×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सुमन कल्याणपुर ने दिए कई हिट गाने, फिर भी ताउम्र रहीं लता मंगेशकर की क्लोन

आज भी सुमन के अनेक गीत जब रेडियो पर या टीवी पर बजते-सुनाई देते हैं, तो श्रोता को लता का भ्रम होता है। जबकि वे सुमन के गाए होते हैं। पारखी श्रोता ही यह अंतर समझ पाते हैं।

suman
Published on: 28 Jan 2021 8:41 AM IST
सुमन कल्याणपुर ने दिए कई हिट गाने, फिर भी ताउम्र रहीं लता मंगेशकर की क्लोन
X
इसी साल संगीतकार नाशाद के निर्देशन में फिल्म दरवाजा में पांच गीत गाकर अपना पैर मजबूती से जमाया। इस दौर में वह सुमन हेमाड़ी थी। मुंबई के व्यापारी रामानंद कल्याणपुर से शादी के बाद वह सुमन कल्याणपुर हो गईं। 

मुंबई सुमन कल्याणपुर बॉलीवुड की मशहूर गायिका है। पुराने जमाने के उनके गीत आज भी काफी मशहूर है। इनमें ना तुम जानों न हम, दिल गम से जल रहा है, मेरे संग गा, मेरे महबूब न जा, जो हम पे गुजरती है, बहना ने भाई की कलाई में, आदि कई गाने काफी हिट हो चुके हैं।

पार्श्व गायिका की हिन्दी फिल्म संगीत में दशा दोधारी चाकू की तरह रही है, जो दोनों ओर से चीजों को काटता है। अपनी अच्छी आवाज के बावजूद सुमन को फिल्मों में संगीतकारों ने अधिक अवसर इसलिए नहीं दिए ,क्योंकि उनकी आवाज हूबहू लता से मिलती थी। जब बाजार में ओरिजिनल आवाज उपलब्ध हो, तो डुप्लिकेट को कोई क्यों कर मौका देने लगे।

खनकते कलदार

सुमन का फिल्मों में आगमन भी ऐसे दौर में हुआ, जब लता के खनकते कलदार सिक्के चलते थे। कोई संगीतकार लता के विरुद्ध सुमन से गवाने की हिमाकत कैसे कर सकता था। इसलिए सुमन चुपचाप हमेशा दूसरी कतार में खड़ी रहकर अपने नियति को दबे होंठ ताउम्र स्वीकारती रही। उन्हें लता का क्लोन बना दिया गया।

suman

यह पढ़ें...अवध के लाल मयंक दुबे की फिल्म का पोस्टर लांच, जबरदस्त एक्शन में आएंगे नजर

एक समय एचएमवी ने 50 प्रेम-गीतों के चार कैसेट्स जारी किए थे। उनमें अधिकतम सात गीत सुमन द्वारा गाए हुए थे। किशोर, रफी, तलत, मन्ना डे, गीता दत्त, हेमंत कुमार सब उनके पीछे थे। कैसेट कवर पर सबके फोटो छापे गए मगर सुमन का फोटो एक कैसेट पर भी नहीं था। यह कुछ उसी तरह की घटना है कि जायज टिकट के बावजूद बस कण्डक्टर मुसाफिर को सरे राह उतार दे।

बसंती बयार ने शीतल हवा

सुमन के पार्श्वगायन के करियर में सत्तर के दशक में बसंती बयार ने शीतल हवा के झोंकों से उन्हें शांति प्रदान की थी। गीतों की रायल्टी को लेकर रफी-लता में मनमुटाव चल रहा था। दोनों ने साथ गाना छोड़ दिया था। सुमन को इस दशक में 170 फिल्मों में गाने का मौका मिला। इस दौर में सुमन के उम्दा गीत सामने आए।

