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सोशल मीडिया से छेड़-छाड़ पड़ेगा भारी, कायदे से समझाएगी सरकार

सभी सोशल मीडिया यूजर्स के लिए नई खबर आ रही है, अगर कोई भी व्हाट्सऐप, फेसबुक, गूगल के जरिए करेगा गलत काम। तो ये काम उसको पड़ेगा बहुत भारी।

Roshni Khan
Published on: 23 July 2023 11:07 AM GMT (Updated on: 23 July 2023 11:22 AM GMT)
सोशल मीडिया से छेड़-छाड़ पड़ेगा भारी, कायदे से समझाएगी सरकार
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नई दिल्ली: सभी सोशल मीडिया यूजर्स के लिए नई खबर आ रही है, अगर कोई भी व्हाट्सऐप, फेसबुक, गूगल के जरिए करेगा गलत काम। तो ये काम उसको पड़ेगा बहुत भारी। क्योंकि व्हाट्सऐप, फेसबुक, गूगल व अन्य 'ओवर द टॉप' (OTT) प्लेटफॉर्म्स टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के रेडार पर हैं।

TRAI ने (OTT) सर्विस प्रोवाइडर्स को रेगुलेट करने को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशंस (DoT) को राय दिया है। खबर के मुताबिक, डिओटी अगर इन सुझावों को मान लेता है तो WhatsApp, Facebook, Google जैसी इंटरनेट के सहारे विविध सेवाएं देने वाली कंपनियां (OTT) कानून के दायरे में आ जाएंगी। नियमों में मुख्य तौर पर सुरक्षा और वैध रूप से दखल देने पर जोर दिया जा रहा है।

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फेसबुक, इंस्टाग्राम

जाने क्या है ओटीटी

'ओवर द टॉप' सर्विस प्रोवाइडर्स या ओटीटी कंपनियां वो होती हैं, जो कि दूरसंचार नेटवर्क कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले इंटरनेट के सहारे अपनी सेवाएं देती हैं। इनमें स्काइप, वाइबर, व्हाट्सएप, हाइक, स्नैपचैट जैसी मैसेजिंग और इंटरनेट फोन सेवाएं देने वाली अलग-अलग कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा ऑनलाइन एंटरटेनमेंट प्रदान करने वाली नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार, जी5 और आल्ट बालाजी आदि भी ओटीटी का हिस्सा हैं।

अभी लग सकता है और समय

OTT के लिए नियमों को अंतिम रूप देने में ट्राई को एक महीने का अतिरिक्त समय लग सकता है। ट्राई इस संबंध में ओटीटी पर अंतरराष्ट्रीय नियम-विनियम को देख रहा है। उसका विशेष ध्यान सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर है। ट्राई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ओटीटी पर नियम बनाने को लेकर नियामक 'व्यावहारिक धारणा' अपनाने के पक्ष में है।

ओटीटी नियमों में सुरक्षा बड़ा मुद्दा

बता दें कि ओटीटी के उपयोग से दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को भी लाभ हुआ है, क्योंकि लोगों का इंटरनेट उपभोग बढ़ा है। ऐसे में दूरसंचार कंपनियों का इनके मुफ्त सेवाएं देने का तर्क बहुत ज्यादा मान्य नहीं रह गया है। ट्राई के अधिकारी ने बताया कि, 'ऐसे में ओटीटी नियमों के बारे में आर्थिक पक्ष उतना महत्वपूर्ण नहीं रह गया है।' उन्होंने कहा, 'अब ओटीटी नियमों में सुरक्षा बड़ा मुद्दा बन गया है। बड़ा सवाल अब ये है कि सुरक्षा चिंताओं का समाधान कैसे किया जाना है, अन्य देश सुरक्षा संबंधी चिंताओं से कैसे निपट रहे हैं, नियमों से जुड़ी समस्या अब सीमित हो चुकी है और अब यह उतनी जटिल और बड़ी नहीं है जितनी पहले थी।'

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ट्राई ने पिछले साल ओटीटी कंपनियों को नियामकीय ढांचे के दायरे में लाने के लिए एक परिचर्चा पत्र पेश किया था।

Roshni Khan

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