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2 रुपये की किताब ने बदली किस्मत, जानिए कैसे बनें मनोज शुक्‍ला से 'मुंतशिर'

मशहूर कवि, शायर, गीतकार और पटकथा लेखक मनोज ‘मुंतशिर’ आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। मिडिल क्लास परिवार से आने वाले इस बेहतरीन राइटर के पिता किसान और मां प्राइमरी स्कूल की टीचर थीं। बचपन से ही वह पढ़ाई-लिखाई में बेहद आगे थे।

Ashiki
Published on: 27 Feb 2021 11:59 AM IST
2 रुपये की किताब ने बदली किस्मत, जानिए कैसे बनें मनोज शुक्‍ला से मुंतशिर
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2 रुपये की किताब ने बना दी किस्मत, जानिए इस फेमस डायलॉग राइटर की कहानी

मुंबई: मशहूर कवि, शायर, गीतकार और पटकथा लेखक मनोज ‘मुंतशिर’ आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। मिडिल क्लास परिवार से आने वाले इस बेहतरीन राइटर के पिता किसान और मां प्राइमरी स्कूल की टीचर थीं। बचपन से ही वह पढ़ाई-लिखाई में बेहद आगे थे। मां की पांच सौ रुपये सैलरी थी, लेकिन फिर भी बच्चे को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाया।

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युवाओं के दिलों पर राज करते हैं उनके डायलॉग्‍स

'देवसेना को किसी ने हाथ लगाया तो समझो बाहुबली की तलवार को हाथ लगाया' और 'औरत पर हाथ डालने वाले का हाथ नहीं काटते, काटते हैं उसका गला' जैसे शानदार डायलॉग्‍स को अपनी कलम से लिखने वाले जाने माने गीतकार मनोज मुंतशिर आज युवाओं के दिलों पर राज करते हैं।

मनोज ‘मुंतशिर’ का जन्म 27 फरवरी 1976 को यूपी के अमेठी में हुआ था। मिडिल क्लास परिवार में पैदा हुए मनोज मुंतशिर ने हरदम औकात से बड़े सपने देखे। वह कहते हैं- "जूते फटे पहन कर आकाश पर चढ़े थे सपने हर दम हमारी औकात से बड़े थे!" 1997 में इलाहाबाद आकाशवाणी में काम करने के लिए पहली सैलरी लगी और सैलरी के रूप में 135 रुपए मिले थे।

1999 में अनूप जलोटा के ल‍िए उन्‍होंने भजन लिखा था और उस समय उन्हें पहली बार 3000 रुपये मिले थे। मुंबई में फुटपाथ पर कई रात बिताने वाले मनोज ने साल 2005 में कौन बनेगा करोड़पति के लिए लिरिक्स लिखे ।मनोज बताते हैं कि स्टार टीवी के एक अधिकारी ने मेरा काम देखा था, एक दिन उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा कि अमिताभ बच्चन से मिलोगे। वो मेरे संघर्ष के दिन थे, तो मुझे लगा कि मजाक हो रहा। फिर वो मुझे एक होटल ले गए, जहां मेरी मुलाकात अमिताभ बच्चन से हुई।

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2 रुपये की किताब ने बदली जिंदगी

मनोज मुंतशिर को बचपन से ही उर्दू सीखने का शौक था। इसके लिए उन्होंने एक मस्जिद के नीचे से उर्दू की किताब खरीदी। उसमें हिंदी के साथ उर्दू लिखी थी। उसी किताब ने उनकी जिंदगी बदल डाली। इसके बाद मनोज शुक्‍ला हमेशा के लिए मनोज मुंतशिर हो गए। मनोज मुंतशिर के पिता को जब पहली बार पता चला की उनके लाडले बेटे ने अपना नाम बदल लिया है तो घर में मानो मातम छा गया था। जब उन्‍होंने ठान लिया कि उन्हें फिल्मों में गाने लिखना है तो उनके फैसले को खुद उनके पिताजी भी बदल न पाए।

इन फिल्मों को मनोज ने दी नई पहचान

मनोज ने फेमस फिल्म बाहुबली के अलावा हॉफ गर्लफ्रेंड, रुस्तम, एमएस धोनी, वीरप्पन, सनम रे, बेबी, पीके, लीला, एक विलेन जैसी तीन दर्जन से अधिक फिल्मों के गाने और डायलॉग लिखे हैं।

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