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Hardoi News: जानिए क्यों बनीं थीं ब्रिटिश काल में नहर कोठियां, कैसे हुईं उपेक्षित, अब बदल रही सूरत

Hardoi News: हरदोई जिले में ब्रिटिश शासन काल में जिले की शान कही जाने वाली नहर कोठियां अब तक उपेक्षा का शिकार थीं, अब इन कोठियों को बचाने की कवायद शुरू की जा चुकी है।

Pulkit Sharma
Published on: 15 March 2023 8:06 PM GMT
Hardoi News: जानिए क्यों बनीं थीं ब्रिटिश काल में नहर कोठियां, कैसे हुईं उपेक्षित, अब बदल रही सूरत
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हरदोई: ब्रिटिश शासन काल की नहर कोठी

Hardoi News: हरदोई जिले में ब्रिटिश शासन काल में जिले की शान कही जाने वाली नहर कोठियां अब तक उपेक्षा का शिकार थीं, अब इन कोठियों को बचाने की कवायद शुरू की जा चुकी है। कोठियों के चारों तरफ बाउंड्री न होने से आवारा जानवर घूमा करते थे। इसके अलावा इन कोठियों पर नशेड़ियों का जमावड़ा हुआ करता था। देखरेख न होने की वजह से इनकी हालत खराब होती जा रही थी। अब विभाग को इनका अस्तित्व बचाने की चिंता हुई है। अब पूरे जिले की नहर कोठियों के चारों तरफ बाउंड्री बन गई है, सभी जगह गेट लगाए जा रहे हैं। इनकी देखरेख करने के लिए आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी रखने की प्लानिंग चल रही है।

ज्यादातर नहर कोठियां जर्जर

बताया जाता है कि जिले की 24 नहर कोठियों में 21 जर्जर और जमींदोज हो चुकी हैं, जो तीन बची हैं, उनमें से एक बावन में है वह कोठी भी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। विभाग के इस ओर ध्यान न दिए जाने से लाखों की संपत्ति बर्बाद हो रही है। जिले में सिंचाई के लिए ब्रिटिश शासन काल में नहर बनाई गई थी। नहर के किनारों से आसपास के जनपदों में आने जाने के लिए मार्ग बना हुआ था।

शारदा नहर के किनारे ही नहर कोठियां बनाई गई थीं, जहां पर अंग्रेज अफसर रुकते थे और विभागीय कार्य निपटाते थे। 1921 से 1925 में शारदा नहर के तहत जिले में 24 नहर कोठियां बनाई गई थी। इनमें जिला मुख्यालय बावन, सिकरोहरी, बालामऊ, बघौली, ढिकुन्नी, उमरापुर, संडीला आदि शामिल है। इन कोठियों की देखरेख के लिए चौकीदार और अन्य कर्मचारी भी तैनात थे।

दो दशक से हो रही नहर कोठियों की उपेक्षा

ब्रिटिश शासन काल समाप्त होने के बाद शारदा खण्ड कार्यालय का कार्य चलता रहा और इन कोठियों का उपयोग प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि करते रहे लेकिन 2 दशक से इन नहर कोठियों की उपेक्षा शुरू हो गयी। नहर कोठियों में तैनात कर्मचारी सेवानिवृत्त होते गए। उनकी मरम्मत के लिए बजट भी कम होता गया। नतीजन नहर कोठियां जर्जर अवस्था में पहुंच गईं। वर्तमान में नहर कोठियों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। विभाग से बजट नहीं मिल रहा है। इससे 10 साल पहले 24 में से 21 नहर कोठियों को जर्जर और निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया, जो अब खंडहर में तब्दील हो गईं। हालांकि, अब पिछले महीने से इनकी देखरेख शुरू की गई है, बाउंड्री होने से आवारा जानवर नहीं घुस पाएंगे। अराजक तत्व भी अंदर नही जा सकेंगे।

Pulkit Sharma

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