×

ऑस्टियोपोरोसिस रोग से ग्रसित 12 साल के बच्चे की टूट चुकी है 100 हड्डियां , जानें इसके लक्षण, कारण और निवारण

Osteoporosis: जी हाँ ऑस्टियोपोरोसिस रोग होने पर हड्डियां इतनी ज्यादा कमजोर हो जाती हैं कि हल्के से स्ट्रेस जैसे हल्का सा मुड़ने या खांसने पर आसानी से टूट जाती हैं या उनमें फ्रैक्चर आ जाता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 25 Jun 2022 1:58 PM IST
osteoporosis
X

osteoporosis (image: social media)

Osteoporosis: इन दिनों ख़बरों में उत्तर प्रदेश का रहने वाला एक 12 साल का बच्चा रोहित की बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है। बता दें कि ऐसा इसलिए है क्योंकि रोहित एक बेहद गंभीर और रेयर बीमारी से जूझ रहा है जिसके बारे में शायद ही आपने पहले सुना हो। जी हाँ। मात्र 12 साल की उम्र में रोहित की अब तक लगभग 100 हड्डियां टूट चुकी हैं। कारण रोहित का हड्डियों से जुड़ी एक रेयर बीमारी का होना है। गौरतलब है कि इस रेयर बीमारी का नाम ऑस्टियोपोरोसिस है।

उल्लेखनीय है कि ये एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसमें हल्के झटके से ही व्यक्ति की हड्डियां टूट जाती हैं। जी हाँ ऑस्टियोपोरोसिस रोग होने पर हड्डियां इतनी ज्यादा कमजोर हो जाती हैं कि हल्के से स्ट्रेस जैसे हल्का सा मुड़ने या खांसने पर आसानी से टूट जाती हैं या उनमें फ्रैक्चर आ जाता है। मात्र 12 वर्ष की उम्र ऐसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा रोहित अपनी इस बीमारी की वजह से बाकी बच्चों के साथ खेल तक नहीं पाता। इतना ही नहीं इस बीमारी का बुरा असर रोहित की बढ़ने की क्षमता पर भी असर पड़ रहा है।

बता दें कि 12 साल के रोहित की लंबाई सिर्फ 1 फुट 4 इंच और वजन 14.5 किलो है। अब तक रोहित की लगभग 100 हड्डियां भी टूट चुकी हैं। अनुमानतः एक साल में रोहित की लगभग 8 हड्डियां टूटी हैं। अपनी इस बीमारी की वजह से रोहित स्कूल भी नहीं जा पाता। यहाँ तक की उसका खुद का काम भी उसकी माँ ही करती है। ऑस्टियोपोरोसिस रोग से ग्रसित रोहित अपनी जिंदगी को सामान्य तरह से जीने की चाहत रखता है। लेकिन रेयर रोग होने के कारण अब तक डॉक्टर भी उसकी कोई ख़ास मदद नहीं कर पाए हैं।

क्या है ऑस्टियोपोरोसिस रोग ?

ऑस्टियोपोरोसिस का शाब्दिक अर्थ है "खोखली हड्डियां" होती हैं। बता दें कि इस बीमारी में हड्डियां बेहद कमजोर हो जाने के कारण व्यक्ति के कूल्हे, रीढ़ की हड्डी और कलाई में फ्रैक्चर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। उल्लेखनीय है कि आमतौर पर व्यक्ति के शरीर में हड्डी के ऊतक (बोन टिश्यू) लगातार बनते ही रहते हैं, और नई हड्डी पुरानी, ​​क्षतिग्रस्त हड्डी की जगह ले लेती है। जिस कारण शरीर में हड्डियों का घनत्व (बोन डेंसिटी) और उसके क्रिस्टल और संरचना की अखंडता भी बनी रहती है। लेकिन अमूमन किसी भी व्यक्ति में उसका अस्थि घनत्व उसकी 20 की आयु के करीब चोटी पर होता है और 35 की आयु के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती है। इसलिए जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है उनकी हड्डियाँ कमजोर होकर टूटने लगती हैं। लेकिन जब यह परिस्थिति व्यक्ति में अत्यधिक बढ़ जाती है, तो वह व्यक्ति ऑस्टियोपोरोसिस रोग का शिकार हो जाता है या व्यक्ति के उस परिस्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है।

