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रामानंद सागर: भगवान की दिखाई झलक, धारावाहिक शुरु होते ही छा जाता था सन्नाटा
रामानंद सागर एक ऐसा नाम है जिन्होंने दुनिया में खूब नाम कमाया। वह एक भारतीय फिल्म निर्देशक थे। सन 1987 में बनी रामायण ने टीवी की दुनिया के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
रामानंद सागर एक ऐसा नाम है जिन्होंने दुनिया में खूब नाम कमाया। वह एक भारतीय फिल्म निर्देशक थे। सन 1987 में बनी रामायण ने टीवी की दुनिया के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। वह दुनिया में सबसे अधिक देखा जाने वाला धारावाहिक बन गया। आज ही के दिन रामानंद सागर ने दुनिया को अलविदा कहा था। लेकिन उनकी ये रिकॉर्ड तोड़ने वाली धारावाहित को आज भी देख लोग उन्हें याद किया करते हैं।
लाहौर के जन्मे रामानंद सागर
रामानंद सागर का जन्म लाहौर के नजदीक असल गुरु नामक स्थान पर 29 दिसम्बर 1927 को एक धनाढ्य परिवार में हुआ था। भारत के बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर भारत मे आ गया था। उन्होंने रामकथा सबसे पहले अपनी नानी से सुनी थी। रामानंद सागर को शुरू से ही अपने माँ बाप का प्यार नहीं मिला सका। इसकी वजह यह ती कि इन्हें इनकी नानी ने गोद ले लिया था। उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा नानी की ही देखरेख में ही की थी। ऐसा कहा जाता है कि रामानंद सागर को नानी के घर से भी निकाल दिया गया था।
दहेज़ से किया इनकार
बताया जाता है कि रामानंद सागर ने अपनी शादी में दहेज लेने से इनकार कर दिया था। यही वजह है कि इन्हें घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। वो बचपन से ही पढ़ने में मेधावी थे। जिसके चलते वह पत्रकारिता में आ गये। आगे चल कर उन्होंने एक प्रतिष्ठित मैगजीन में काम किया। इसके बाद रामानंद सागर ने फिल्में बनाने का निर्णय लिया।
रचा इतहास
और यही से उन्होंने मन ही मन में भगवान राम के स्वरूप की कल्पना की और वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण को टीवी पर उतारने की कोशिश की। जिसने पूरे देश को लगभग बंद करवा दिया था। उस जमाने के लोग आज भी ये बताया करते हैं कि जब रामायाण टीवी पर आया करता था तो सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था। शुरू शुरू में लोग टीवी पर आए धारावाहिक को भगवान् समाज टीवी की ही पूजा कर दिया करते थे. कई लोगों ने आस्था के चलते ये तक मान लिया था कि भगवान ऐसे हि दिखते होंगे।
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श्री कृष्ण को छोटे पर्दे पर उतारा
रामायण की अपार सफलता के बाद उन्होंने श्री कृष्ण के चरित्र को भी इन्होंने अमर बना दिया। आज भी लोग श्री कृष्ण को देखना पसंद करते हैं उनके भोले स्वरुप को बार बार देख कर भी मन नहीं भरता। बता दें, 1993 में यह धारावाहिक दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था। इसके अलावा भी रामानंद सागर ने विक्रम बेताल, दादा दादी समेत कई बेहतरीन टीवी धारावहिक और फिल्मों को डायरेक्ट किया जो अब भी दूरदर्शन पर प्रसारिक किया जाता है।
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