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Afzal Ansari: सांसद अफजाल अंसारी की सदस्यता खत्म, जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अब तक इन नेताओं पर हो चुका है एक्शन

Afzal Ansari: गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत यह कार्यवाही की गई है। सोमवार को इस संबंध में पार्लियामेंट से इस संदर्भ में पत्र जारी हुआ है।

Hariom Dwivedi
Published on: 2 May 2023 1:21 AM IST (Updated on: 2 May 2023 12:47 PM IST)
Afzal Ansari: सांसद अफजाल अंसारी की सदस्यता खत्म, जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अब तक इन नेताओं पर हो चुका है एक्शन
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गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की सदस्यता खत्म

Afzal Ansari: गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत यह कार्यवाही की गई है। सोमवार को इस संबंध में पार्लियामेंट से इस संदर्भ में पत्र जारी हुआ है। गौरतलब है कि अफजाल अंसारी को 16 साल पुराने गैंगस्टर के मामले में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने चार साल की कैद के साथ ही उन पर एक लाख जुर्माना लगाया है। इस मामले में अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को भी 10 साल की सजा सुनाई गई थी। अफजाल अंसारी के खिलाफ 16 साल पहले कृष्णानंद राय हत्याकांड और रुंगटा अपहरण मामले को लेकर दर्ज गैंगस्टर ऐक्ट मामले में 4 साल की सजा सुनाई गई थी।


क्या कहता है जनप्रतिनिधित्व कानून?

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 में व्यवस्था की गई है कि यदि किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा सजा पूरी होने तक वह 6 साल तक चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेगा। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी भी इस कानून की जद में आकर अपनी संसद सदस्यता गवां चुके हैं।

भाजपा के मनोज सिन्हा को हराकर जीता था चुनाव

अफजाल अंसारी ने 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में वह विजयी रहे थे। उन्होंने बीजेपी कैंडिडेट मनोज सिन्हा को 1 लाख 19 हजार से अधिक वोटों से हराया था। यहां दूसरे नंबर पर सपा व सुभासपा के गठबंधन प्रत्याशी रामजी रहे थे, जिन्हें 33,877 वोट मिले थे।

अब तक अयोग्य घोषित हुए नेता

अफजाल अंसारी ही नहीं आजादी के बाद से अब तक विभिन्न कारणों देश भर के 200 सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है। इन कारणों में भ्रष्टाचार, रेप, दल-बदल, भड़काऊ भाषण, आय के घोषित स्रोतों से अधिक संपत्ति, चुनाव नियमों का उल्लंघन, लाभ के पद पर होना, पुलिस पर हमला, फर्जी जन्मतिथि, फर्जी मार्कशीट, दंगा फसाद में शामिल होने, हत्या या जानलेवा हमला करने के आरोपी, तस्करी और आर्म्स एक्ट के अपराध भी शामिल हैं।

देश के इन प्रमुख नेताओं की छिनी है सदस्यता

अब तक अयोग्य घोषित हुए प्रमुख व चर्चित चेहरों की बात करें तो इनमें चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव, आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता, भड़काऊ भाषण देने के जुर्म में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान, फर्जी जन्म प्रमाणपत्र केस में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, रेप मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस राज्यसभा सांसद रशीद मसूद भी शामिल हैं। इसके अलावा इस लिस्ट में नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य हैं, जिन्हें संसद सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। इनमें इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी है। अब इस लिस्ट में अफजाल अंसारी का भी नाम जुड़ गया है।

यूपी के प्रमुख नेता जिनकी छिनी सदस्यता

कुलदीप सेंगर: चर्चित उन्नाव रेप केस में दोषी करार दिए गए बांगरमऊ से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की भी सदस्यता 20 दिसंबर 2019 को चली गई थी। उन्हें उम्रकैद की सजा मिली हुई है।

रशीद मसूद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रशीद मसूद भी इस कानून का शिकार हो चुके हैं। एमबीबीएस सीट घोटाले में साल 2013 में कोर्ट ने उन्हें 4 साल की सजा सुनाई थी। उस दौरान वे यूपी से राज्यसभा एमपी हुआ करते थे। सजा के ऐलान के बाद उनकी संसद सदस्यता चली गई थी।

अशोक चंदेल: हमीरपुर से बीजेपी विधायक अशोक चंदेल की विधायकी साल 2019 में चली गई थी। उन्हें उस साल अप्रैल में हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

खब्बू तिवारी: अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से बीजेपी विधायक रहे खब्बू तिवारी की सदस्यता भी साल 2021 में चली गई थी। उन्हें फर्जी मार्कशीट मामले में अदालत ने दोषी ठहराया था। उन्हें इस मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी।

मित्रसेन यादव: 2009 में फैजाबाद सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद बने मित्रसेन यादव को धोखाधड़ी के मामले में दोषी पाया गया था। उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता चली गई। 2015 में यादव का निधन हो गया था।

विक्रम सैनी: मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को पिछले साल यानी 2022 में कवाल दंगे में दोषी पाया गया था। सजा के ऐलान के साथ ही उनकी विधायकी चली गई। पिछले साल हुए उपचुनाव में रालोद ने यह सीट बीजेपी से छीन ली थी। इसके अलावा आजम खान और उनके सुपुत्र अब्दुल्ला आजम की भी विधायकी हाल ही में छिन चुकी है।

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