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Antibiotics Ineffective On Typhoid: टाइफाइड पर बेअसर हो रहे एंटीबायोटिक, टीकाकरण पर जोर

Antibiotics Ineffective On Typhoid: लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित एक व्यापक अध्ययन के लेखकों का कहना है कि ड्रग-प्रतिरोधी टाइफाइड बुखार पर विचार करने और तेजी से रोकथाम उपायों का विस्तार करने की जरूरत है।

Neel Mani Lal
Published on: 2 July 2022 2:43 PM GMT
Antibiotics ineffective on typhoid
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Antibiotics ineffective on typhoid(Image: Social Media) 

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Antibiotics Ineffective On Typhoid: वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि टाइफाइड बुखार के कई एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बहुत तेजी से दक्षिण एशिया से दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गया है।

लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित एक व्यापक अध्ययन के लेखकों का कहना है कि ड्रग-प्रतिरोधी टाइफाइड बुखार पर विचार करने और तेजी से रोकथाम उपायों का विस्तार करने की जरूरत है।

टाइफाइड बुखार एक घातक बीमारी है जो हर साल 1 करोड़ 10 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। सबसे ज्यादा मामले दक्षिण एशिया में आते हैं और यहां ये बीमारी सालाना 1,00,000 से अधिक मौतों का कारण बनती है। साल्मोनेला एंटरिका सेरोवर टाइफी नामक जीवाणु से होने वाला ये संक्रमण अक्सर दूषित पानी और भोजन और व्यक्ति-से-व्यक्ति के संपर्क द्वारा प्रसारित होता है, और यह खराब स्वच्छता वाले क्षेत्रों में फैलता है।

पिछले 50 वर्षों में टाइफाइड बुखार भी एंटीबायोटिक दवाओं के लिए तेजी से प्रतिरोधी हो गया है। मल्टीड्रग-प्रतिरोधी (एमडीआर) साल्मोनेला टाइफी के स्ट्रेन जो पहली पंक्ति के एंटीबायोटिक्स एम्पीसिलीन, क्लोरैम्फेनिकोल और ट्राइमेथोप्रिम-सल्फामेथोक्साजोल के लिए प्रतिरोधी हैं, पहली बार 1970 के दशक में उभरे थे और दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।

2016 में बड़े पैमाने पर एक अन्य ड्रग-रेसिस्टेंट स्ट्रेन पाकिस्तान के सिंध प्रांत में उभरा और वहां इसका बड़ा प्रकोप हुआ। 2016 से पाकिस्तान में इस स्ट्रेन वाले टाइफाइड बुखार के 15,000 से अधिक मामले सामने आए हैं।

हाल ही में, साल्मोनेला टाइफी के ऐसे स्ट्रेन आये हैं जो एज़िथ्रोमाइसिन के लिए भी प्रतिरोधी हैं। ये स्ट्रेन बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और सिंगापुर में उभरा है। मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) स्ट्रेन में उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक दवाओं में एज़िथ्रोमाइसिन भी शामिल है।

कैसे और कहाँ ड्रग प्रतिरोधी साल्मोनेला टाइफी स्ट्रेन के रूप में और कहाँ समय के साथ फैल गया है, इसकी बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए, शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में 6 साल तक अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने मरीजों के रक्त के नमूने से प्राप्त 3,489 आइसोलेट्स पर पूरे जीनोम अनुक्रमण का प्रदर्शन किया। उन्होंने 1905 से 2018 तक 70 देशों से अलग किए गए अतिरिक्त 4,169 साल्मोनेला टाइफी के नमूनों की सीक्वेंसिंग की।

लेखकों का कहना है कि प्रतिरोधी साल्मोनेला टाइफी के तेजी से विकास और प्रसार के चलते प्रभावित देशों को टाइफाइड नियंत्रण के उपायों के बारे में सोचना चाहिए। चूंकि दक्षिण एशिया नए ड्रग-प्रतिरोधी स्ट्रेन का एक स्रोत प्रतीत होता है, इसलिए इस क्षेत्र में टाइफाइड नियंत्रण के लिए अधिक संसाधनों का इस्तेमाल होना चाहिए। इसमें टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (टीसीवी) का व्यापक उपयोग शामिल है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिरोधी टाइफाइड के उच्च बोझ वाले देशों में अनुशंसित है। 2019 में, पाकिस्तान टीसीवी को अपने नियमित टीकाकरण प्रोग्राम में शामिल करने वाला पहला देश बन गया।

2000 के बाद से शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश और भारत में इन एमडीआर आइसोलेट्स की घटती प्रवृत्ति, नेपाल में कम और स्थिर अनुपात और पाकिस्तान और अफ्रीका में बढ़ते अनुपात को देखा है।

इसी समय, जीनोम सीक्वेंसिंग ने साल्मोनेला टाइफी आइसोलेट्स के अनुपात में वृद्धि का खुलासा किया है। ये स्ट्रेन फ्लोरोक्विनोलोन के लिए प्रतिरोधी था और इसका सर्वाधिक प्रसार बांग्लादेश में देखा गया। इसके बाद भारत, नेपाल और पाकिस्तान थे। तीसरी पीढ़ी के सेफलोस्पोरिन और एज़िथ्रोमाइसिन के प्रतिरोध के साथ ये स्ट्रेन पिछले एक दशक में सामने आया है।

Rakesh Mishra

Rakesh Mishra

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