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डायलिसिस कराते समय रहें सावधान

डायलिसिस के मरीजों में बार-बार खून चढ़ाना पढ़ता है। इसमें लापरवाही से मरीज एचसीवी पॉजीटिव हो जाता है। डायलोजर की स्क्रिनिंग को रीप्रोसेसिंग मशीन लगती है जिससे पता चलता है कि कितने मरीजों में प्रयोग किया गया है।

SK Gautam
Published on: 2 March 2020 7:54 PM IST
डायलिसिस कराते समय रहें सावधान
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लखनऊ: डायलिसिस में चूक लोगों को हेपिटाइटिस-सी का शिकार बना रही है। राजधानी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डायलिसिस कराने वालों में हेपेटाइटिस सी की निरंतर बढ़ रही शिकायत इस धारणा को पुख्ता कर रही है। निजी और सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस चूक से हेपेटाइटिस-सी वायरस (एससीवी) पॉजीटिव हो रहे हैं।

डायलिसिस के दौरान गड़बड़ी से हेपेटाइटिस-सी होने का खतरा

आलमबाग निवासी 45 के एक मरीज को किडनी इंफेक्शन था। वह निजी अस्पताल में डायलिसिस करा रहे थे। हालत गंभीर हुई तो केजीएमयू पहुंचे जांच में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव मिला। अयोध्या की एक महिला मरीज सरकारी अस्पताल में डायलिसिस करा रही थीं। डायलिसिस के दौरान गड़बड़ी से हेपेटाइटिस-सी की चपेट में आ गईं। यह तब पता चला जब अयोध्या के अस्पताल ने उन्हें केजीएमयू के लिए रिफर किया। केजीएमयू के डायलिसिस यूनिट में ऐसे केसेस लगातार आ रहे हैं।

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हालत यह हो गई है कि केजीएमयू के शताब्दी के नेफ्रोलॉजी विभाग में पॉजीटिव और निगेटिव मरीजों के लिए अलग-अलग मशीने रखी गई हैं। इसके लिए 12 सौ रूपये देने पड़ते हैं। दुर्भाग्य है कि एचआईवी पॉजीटिव के साथ एचसीवी पॉजीटिव मरीजों की संख्या लगतार बढ़ रही है। सरकार अस्तपालों में पीपीपी मॉडल पर खुली डायलिसिस यूनिट में डायलेजर को बार-बार इस्तेमाल करने से यह समस्या पैदा हो रही है। यही नहीं पॉजीटिव और निगेटिव मरीजों के अलग-अलग मशीन होने से दिक्कते बढ़ रही हैं। अधिकांश मामले रेफरल मरीजों के आ रहे हैं।

पॉजीटिव वाले डायलेजर से हो जाता है संक्रमण

केजीएमयू में सभी मरीजों के एलाइजा व कार्ड टेस्ट कराये जाते हैं। जिससे उनके पॉजीटिव या निगेटिव होने का पता चल जाता है। पॉजीटिव मरीजों में इस्तेमाल होने वाले डायलेजर और ट्युबिंग को तुरंत नष्ट कर दिया जाना चाहिए। क्योंकि पॉजीटिव वाले डायलेजर से संक्रमण हो सकता है।

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यही नहीं, डायलिसिस के मरीजों में बार-बार खून चढ़ाना पढ़ता है। इसमें लापरवाही से मरीज एचसीवी पॉजीटिव हो जाता है। डायलोजर की स्क्रिनिंग को रीप्रोसेसिंग मशीन लगती है जिससे पता चलता है कि कितने मरीजों में प्रयोग किया गया है। यही डायलेजर खराब हो जाता है तो उस पर बंडल वाल्यूम फेल लिखकर आ जाता है। जिन मरीजों के रक्त में ज्यादा संक्रमण होता है। उनका डायलेजर ज्यादा खराब होता है।



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