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अब बढ़ा खतरा : वायु प्रदूषण से सांस की परेशानी ही नहीं, और भी बीमारियों का खतरा, दिमागी रोग की भी वजह है ये

Air Pollution : अब वायु प्रदूषण के बढ़ने से बीमारी का सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि दिन के समय में धुंध की परतों की वजह से अंधेरा सा छाया रहता है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 9 Nov 2021 10:06 AM GMT
Delhi Air Pollution
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दिल्ली में वायु प्रदूषण (फोटो- सोशल मीडिया)

Air Pollution : त्योहारों के बाद अब वायु प्रदूषण के बढ़ने से बीमारियों का सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि दिन के समय में धुंध की परतों की वजह से अंधेरा सा छाया रहता है। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण चिंता का सबब बना हुआ है। सांस के रोगियों के लिए ये वाकई बहुत बड़ी परेशानी है। इस तरह का दूषित वातावरण समस्या को पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ा देता है।

ऐसे में जल्द ही हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सांस के मरीजों को खतरा होने के साथ ही और भी बड़े खतरे के बारे में लोगों को सतर्क किया है। इस समय जिस तरह का वातावरण है उस सिर्फ सांस की ही नहीं बल्कि और भी बीमारियों का अटैक एक साथ हो जाता है।

डिप्रेशन का खतरा ज्यादा

इस बारे में जर्नल पीएनएएस में छापे एक अध्ययन के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कणों के रेगूलर संपर्क में रहने वाले लोगों को डिप्रेशन मतलब अवसाद जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। जिसे वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों में डिप्रेशन का आनुवांशिक खतरा ज्यादा होता है, उन लोगों को लिए वायु प्रदूषण वाला वातावरण सबसे ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता है।

वायु प्रदूषण के विषय पर विशेषज्ञों के अनुसार, वातावरण में प्रदूषण के बढ़ने से हमारी सेहत पर बहुत तरह के नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे कई मानसिक बीमारियों का खतरा भी खुद-ब-खुद बढ़ जाता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए।

फोटो- सोशल मीडिया

वायु प्रदूषण से केवल श्वसन रोग ही नहीं

मानसिक बीमारी और वायु प्रदूषण के संबंध की पुष्टि करने के लिए 40 से अधिक देशों के एक अंतरराष्ट्रीय आनुवंशिक संघ से डेटा इकट्ठा किया गया। जिसमें वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण, न्यूरोइमेजिंग, मस्तिष्क जीन अभिव्यक्ति के मध्य तथ्यों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने ये निर्णय निकाला।

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण केवल श्वसन रोगों ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इस दौरान लोगों को विशेष सावधान रहने की जरूरत है।

हवा की खराब गुणवत्ता और जीन का खतरा

प्रदूषण के इस अध्ययन को करने वाले प्रमुख प्रोफेसर हाओ यांग टैन कहते हैं, सभी लोगों में अवसाद विकसित होने की अलग-अलग प्रवृत्ति होती है, वहीं कुछ लोगों के जीन में ही इसका उच्च जोखिम हो सकता है। वैसे तो इसका मतलब यह नहीं है कि उस व्यक्ति को निश्चित ही अवसाद होगा, हालांकि यदि वायु प्रदूषण जैसे कुछ जोखिम कारक बढ़ जाएं तो डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है।

अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह ऐसा पहला खास अध्ययन है जिसमें यह पता चलता है कि मस्तिष्क के भावनात्मक और संज्ञानात्मक कार्यों तथा अवसाद के खतरे को वायु प्रदूषण किस तरह से बढ़ा सकता है।

वहीं इस अध्ययन में अवसाद के लिए जिन दो महत्वपूर्ण कारकों के बारे में पता चला है वह हैं- हवा की खराब गुणवत्ता और जीन का खतरा। जिन हिस्सों में वायु प्रदूषण का खतरा अधिक होता है, वहां संभव है कि लोग अवसाद के शिकार भी अधिक हों।

नोट- ये खबर सामान्य जानकारी और अध्ययनों के आधार पर तैयार की गई है, ऐसे में इन पर अमल करने से पहले या कोई लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।


Vidushi Mishra

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