×

Alka Yagnik Health: अचानक सुनाई देना बन्द हो जाये तो ? तत्काल इलाज नहीं हुआ तो गया कान

Alka Yagnik Health Update: उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों ने डायग्नोस किया कि एक वायरल अटैक के कारण सीधे सीधे कहें तो सुनने की शक्ति देने वाली नस में खराबी हो गई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 19 Jun 2024 3:00 PM IST (Updated on: 19 Jun 2024 3:08 PM IST)
Alka Yagnik Health Update
X

Alka Yagnik Health Update (Social- Media- Photo)

Alka Yagnik Health Update: 58 वर्षीय सिंगर अलका याग्निक ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक निजी समस्या के बारे में खुलकर बात की है। बॉलीवुड सिनेमा के कुछ बेहतरीन गानों को अपनी आवाज देने वाली अलका याग्निक ने खुलासा किया है कि वह "सेंसरी न्यूरल बहरेपन" से जूझ रही हैं। अलका ने बताया है कि कैसे एक साधारण सी फ्लाइट के बाद उन्हें अचानक एहसास हुआ कि वह कुछ भी सुनने में असमर्थ हैं।

उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों ने डायग्नोस किया कि एक वायरल अटैक के कारण "सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस" हो गया है। सीधे सीधे कहें तो सुनने की शक्ति देने वाली नस में खराबी हो गई है।


ये बीमारी है क्या (Sensorineural Hearing Loss Symptoms)

सेंसरी न्यूरल नियरिंग लॉस (एसएनएचएल) या अचानक बहरापन एक दुर्लभ स्थिति है। यह तब होता है जब आंतरिक कान या ब्रेन से कान को कनेक्ट करने वाली नर्व डैमेज हो जाती है। वैसे, एसएनएचएल कोई जानलेवा स्थिति नहीं है, लेकिन यदि इसका समय पर इलाज नहीँ किया जाए तो इससे रोजमर्रा का कम्युनिकेशन प्रभावित हो सकता है।


दरअसल आंतरिक कान यानी कोक्लीया में स्टीरियोसिलिया नामक अत्यंत छोटे बाल होते हैं, जो ध्वनि तरंगों से होने वाले वाइब्रेशन को नर्व संकेतों में बदलते हैं। इन संकेतों को हियरिंग नर्व्स ब्रेन तक पहुँचाती हैं। 85 डेसिबल से अधिक तेज़ आवाज़ के संपर्क में आने पर ये बाल कमज़ोर हो जाते हैं और क्षतिग्रस्त भी हो सकते हैं। बालों को नुकसान के चलते हल्का, मध्यम या गंभीर बहरापन हो सकता है।

ध्यान रखें (Sensorineural Hearing Loss Treatment)

- सबसे महत्वपूर्ण यह बात है कि अचानक नर्व हियरिंग लॉस एक इमरजेंसी स्थिति है क्योंकि अगर 48 से 72 घंटों में आक्रामक तरीके से इलाज नहीं किया जाता है तो यह स्थायी डैमेज हो सकता है।


क्या है इसका कारण?

  • सेंसरी न्यूरल नियरिंग लॉस (एसएनएचएल) एक या दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है।
  • इसकी शुरुआत अचानक या धीरे-धीरे हो सकती है।
  • वायरल अटैक के कारण अचानक नर्व डैमेज के लक्षण में सुनने की क्षमता में तेजी से कमी, टिनिटस, चक्कर आना और किसी की आवाज को समझने में कठिनाई शामिल होते हैं। इस स्थिति के बेसिक कारणों में मम्प्स, मीजल्स, रूबेला, दाद, इन्फ्लूएंजा, साइटोमेगालोवायरस और एचआईवी जैसे वायरल संक्रमण, साथ ही मेनिन्जाइटिस जैसे बैक्टीरियल संक्रमण शामिल हैं।
  • सिर में चोट, ऑटोइम्यून बीमारी, ब्लड सर्कुलेशन संबंधी समस्याएँ और साथ ही कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट भी एसएनएचएल का कारण बन सकते हैं।
  • कुछ दुर्लभ मामलों में यह स्थिति पैदाइशी भी हो सकती है।
  • इसके अलावा, एसएनएचएल जेनेटिक वजहों के साथ-साथ उम्र बढ़ने से भी शुरू हो सकता है।
  • 85 डेसिबल से ज्यादा का शोर आंतरिक कानों को खराब कर सकता है।