जैसे- दिल एक मंदिर है (दिल एक मंदिर), अगर तेरी जलवानुमाई न होती (बेटी-बेटे), तुमने पुकारा और हम चले आए (राजकुमार), अजहुं न आए बालमा सावन बीता जाए (सांझ और सबेरा) तथा आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर (ब्रह्मचारी), लेकिन बाद में रफी-लता में समझौता होते ही पुरानी स्थिति लौट आई।

suman

पढ़ाई तथा संगीत का प्रशिक्षण

सुमन का जन्म 28 जनवरी 1937 को ढाका (बंगला देश की वर्तमान राजधानी) में हुआ। पिता बैंक अधिकारी थे। 1943 में मुंबई आने पर पढ़ाई तथा संगीत का प्रशिक्षण यही लिया। अपने गुरु यशवंत देव से बाकायदा संगीत सीखा। उन्होंने ही मराठी फिल्म शुक्राची चांदनी में पहली बार गवाया। किस्मत यहां भी दगा दे गई। यह फिल्म में शामिल नहीं हुआ। लेकिन संगीतकार मोहम्मद शफी ने सुमन को फिल्म मंगू में गाने के अवसर दिए। सन था 1954 और सुमन की उम्र थी 17 साल।

फिर किस्मत ने झपट्टा मारा, निर्माता ने संगीतकार को फिल्म के अधबीच में बदल लिया। उनका स्थान ओपी नय्यर ने लिया। ओपी को गीता दत्त, आशा भोसले तथा शमशाद की मोटी आवाज पसंद थी। उन्होंने सुमन का सिर्फ एक गीत फिल्म में रखा-कोई पुकारे धीरे से तुझे।

इसी साल संगीतकार नाशाद के निर्देशन में फिल्म दरवाजा में पांच गीत गाकर अपना पैर मजबूती से जमाया। इस दौर में वह सुमन हेमाड़ी थी। मुंबई के व्यापारी रामानंद कल्याणपुर से शादी के बाद वह सुमन कल्याणपुर हो गईं।

यह पढ़ें...30 जनवरी को हम लोग उपवास रखेंगे और आंदोलन जारी रहेगा: राकेश टिकैत

suman kalayanpur

धुनों पर गाने का मौका

यह बात नहीं है कि सुमन को अच्छे संगीतकारों की धुनों पर गाने का मौका नहीं मिला। हेमंत कुमार, रोशन, एसडी बर्मन, कल्याणजी-आनंदजी, शंकर-जयकिशन, मदन मोहन, खय्याम, चित्रगुप्त और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सुरों के साथ अपने स्वर देने के मौके तो कई मिलें,

लेकिन तमाम फिल्में बी तथा सी ग्रेड की होने से लोकप्रियता नहीं मिल सकी। आज भी सुमन के अनेक गीत जब रेडियो पर या टीवी पर बजते-सुनाई देते हैं, तो श्रोता को लता का भ्रम होता है। जबकि वे सुमन के गाए होते हैं। पारखी श्रोता ही यह अंतर समझ पाते हैं।

इन गीतों में दी आवाज

*इतने बड़े जहां में अपना भी कोई होता (डार्क स्ट्रीट), इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना (शमा), जूही की कली मेरी लाड़ली (दिल एक मंदिर), अपने पिया की मैं तो बनी रे जोगनियां (कण कण में भगवान), तुझे प्यार करते हैं करते रहेंगे (अप्रैल फूल), हाले-दिल उनको सुनाना था (फरियाद), परबतों के पेड़ों पर (शगुन), ना-ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे (जब-जब फूल खिले), ठहरिये होश में आ लूं, तो चले जाइएगा (मोहब्बत इसको कहते हैं), ये मौसम रंगीन समां (मॉडर्न गर्ल),, बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है (रेशम की डोरी)

प्राइवेट अलबम भी जारी

सुमन के अनेक प्राइवेट अलबम भी जारी हुए हैं। विदेशों में कई कंसर्ट में शामिल हुई हैं। तानसेन अवॉर्ड, महाराष्ट्र-गुजरात सरकार के अवॉर्ड के अलावा मध्यप्रदेश के लता अलंकरण अवॉर्ड से भी उन्हें नवाजा गया है।



\
suman

suman

Next Story