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व्हाट्सएप जासूसी प्रकरण: केंद्र सरकार ने मांगा व्हाट्सएप से जवाब

यह मुकदमा इजरायली सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ दायर किया गया है। एनएसओ ग्रुप पर फेसबुक ने आरोप लगाया है कि उसने यूएस कंप्यूटर फ्रॉड और अब्यूज एक्ट और कानूनों का उल्लंघन किया है।

Manali Rastogi
Published on: 31 Oct 2019 8:03 AM GMT
व्हाट्सएप जासूसी प्रकरण: केंद्र सरकार ने मांगा व्हाट्सएप से जवाब
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नई दिल्ली: फेसबुक के इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप ने भारतीय पत्रकारों और एक्टिविस्ट की जासूसी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। भारत के कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए इस साल मई में इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया था। व्हाट्सएप ने इसका खुलासा किया है।

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सैन फ्रांसिस्को में एक अमेरिकी संघीय कोर्ट में यह खुलासा हुआ। बता दें, यह खुलासा केस की सुनवाई के दौरान हुआ। सबसे बात तो ये है कि जिस दौरान पेगासस का इस्तेमाल करके पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई, तब भारत में लोकसभा चुनाव हो रहे थे।

क्या कहते हैं व्हाट्सएप के आरोप?

1400 व्हाट्सएप यूजर्स को त्यधिक सोफिस्टिकेटेड मेलवेयर का इस्तेमाल करके टारगेट किया गया है। 1400 व्हाट्सएप यूजर्स के साथ सिविल सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्यों को भी टारगेट किया गया था। व्हाट्सएप ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके सिस्टम के वीडियो कॉलिंग पर हुए बेहद गंभीर सोफिस्टिकेटेड मैलवेयर हमले को रोका था।

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इस मामले में व्हाट्सएप प्रमुख विल कैथार्थ ने बताया कि, ‘’इसने (इजरायली स्पाईवेयर) पूरी दुनिया में कम से कम 100 मानवाधिकार रक्षक, पत्रकार और सिविल सोसाइटी के अन्य सम्मानित सदस्यों को निशाना बनाया था।’ वहीं, लोगों की जानकारी देने से व्हाट्सएप ने इनकार कर दिया है।

गुप्त रखी गई पहचान

इस मामले में व्हाट्सएप का कहना है कि भारत में सर्विलांस पर रखे गए लोगों की पहचान और ‘सटीक संख्या’ की जानकारी को गुप्त रखा गया है और इनकी जानकारी कही भी साझा नहीं की है। व्हाट्सएप ने लोगों की पहचान बताने से साफ इनकार कर दिया है। इस घटना के बाद व्हाट्सएप की ऑनर कंपनी फेसबुक ने मामला दायर किया है।

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यह मुकदमा इजरायली सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ दायर किया गया है। एनएसओ ग्रुप पर फेसबुक ने आरोप लगाया है कि उसने यूएस कंप्यूटर फ्रॉड और अब्यूज एक्ट और कानूनों का उल्लंघन किया है। व्हाट्सएप ने आरोप लगाया कि यूजर्स के स्मार्टफोन को हैक करने के लिए एनएसओ ग्रुप ने व्हाट्सएप की एक खामी का इस्तेमाल किया है।

व्हाट्सएप जासूसी पर गृह मंत्रालय ने कहा...

व्हाट्सएप पर जासूसी को लेकर गृह मंत्रालय ने बयान दिया है, मंत्रालय ने कहा कि सरकार पर निजता के हनन के आरोप बेबुनियाद हैं, ऐसा करके सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा कि सरकार निजता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी।

गृह मंत्रालय ने कहा कि व्हाट्सएप पर भारतीय नागरिकों की गोपनीयता भंग करने संबंधी रिपोर्टों के आधार पर कुछ बयान सामने आए हैं, भारत सरकार को बदनाम करने के ये प्रयास पूरी तरह से गलत हैं।

साथ ही साथ मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है, ऐसे में गोपनीयता भंग करने के लिए जिम्मेदार किसी भी मध्यस्थ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह स्पष्ट है कि भारत सरकार ने कानून के प्रावधानों के अनुसार कड़ाई से काम किया और प्रोटोकॉल का पालन किया, किसी निर्दोष नागरिक का उत्पीड़न न हो या उसकी गोपनीयता भंग न हो, इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं।

सरकार ने मांगा है जवाब...

इस पूरे मामले में केंद्र सरकार ने व्हाट्सएप से जवाब मांगा है, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 नवंबर तक व्हाट्सएप से अपना जवाब देने के लिए कहा है। केंद्र सरकार ने यह जवाब तलब तब किया है, जब व्हाट्सएप ने कन्फर्म कर दिया है कि स्पाईवेयर पीगासस भारत में भी एक्टिव था और यहां के लोगों की भी जासूसी कर रहा था।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा...

