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Brain Pacemaker: डिप्रेशन से बचाएगा ब्रेन का पेसमेकर, यहां जाने इस तकनीक के बारे में

Brain Pacemaker: अब एक नई तकनीक ईजाद की गई है, जिसे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन कहा गया है। इस तकनीक में मरीज के दिमाग को इलेक्ट्रोड के जरिए झिंझोड़ा जाता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shweta
Published on: 18 Oct 2021 9:02 PM IST
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कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)

Brain Pacemaker: डिप्रेशन यानी अवसाद पूरी दुनिया में एक बहुत व्यापक बीमारी बन चुका है। भारत में ही बहुत बड़ी संख्या में डिप्रेशन के शिकार लोग हैं। डिप्रेशन के इलाज में मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की तो की है। लेकिन अब भी गंभीर डिप्रेशन का कोई बहुत पुख्ता इलाज नहीं (depression ka ilaj) है। अब एक नई तकनीक ईजाद की गई है, जिसे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन कहा गया है। इस तकनीक में मरीज के दिमाग को इलेक्ट्रोड के जरिए झिंझोड़ा (depression ke lakshan) जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक दुनिया में तीस करोड़ लोग अवसाद की समस्या से प्रभावित हैं। सही समय पर सहायता, समर्थन और उपचार की बदौलत कुछ लोग आत्महत्या की प्रवृत्ति से निजात पाने में सफल रहे हैं। सब इतने भाग्यशाली नहीं होते। 20 से 30 प्रतिशत लोगों को सामान्य उपचारों से कोई राहत नहीं मिलती।

ऐसे दूर होगा डिप्रेशन (depression kaise door kare)

2020 में डिप्रेशन पर एक प्रयोगात्मक अध्ययन (depression par Research) किया गया। इसमें कैलिफोर्निया की एक मरीज सारा सबसे पहले शामिल हुईं। उस समय वह गंभीर डिप्रेशन से पीड़ित थीं। इलेक्ट्रिक शॉक तक बेअसर रहा था। बहरहाल, सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों के एक दल ने उनकी खोपड़ी में सिगरेट के डिब्बे के आकार की एक डिवाइस लगा दी। ये डिवाइस सारा के अवसाद के उभरने वाले लक्षणों की शिनाख्त करता है। ब्रेन में इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा कर अपनी प्रतिक्रिया देता है। इस तरह दिमाग को अवसाद के ख्याल निकालने की ताकीद मिल जाती है। ये ब्रेन के लिए एक पेसमेकर की तरह है।

कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)

इस डिवाइस के बारे में सारा ने सीएनएन को बताया कि इससे उनके विचार काफी सकारात्मक हो गए थे । जबकि अपने अवसाद की गहराइयों में सारा अपने आसपास अभी तक सिर्फ बुरा ही देखती आई थीं। एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के मुताबिक, ब्रेन की इस डिवाइस लगने के बारह दिन के भीतर, 54 अंकों वाले मोंटोगोमरी-आस्बर्ग डिप्रेशन रेटिंग स्केल पर सारा के अवसाद का पैमाना 36 से गिरकर 14 पर पहुंच गया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ महीनों बाद वो 10 से नीचे आ गया जो इस बात का संकेत था कि उनका अवसाद ढलान पर था।

डिप्रेशन का इलाज (depression ka ilaj)

ये डिवाइस जिस तरह डिप्रेशन का इलाज करती है , उसे डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन कहा जाता है। इसमें दिमाग के एक हिस्से में लगातार इलेक्ट्रिक कर्रेंट भेजे जाते हैं।बीते तीस साल से पार्किन्संस, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर और मिरगी जैसी बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। करीब 20 साल पहले शोधकर्ताओं ने गंभीर डिप्रेशन के इलाज के रूप में इसका परीक्षण शुरू किया था । लेकिन क्लीनिकल ट्रायल में सीमित सफलता ही मिल पाईं। अमेरिका के दो ट्रायल तो बीच में ही रोकने पड़े थे। इस उपचार से जुड़ी एक बड़ी चुनौती यह है कि इसमें हर व्यक्ति के दिमाग में अलग अलग हिस्से शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, मरीज के दिमाग में इलेक्ट्रोड डालने से खून भी बह सकता है और गंभीर मामलों में इससे मौत भी हो सकती है।



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