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आयुर्वेद में है किड़नी की बीमारी का इलाज,इस औषधि के इस्तेमाल से बीमारी हो सकती है नियंत्रित

देश में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में किडनी रोग मुख्य रूप से शामिल हैं। किडनी की बीमारी का पूरी तरह उपचार केवल आयुर्वेद से हो सकता है।गुर्दे से जुड़ी बीमारियों में जहां संतुलित आहार जरूरी है, वहीं आयुर्वेद के कई फार्मूले भी कारगर पाए गए हैं।

Anoop Ojha
Published on: 18 March 2019 9:24 AM GMT
आयुर्वेद में है किड़नी की बीमारी का इलाज,इस औषधि के इस्तेमाल से बीमारी हो सकती है नियंत्रित
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देश में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में किडनी रोग मुख्य रूप से शामिल हैं। किडनी की बीमारी का पूरी तरह उपचार केवल आयुर्वेद से हो सकता है।गुर्दे से जुड़ी बीमारियों में जहां संतुलित आहार जरूरी है, वहीं आयुर्वेद के कई फार्मूले भी कारगर पाए गए हैं। इसलिए 'नेशनल किडनी फाउंडेशन एंड द एकेडमी ऑफ न्यूट्रीशियन डाइटिक्स' ने गुर्दे के मरीजों के लिए 'मेडिकल न्यूट्रीशियन थैरेपी' की सिफारिश की है। फाउंडेशन का कहना है कि यदि गुर्दा रोगियों को हर्बल पदार्थो से परिपूर्ण और बेहतर आहार मिले तो बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे 'नीरी केएफटी' दवा की है, जिसके जरिए गुर्दा (किडनी) की बीमारी ठीक की जा सकती है। गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ्य हो सकती हैं। साथ ही संक्रमण की आशंका भी इस दवा से कई गुना कम हो जाती है।

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एक्यूट किडनी फेल्योर व क्रॉनिक किडनी फेल्योर

हमारी दोनों किडनियां एक मिनट में 125 मिलिलीटर रक्त का शोधन करती हैं। ये शरीर से दूषित पदार्थो को भी बाहर निकालती हैं। इस अंग की क्रिया बाधित होने पर विषैले पदार्थ बाहर नहीं आ पाते और स्थिति जानलेवा होने लगती है जिसे गुर्दो का फेल होना (किडनी फेल्योर) कहते हैं। इस समस्या के दो कारण हैं, एक्यूट किडनी फेल्योर व क्रॉनिक किडनी फेल्योर।

पुनर्नवा से बनाई गई आयुर्वेदिक दवा

हाल में दो अलग-अलग शोध में पुनर्नवा से बनाई गई आयुर्वेदिक दवा को किडनी की खराब कोशिकाओं को ठीक करने में सक्षम पाया गया है। ध्यान देने की बात है कि पूरी दुनिया में 8.5 करोड़ से अधिक किडनी के मरीज हैं और उनके लिए फिलहाल डायलिसिस या फिर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई चारा नहीं है।

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'नीरी केएफटी' नाम की आयुर्वेदिक दवा

किडनी के इलाज में पुनर्नवा आधारित दवा की सफलता को लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुए शोध नतीजे को अंतराष्ट्रीय जरनल 'व‌र्ल्ड जनरल आफ फार्मेसी एंड फार्मास्यूटीकल्स साइंस' में स्थान मिला। इसके अनुसार किडनी के बीमारी से ग्रसित मरीजों को पुनर्नवा पर आधारित 'नीरी केएफटी' नाम की आयुर्वेदिक दवा दी गई। बाद में देखा गया कि इस दवा के प्रयोग से न सिर्फ मरीज के खून में क्रियेटीनाइन और यूरिया के स्तर में सुधार हुआ, बल्कि हीमोग्लोबिन का स्तर भी बढ़ गया। जबकि इसके पहले मरीज को डायलिसिस पर रखने की मजबूरी थी।

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पुनर्नवा के इस्तेमाल से किडनी की खराब कोशिकाओं ठीक करने में मदद मिलती

'इंडो अमेरिकी जनरल ऑफ फार्मास्यूटिकल्स रिसर्च' में छपे दूसरे शोध के अनुसार पुनर्नवा के साथ-साथ गुलाब की पंखुडि़यां,पत्थरचूर और अन्य जड़ी बूटियां किडनी को दुरूस्त करने में सफल रही हैं। इसके उपयोग से मरीजों के किडनी की सामान्य तरीके से काम करने के साथ-साथ यूरिक एसिड और एलेक्ट्रोलाइट्स की बढ़ी मात्रा को भी कम करने में सफलता मिली है। शोध के अनुसार पुनर्नवा के लंबे समय तक इस्तेमाल से किडनी की खराब कोशिकाओं को भी ठीक करने में मदद मिलती है। जाहिर है कि एलोपैथी में किडनी की बीमारी का कारगर इलाज नहीं की वजह से दुनिया में इस आयुर्वेदिक फार्मूले पर चर्चा शुरू हो गई है।

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भारत में किडनी के रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। हालात यह है कि पिछले 15 सालों में किडनी के रोगियों की संख्या देश में दोगुनी बढ़ चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में 17 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में किडनी की बीमारी से ग्रसित है। किडनी के रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मोदी सरकार ने सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराने का फैसला किया था।

यह भी जानिए :

- 1,200 गुर्दा विशेषज्ञ हैं देश में

- 1,500 हीमोडायलिसिस केंद्र हैं देश में

- 10,000 डायलिसिस केंद्र भी हैं

- 80 फीसदी गुर्दा प्रत्यारोपण हो रहे निजी अस्पतालों में

- 2,800 गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं एम्स में

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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