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सएप से 4 नवंबर तक विस्तृत जवाब मांगा है, गुरुवार को फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने कहा कि इजरायली स्पाईवेयर पीगासस भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी कर रहा था।

भारत में इन लोगों को बनाया गया निशाना...

सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों, सीनियर अधिकारियों, नेताओं और राजनयिकों की व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी का मामला सामने आने के बाद से बवाल मचा हुआ है, व्हाट्सऐप ने इजरायली सर्विलांस फर्म एनएसओ ग्रुप पर जासूसी करने का आरोप लगाया है।

बताया जा रहा है कि एनएसओ ग्रुप ने भारत समेत 20 देशों के करीब 1400 राजनयिकों, नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सीनियर सरकारी अधिकारियों की जासूसी की।

बताते चलें कि एनएसओ ग्रुप ने जासूसी के लिए पेगासुस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, व्हाट्सऐप ने बताया कि जिन लोगों की जासूसी की गई, उनको अलर्ट किया गया था।

हालांकि व्हाट्सऐप ने अभी तक उन लोगों के नामों का खुलासा नहीं किया है, जिनको निशाना बनाया गया है।

विपक्षी पार्टियां सरकार पर साध रही निशाना...

इस जासूसी कांड को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां सरकार पर निशाना साध रही हैं, वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 नवंबर तक व्हाट्सएप से जवाब मांगा है। आपको बताते चलें कि अलावा बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि व्हाट्सऐप को उन लोगों के नामों का भी खुलासा करना चाहिए, जिनकी जासूसी की गई है।

व्हाट्सऐप ने इजरायली सर्विलांस फर्म पर दर्ज कराया मुकदमा....

व्हाट्सऐप ने इजरायली सर्विलांस फर्म एनएसओ ग्रुप पर जासूसी करने का आरोप लगाया है, व्हाट्सऐप ने एनएसओ के खिलाफ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित फेडरल कोर्ट में केस दायर किया गया है।

बताया जा रहा है कि एनएसओ ग्रुप ने भारत समेत 20 देशों के करीब 1400 डिप्लोमेट, राजनेता, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और सीनियर सरकारी अधिकारियों की जासूसी की. एनएसओ ग्रुप ने जासूसी के लिए पेगासुस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया।

इस तरह की गई व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी...

ध्यान देने योग्य बात है कि साल 2016 में जासूसी का मामला सामने आया था, उस बार ई-मेल और मैसेज भेजकर पेगासुस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी की गई थी।

इसके बाद इस सॉफ्टवेयर का ऐपल और गूगल ने तोड़ निकाला था और इसको रोका था, अब पेगासुस को नए तरीके यानी वीडियो कॉल के जरिए मोबाइल फोन पर भेजा गया और जासूसी की गई। इस जरिए सिर्फ एक मिस कॉल से पेगासुस सॉफ्टवेयर मोबाइल में अपने आप पहुंच जाता है और हैकर नियंत्रण कर लेता है. यह पेगासुस सॉफ्टवेयर का नया वर्जन है।

यह है पूरा मामला...

दरअसल, व्हाट्सएप के उस खुलासे से हड़कंप मच गया, जिसमें उसने कहा कि स्पाईवेयर पीगासस भारत में भी एक्टिव था और यहां के लोगों की भी जासूसी कर रहा था।

व्हाट्सएप ने इंडियन एक्स्प्रेस को बताया है कि भारतीय पत्रकार और ह्यूमन राइट ऐक्टिविस्ट्स इस जासूसी का टार्गेट थे।

हालांकि कंपनी ने ये नहीं बताया है कि इस स्पाईवेयर के जरिए कितने भारतीय लोगों की जासूसी की गई है। चूंकि पीगासस का इस्तेमाल कोई आम शख्स नहीं कर सकता है और इसे NSO Group ने सरकारों के लिए बनाया गया है।

जासूसी का समयभी महत्वपूर्ण...

इसके साथ ही बता दें कि जिस समय यह जासूसी किए जाने का खुलासा हुआ, वह समय भी उल्लेखनीय है। व्हाट्सएप के मुताबिक मई 2019 तक जासूसी का काम किया गया।वह समय लोकसभा चुनाव का था। फरवरी से ही देश में चुनावी माहौल बन गया था। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि हो सकता है कि चुनावी फायदे के लिए यह जासूसी की गई हो।

कनाडा की सिटी जन्सलैब के मुताबिक भारतीय पत्रकारों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने वाले ग्रुप ने खुद को गांगेस बताया था। सिटी जन्सलैब के मुताबिक इस जासूसी के पीछे राजनीतिक एजेंडा था।

Manali Rastogi

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