Obesity: सावधान! भारत में मोटापा बन रहा नई महामारी

Obesity: भारत पहले से ही हृदय रोग, डायबिटीज और स्ट्रोक की भयावहता से जूझ रहा है और अब इन लाइफ स्टाइल बीमारियों में मोटापा भी जुड़ गया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 1 March 2024 1:10 PM GMT
Attention Obesity is becoming a new epidemic in India
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 सावधान! भारत में मोटापा बन रहा नई महामारी: Photo- Social Media

Obesity: भारत को मोटापे की महामारी का सामना करना पड़ सकता है, और ये स्थिति खासकर युवाओं के लिए बड़े खतरे की घंटी है। नामचीन विज्ञान पत्रिका द लांसेट द्वारा प्रकाशित एक नए ग्लोबल विश्लेषण में पाया गया है कि देश में पांच से 19 वर्ष की उम्र के 12.5 मिलियन बच्चे (7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियां) 2022 में अत्यधिक अधिक वजन वाले थे।

ये आंकड़ा 1990 में 0.4 मिलियन से अधिक है। रिपोर्ट में बच्चों और किशोरों के बीच तीन प्रतिशत से अधिक प्रसार दिखाया गया है, जो 1990 से तीन प्रतिशत अंक से अधिक की वृद्धि है। भारत पहले से ही हृदय रोग, डायबिटीज और स्ट्रोक की भयावहता से जूझ रहा है और अब इन लाइफ स्टाइल बीमारियों में मोटापा भी जुड़ गया है।

क्या है मोटापा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापा शरीर में फैट का असामान्य या अत्यधिक संचय है जो स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। 25 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को अधिक वजन माना जाता है और 30 से अधिक को मोटापा माना जाता है।

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वयस्कों में खराब स्थिति

वयस्कों में भी मोटापा एक बड़ी चिंता का विषय है जबकि महिलाओं में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में मोटापा 9.8 प्रतिशत था, जो 1990 से 8.6 प्रतिशत अंक की वृद्धि है। पुरुषों के लिए, यह संख्या 5.4 प्रतिशत थी, जो 4.9 प्रतिशत अंक की वृद्धि है। नए अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 20 वर्ष से अधिक उम्र की 44 मिलियन महिलाएं और 26 मिलियन पुरुष मोटापे से ग्रस्त पाए गए हैं। यह आंकड़ा 1990 में 2.4 मिलियन महिलाएं और 1.1 मिलियन पुरुष था।

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- महिलाओं में मोटापे की व्यापकता के मामले में भारत 197 देशों में 182 वें स्थान पर है। जबकि पुरुषों के लिए 180 वें स्थान पर है। लड़कियों और लड़कों, दोनों के लिए देश दुनिया में 174वें स्थान पर है।

क्या है कारण?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, हम दालें, साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे संपूर्ण खाद्य पदार्थों से दूर हो गए हैं। हमारे पारंपरिक भोजन में पशु उत्पादों, नमक, रिफाइंड तेल, शक्कर और आटे की हिस्सेदारी कम थी। लेकिन अब हम ऐसे आहार की ओर बढ़ गए हैं जिसमें ऊर्जा तो अधिक है लेकिन पोषक तत्व कम हैं। अब हम रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, उच्च वसा, मांस उत्पाद और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ ज्यादा ही लेने लगे हैं। ये कुपोषण की ओर ले जाते हैं और मोटापा भी कुपोषण का ही एक प्रकार है। इसके अलावा हमारी लाइफ स्टाइल भी अस्वस्थ और खराब हो चुकी है।

Shashi kant gautam

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