा गुरुवार को जशन-ए-लखनऊ अखिल भारतीय मुशायरा का सफल आयोजन किया गया। मुशायरे में पूरे देश से आए शायरों ने समां बांध दिया।कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी द्वारा मोमबत्ती जलाकर किया गया।
शाश्वत मिश्रा
लखनऊ: शायरी लोगों को जोड़ने का काम करती है, और शायरी अगर उर्दू में कही जाए तो फिर शायरी का मोल बढ़ जाता है। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा गुरुवार को जशन-ए-लखनऊ अखिल भारतीय मुशायरा का सफल आयोजन किया गया। मुशायरे में पूरे देश से आए शायरों ने समां बांध दिया।कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी द्वारा मोमबत्ती जलाकर किया गया।जिसके बाद मुशायरे का कार्यक्रम शुरू हुआ, और देश भर से आये शायरों ने अपनी शायरी, गज़लों और नज़्मों से यहां पर मौजूद लोगों के चेहरे पर खुशी ला दी।
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दिल का हक़ यूँ अदा करे कोई, दर्द बनकर रहा करे कोई- फारुख आदिल
मुशायरे में लखनऊ के शायर फारुख आदिल ने अपनी एक गज़ल के जरिए लोगों से खूब वाहवाही लूटी
'दिल का हक़ यूँ अदा करे कोई, दर्द बनकर रहा करे कोई।
जाने क्या क्या कहता रहता है, कैसे दिल का खा करे कोई।
पहले रखले वो जान हथेली पर, फिर मोहब्बत की आह करे कोई।
छीन लें जो किसी की बिनाई, उन उजालों का क्या करे कोई।
इश्क़ सच्चा नही तो सब बेकार, लाख सजदे किया करे कोई।
दिल का हक़ यूँ अदा करे कोई, दर्द बनकर रहा करे कोई।'
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इस कार्यक्रम में शायर फारुख आदिल के साथ साथ शायर नय्यर जलालपुरी, इकबाल अशहर, खुर्शीद हैदर, मीसम गोपालपुरी, सुंदर मालेगावी, नूह आलम इन्दौरवी, अल्ताफ जिया, तारिक कमर, सैफ बाबर, निकहत अमरोहवी, मखमूर काकोरवी, अल्तमश अब्बास, इरफान लखनवी और रिजवान फारूकी मौजूद रही।
इस मौके पर कार्यक्रम के आयोजक शादाब आलम के साथ उर्दू अकादमी के सचिव एस. रिजवान ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।