गौरतलब है कि शरीर में मजबूत हड्डियों के निर्माण के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कई बार कैल्शियम की कम मात्रा लेने के कारण भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है। लेकिन विशेषज्ञ सिर्फ कम कैल्शियम वाले आहार को ही इसका एकमात्र ज़िम्मेदार नहीं माना जा सकता है। हालाँकि अब तक ऑस्टियोपोरोसिस होने के सटीक कारणों (Osteoporosis) का पता नहीं चल पाया है। परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार शरीर में हड्डियों के नुकसान के लिए अक्सर कारणों का एक संयोजन ही दोषी होता है।

तो आइये जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के होने के मुख्य कारण और कौन - कौन से लोग हो सकते हैं इससे ग्रसित :

- 50 से 60 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो सकता है। विशेषकर महिलायें मेनोपॉज़ या रजोनिवृत्ति के बाद ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो सकती हैं। लेकिन अगर आपके परिवार में किसी को ऑस्टियोपोरोसिस रोग है तो आप भी रोग के होने के गहरे जोखिम में हैं। आप भोजन में कैल्शियम नहीं लेते है तो भी आप इस रोग के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा अगर आप सिगरेट शराब इत्यादि का सेवन करते हैं या किसी बीमारी के कारण स्टेराइड व हार्मोन की दवाइयां ले रहे हैं तो भी आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने के चान्सेस हो सकते है। इतना ही नहीं क्रियाशील न होने या आलस्य के साथ भरपूर मात्रा में पोषण न लेने पर भी आप ऑस्टियोपोरोसिस रोग से ग्रसित हो सकते है।

ऑस्टियोपोरोसिस रोग के लक्षण:

ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ लक्षणों में

- बैक पेन -

- वजन का कम होना

- बॉडी पॉश्चर में झुकाव इत्यादि।

ऑस्टियोपोरोसिस रोग होने के मुख्य कारण:

गौरतलब है कि आमतौर पर शरीर में हड्डियों का लगातार नवीकरण होता रहता है। मतलब पुरानी हड्डी टूट जाती है तो नई हड्डी बनती है। उल्लेखनीय है कि युवावस्था में व्यक्ति के हड्डियों का घनत्व सर्वाधिक होता है लेकिन आयु के बढ़ने के साथ- साथ यह कम होता जाता है, जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी (Osteoporosis ) उत्पन्न हो सकती है। लेकिन कभी -कभी कुछ अन्य स्थितियाँ ऐसी भी ऑस्टियोपोरोसिस को जन्म दे सकती हैं। जिनमें कुछ प्रमुख हैं :

महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी

आमतौर पर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस को एस्ट्रोजन की कमी के रूप में ही देखा जाता है। गौरतलब है कि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं की हड्डियों की हानि में तेजी आने के कारण महिलाओं में एस्ट्रोजेन हार्मोन में तेजी से गिरावट होनी शुरू हो जाती है। लेकिन बता दें कि जिन युवा महिलाओं जिनके मासिक धर्म समय से पहले बंद हो जाते हैं जिनमें पतली एथलीट महिलायें या एनोरेक्सिया से पीड़ित महिलायें शामिल हैं उनमें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा औरों के मुकाबले ज्यादा होता है।

पुरुषों में मौजूद कम टेस्टोस्टेरोन के कारण

हड्डियों को स्वास्थ रखने के लिए पुरुषों को टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन दोनों ही हार्मोन की आवश्यकता होती है। क्योंकि पुरुष टेस्टोस्टेरोन को हड्डियों के संरक्षण वाले एस्ट्रोजन में बदल देते हैं। लेकिन इसकी कमी होने के कारण पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस रोग हो जाता है।

असंतुलित हार्मोन:

शरीर में मौजूद कई अन्य हार्मोन हमारी बोन डेंसिटी को बनाये रखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिसमें पैराथाइरॉइड हार्मोन और वृद्धि हार्मोन भी शामिल हैं। अत्यधिक पैराथाइरॉइड हार्मोन, जिसे हाइपरपैराथायरॉडिज़्म कहा जाता है, मूत्र में कैल्शियम की कमी का कारण बनता है। कम कैल्शियम यानी कमज़ोर हड्डियां, और जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपका शरीर वृद्धि हार्मोन का उत्पादन कम करने लगता है। जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस रोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

कैल्शियम की कमी

शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस रोग की समस्या हो जाती है। बता दें कि कैल्शियम के बिना, आप हड्डी रीमॉडेलिंग की आजीवन प्रक्रिया के दौरान नई हड्डी का पुनर्निर्माण नहीं कर सकते।

विटामिन D की कमी

गौरतलब है कि विटामिन D की कमी के कारण भी हड्डियां कमजोर होकर टूट सकती हैं। बता दें कि सक्रिय विटामिन डी, जिसे कैल्सीट्रियोल भी कहा जाता है, यह एक हार्मोन की तरह ही काम करता है।

थायराइड: शरीर में थायराइड हार्मोन का उच्च स्तर (हाइपरथायरॉडिज़्म) लंबे समय से हड्डियों के नुकसान में वृद्धि करता है।

कुछ दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट:

बता दें कि कई बार कुछ दवाओं के सेवन से भी आपकी हड्डियों को नुकसान हो सकता है और हड्डियों के फ्रैक्चर में वृद्धि आ सकती है। इन दवाइयों में अधिकांश आम कॉर्टिकोस्टेरॉइड हैं, जिन्हें कॉर्टिसोन, हाइड्रोकार्टिसोन, ग्लूकोकार्टिसोइड और प्रेडिसोन के नाम से भी जाना जाता है। गौरतलब है कि इन दवाओं का उपयोग अस्थमा, संधिशोथ या रहियूमेटोइड, सोरायसिस, कोलाइटिस और अन्य स्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला के उपचार के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं एंटीसेज़्योरे दवाएं भी हड्डी को नुकसान पहुँचाती है।

कुछ मेडिकल स्थितियां

कई बार कुछ मेडिकल स्थितियाँ भी आपकी हड्डियों की हानि का कारण बन सकते हैं जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस से लेकर पाचन रोग और मायलोमा नामक ट्यूमर इत्यादि आपकी हड्डियों में कैंसर सेल का उत्पादन करने के साथ हड्डी के नुकसान में भी योगदान देती हैं।

कैसे हो सकता है ऑस्टियोपोरोसिस रोग का निवारण?

बता दें कि पोषण से भरपूर खाद्य के साथ नियमित रूप से व्यायाम करने से भी आपकी हड्डियां स्वस्थ और मज़बूत बनती है। इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के निवारण के लिए आप निम्नलिखित उपाय भी अपना सकते हैं :

- शरीर की हड्डी के निर्माण के लिए प्रोटीन को आवश्यक माना जाता है। इसलिए जितना हो सके अपने आहार में प्रोटीन को जरूर शामिल करें। इसके लिए आप अपने आहार में सोया, नट, फलियां, डेयरी और अंडे इत्यादि को भी भरपूर रूप में शामिल कर सकते हैं।

- कई बार अंडरवेट होने से भी हड्डियों के नुकसान और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। जबकि अतिरिक्त वजन भी आपके हाथ और कलाई में फ्रैक्चर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसलिए शरीर का उचित वजन बना कर रखने से हड्डियां स्वस्थ रहती है।

- हड्डियों को मज़बूत और स्वस्थ बनाये रखने के लिए कैल्शियम की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। इसलिए शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होने देनी चाहिए।

- विटामिन डी आपके शरीर की कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता में सुधार करने के साथ अन्य तरीकों से हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।इसलिए जितना हो सके अपने आहार में विटामिन डी को शामिल करना चाहिए।

- रोज़ाना व्यायाम करने से भी आपके शरीर की हड्डियों मजबूत बनने के साथ कमजोर हड्डियों का फिर से निर्माण करने में मदद मिलती है।



Rakesh Mishra

Rakesh Mishra

Next Story