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Coronavirus: ब्लैक फंगस से कैसे करें बचाव, जानें क्या है इसके लक्षण

Coronavirus: कोरोना मरीजों में म्यूकोरमाइकोसीस फंगल इन्फेक्शन बहुत ज्यादा देखा जा रहा है। जो एक खतरे की घंटी है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Monika
Published on: 13 May 2021 9:50 AM GMT (Updated on: 18 May 2021 11:35 AM GMT)
Coronavirus: ब्लैक फंगस से कैसे करें बचाव, जानें क्या है इसके लक्षण
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नई दिल्ली: भारत इस वक्त कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इस जंग के बीच कई राज्यों में म्यूकोरमाइकोसीस यानी ब्लैक फंगस (Black fungus) की दस्तक होने से सरकार की चिंता बढ़ गई है। महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार समेत कई राज्य इसकी चपेट में आ चुके हैं। ब्लैक फंगस उन लोगों पर ज्यादा अटैक कर रहा है जो कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।

कोरोना मरीजों (Covid patient) में म्यूकोरमाइकोसीस (Mucormycosis) फंगल इन्फेक्शन (Fungal infection) बहुत ज्यादा देखा जा रहा है। जो एक खतरे की घंटी है। इस फंगल इन्फेक्शन के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसके लिए गाइडलाइन्स (Guidlines) जारी कर दिए हैं। जिससे कोरोना मरीजों को ठीक होने में मदद मिलेगी। जैसे कोरोना संक्रमण को नजरअंदाज नहीं किया जा साकता वैसे ही म्यूकोरमाइकोसीस इन्फेक्शन को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसा करना आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

कैसे होता है म्यूकोरमाइकोसीस या ब्लैक फंगस

म्यूकोरमाइकोसीस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगस (Black fungus) फंगल संक्रमण से पैदा होने वाली जटिलता है। लोग वातावरण में मौजूद फंगस के बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोरमाइकोसीस से ग्रसित हो जाते हैं। यह शरीर पर किसी तरह की चोट या जलने, कटने के जरिए त्वजा में प्रवेश करके स्कीन में विकसित होता है। इससे परेशानी तब पैदा होती है जब यह किसी बीमार रोगी के अंदर आ जाए। क्योंकि ये अंदर जाकर फेफड़ों और छाती गुहाओं में फैलने लगता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह उन कोरोना मरीजों में फैल रहा है जिन्होंने स्टेरॉड्ज़ खाया हो।

वहीं, ब्लैक फंगस (Black fungus) को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि यह एक फंगल इन्फेक्शन है जो आमतौर पर किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों की पर्यावरणीय रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है। ब्लैक फंगस इम्युनिटी कमजोर होने पर तेजी से शरीर को जकड़ता है। इसलिए ये कोरोना मरीजों पर ज्यादा अटैक कर रहा है। ये सबसे ज्यादा उन कोरोना मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है, जिनका शुगर लेवल काफी बढ़ गया है। ऐसे में लोगों को बचाव के लिए अपनी डायबिटीज कंट्रोल करने की जरूरत है। साथ ही कोविड पेशेंट को लंबे समय तक एस्ट्रोराइड लेने से बचने की सलाह दी गई है।

कैसे पहचाने म्यूकोरमाइकोसीस के लक्षण

अगर बात करें ब्लैक फंगस के लक्षण की तो यह फंगल इन्फेक्शन आप के चेहरे पर सीधा असर डालता है। जिससे आपकी बनावट में बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही यह शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। जैसे सिर में बहुत ज्यादा दर्द होना, आंखों की रोशनी कम हो जाना या खराब होना, इस इन्फेक्शन से आपके गले से लेकर आंखों और चेहरे पर सूजन दिखेगी।

इसके अलावा आंखों में लालपन होना, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी में खून आना, पेट में दर्द। स्किन में इंफेक्शन होने पर कालापन आ जाता है। यह फंगस रोगियों के दिमाग पर भी गहरा असर डालता है। ऐसे में अगर ये लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

म्यूकोरमाइकोसीस से बचाव

  1. काम के दौरान मास्क पहना ना भूले, ख़ास तौर पर किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर काम के दौरान ।
  2. बागवानी के दौरान भी अपने शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखें।
  3. साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
  4. डायबिटीज पर कंट्रोल रखें।
  5. इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग या एस्ट्रोराइड का कम से कम इस्तेमाल करें।
  6. जरूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल करें।
  7. कोरोना से रिकवरी के बाद ब्लड ग्लूकोज का लेवल मॉनिटर करते रहें।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, कुछ विशेष स्थितियों में कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) का खतरा बढ़ जाता है। जैसे कि डायबिटीज का अनियंत्रित होना, एस्ट्रोराइड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी (Weak Immunity) का होना, लंबे समय तक ICU या हॉस्पिटल में भर्ती रहना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant) या कैंसर (Cancer) के मामले या किसी अन्य बीमारी के होने में।

बता दें कि ब्लैक फंगस को ध्यान में रखते हुए लोगों को यह सलाह दी गई है कि वे लक्षणों को बिल्कुल भी इग्नोर न करें। ऊपर दिए गए लक्षण के महसूस होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें और उपचार कराएं। जांच कराने से कतई न हिचकें और इसके इलाज में देरी न करें तो बेहतर होगा।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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