कैसे पहचानें इस बीमारी को

इस अवस्था के कई लक्षण हो सकते हैं। जैसे कि बैकग्राउण्ड के शोर के बीच आवाज़ें सुनने में परेशानी, ऊँची आवाज़ों को समझने में कठिनाई या ऊँची आवाज़ें सुनने में परेशानी, बैलेंस बनाने में परेशानी या चक्कर आना और कानों में सीटी जैसी आवाज बजना। ध्यान रखें कि इन लक्षणों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

  • एसएनएचएल की एक खासियत यह भी है कि पीड़ित व्यक्ति आवाज़ें तो सुन सकता है, लेकिन यह ठीक से नहीं समझ पाता कि उन आवाजों का मतलब क्या है।
  • एसएनएचएल उम्र से संबंधित कारकों या जेनेटिक स्थितियों से शुरू होता है और समय के साथ धीरे-धीरे लक्षण खराब होते जाते हैं। हालांकि, अगर एसएनएचएल तेज आवाज या पर्यावरणीय कारण से ट्रिगर हुआ है तो लक्षणों के खत्म होने या एक लेवल पर स्थिर होने की संभावना होती है।

कैसे बचाएं कानों को


  • उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होना एक स्वाभाविक बात है और इसे टाला नहीं जा सकता।
  • फिर भी सभी उम्र में अपने कानों की सुरक्षा को लेकर सचेत रहना चाहिए।
  • आजकल हेडफ़ोन का खूब इस्तेमाल किया जाता है। ये ध्यान रखें कि हेडफोन वॉल्यूम 60 प्रतिशत से कम रखना चाहिए।
  • जहां तेज़ आवाज़ हो वहां इयरप्लग पहनना चाहिए।
  • समय-समय पर सुनने की जाँच करानी चाहिए।
  • एसएनएचएल की शुरुआत कुछ दवाओं से भी हो सकती है, सो कोई नई दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।
  • अच्छी लाइफ स्टाइल अपनाएं ताकि इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहे।

खुद अपना इलाज न करें

लोगों को इस अवस्था से उबरने में समय लग सकता है। बीमारी की गंभीरता और त्वरित इलाज के आधार पर इसमें कई दिन या सप्ताह लग सकते हैं, जिसमें अक्सर सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड मेडिकेशन शामिल होते हैं।


लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाना चाहिए। खुद अपना इलाज नहीं करना चाहिए और निर्धारित दवाओं को अचानक बंद नहीं करना चाहिए।

क्या है इलाज

अचानक बहरापन आने पर ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाना चाहिए। वह ऑडियोमेट्री टेस्टिंग और अन्य टेस्ट से बीमारी पकड़ सकते हैं। एक बार डायग्नोस हो जाने के बाद, इलाज के लिए एंटीवायरल, ओरल और इंट्राटिम्पेनिक स्टेरॉयड के कॉकटेल की जरूरत हो सकती है। साथ ही एक शांत वातावरण में कुछ समय आराम भी करना पड़ सकता है। एक बार समय रहते इलाज शुरू हो जाने के बाद, ठीक होने की संभावना आमतौर पर 70 प्रतिशत और उससे अधिक होती है। डॉक्टरों के मुताबिक यह विकार एक कान की तुलना में दोनों कानों में सिर्फ एक प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है।

85 डेसिबल से ज्यादा का शोर

85 डेसिबल एक हाई लेवल का शोर होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा मानव श्रवण के लिए सुरक्षित लेवल 70 डेसिबल माना गया है।85 डेसिबल एक सुरक्षित लेवल से 15 गुना अधिक तेज होता है।अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ के अनुसार अधिकतम 8 घण्टे तक 85 डेसिबल शोर सहन योग्य माना जाता है। इससे ज्यादा होने पर कान खराब हो सकते हैं। 85 डेसिबल या उससे अधिक शोर स्तर के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को कानों की सुरक्षा के उपकरण पहनने की सलाह दी जाती है।

  • 85 से 95 डेसिबल : विंडो एयरकंडीशनर, हैवी ट्रैफिक, सबवे में भीड़ का शोर, चिल्ला कर बात करना।
  • 96 से 116 : मोटरसाइकिल, लाउडस्पीकर, आरा मशीन
  • 120 से 140 : स्टेडियम का शोर, कार रेसिंग, गोली चलने की आवाज़, सौ फुट की दूरी पर साईरन।


Shalini Rai

Shalini Rai

Next Story